जिस्म से मोहब्बत
जिस्म से मोहब्बत
मोहब्बत अब रूह से नहीं,
जिस्म से किया जाता है,
क्योंकि जिस्म तो अब,
सरे आम बिक जाता है।
राह चलती हर मासूम को कोई,
अपनी हैवानियत से देख जाता है,
अकेले घर लौटने का भी,
अब खौफ वह बना जाता है।
यहां सूरज भी अपनी,
गर्मी पर ठंडा पड़ जाता है,
घड़ियों के चलने पर भी,
समय थम सा जाता है।
अब तो चांद भी यहां,
नीलामी देखता है,
की किस तरह अब किसी के,
कपड़ों को परखा जाता है।
जिस देश को यहां,
मां का दर्जा दिया जाता है,
पर चंद गलियों में,
उसी की इज्जत से खेला जाता है।
कोई जिंदा होकर भी अब,
मुर्दा लाश बन जाता है,
तो कोई खुद को,
इस जहां से दूर कर जाता है।
किसी की मुस्कुराहट को,
हमेशा के लिए छीन लिया जाता है,
तो किसी की खूबसूरती पर,
तेजाब फेर दिया जाता है।
यह सब कोई और नहीं,
कुछ हैवान कर जाते हैं,
जिन्हें पैसों के लालच में,
छोड़ दिया जाता है।
किसी की बहन,
तो किसी की बेटी है वह,
जिसे वह अपनी हैवानियत से
रंग जाता है।
क्योंकि मोहब्बत अब रूह से नहीं,
जिस्म से किया जाता है।
ऐसे जल्लादों को खुला घूमता देख,
कोई अपना विश्वास तो कोई आस खो जाता है।
क्या गुनाह था उसका जिसे समाज में
बेइज्जत किया जाता है,
साथ तो छोड़ो उसे तो
बेरहमीयत से बरता जाता है।
बोल कर क्या होगा खुद की सोच बदलो
एकजुट होकर उसे टोको,
जिसे इन सबके बाद भी
बरी कर दिया जाता है।
तभी इस देश की हर लड़की
शान से जी पाएगी,
जिस देश को भारत मां कहा जाता है।