भोर की ओर
भोर की ओर
भोर की ओर
आओ चलो मैं दिखला दूँ
एक ऐसी भोरभयें
जहाँ डर भी ना हो
जहाँ खौफ भी ना हो
मदमाता पवन बहे।।
आओ चले मैं दिखला दूँ
एक ऐसे भोरभयें
जहाँ डर भी ना हो
जहाँ खौफ भी ना हो
मदमाता पवन बहे।।
एक ऐसी भोरभयें.....
जहाँ किरणोंकी पहेली झलकसे
आँखों से अंधेरा भाागे
आशाओंकी पंखुडियोंमें
अरमान नया जागे
सभी चुस्ती खिले
तंदुरुस्ती भी मिले
खुशियों की लहेर ना ढलेे
एक ऐसी भोरभयें....
आओ चले मैं दिखला दूँ
एक ऐसी भोरभयें
जहाँ डर भी ना हो
जहाँ खौफ भी ना हो
मदमाता पवन बहें।।
एक ऐसी भोरभयें....
जहाँ क्षितिज से आँँखे टकरायेे
निला आसमां मुस्कुराये
जहाँ पंछियोंकी चहकसे
आजादीका जलसा बरसे
खुशियों का नहर
आशा की फुअर
सुनहरे दिन जो भले
एक ऐसी भोरभयें...
आओ चले मैं दिखला दूँ
एक ऐसी भोरभयें
जहाँ डर भी ना हो
जहाँ खौफ भी ना हो
मदमाता पवन बहें।।
एक ऐसी भोरभयें.....
सपनों की सुनहरी डगरपर
जहाँ आनंद ही आनंद
लहराये
हम जाके वहाँ बस जााये
जहाँ अपनोंका बसेरा होवे
कोई दूर ना हो
बीमार ना हो
सब साथ मिलके चले
एक ऐसी भोरभयें....
आओ चले मैं दिखला दूँ
एक ऐसी भोर भयें
जहाँ डर भी ना हो
जहाँ खौफ भी ना हो
मदमाता पवन बहें।।
एक ऐसी भोरभयें.....
धुन: आ चलके तुझे मैं लेके
चलू एक ऐसे गगन के तले .....