प्रीत लिखूं संगीत लिखूं
प्रीत लिखूं संगीत लिखूं
प्रीत लिखूं संगीत लिखूं
किसको अपना मनमीत लिखूं
जब भाव धधकते ज्वाला से
अनल को कैसे नीर लिखूं
भाव भुजाओं में भरकर
आक्रोश सुनाई देते हैं
मन कि पीड़ा तृष्णा को
कैसे शीतल समीर लिखूं
में मानूं क्यूँ में ठानू क्यूँ
जब दर्शन ना दे सकता तू
सब बोलते हैं अंतर्यामी
में कैसे राम-रहीम लिखूं