इन्ही यादों में |
इन्ही यादों में |
इन्ही यादों में रात गुज़र जाएगी,
ख़्वाब होंगे खुली पलकों पर तो नींद कहाँ आएगी।
सुबहा की किरण जाने क्या सन्देश लाएगी,
खफा हो जाएगी मौत हमसे या ज़िन्दगी मुकर जाएगी।
लाखों लोगो की भीड़ में तन्हाई तड़पाएगी,
ख़्वाब होंगे खुली पलकों पर तो नींद कहाँ आएगी।
खुद पर यकीं न हुआ के हर मुश्किल को मुस्कुरा कर सह जायेंगे,
कभी नज़रो से बात करते थे पर आज अल्फाज़ों से कह जाएंगे।
यकीं न हुआ उन पर के इस कदर वो हमसे खफा हो जायेंगे,
बस दूर खड़े हो कर इशारो से अलविदा कह जायेंगे।
बस इसी इंतज़ार में बैठे है की इक दिन वो ज़रूर आएगी,
ख़्वाब होंगे खुली पलकों पर तो नींद कहाँ आएगी।
वो शाम दीवानी वो मौसम सुहाना,
तेरा रूठना हमसे और मेरा मनाना।
तेरी प्यारी सी बातों में सारा दिन बीत जाना,
है मुश्किल बहुत वो पल भुलाना।
अब जाने किस पल ये रूह सुकूं पायेगी,
ख़्वाब होंगे खुली पलकों पर तो नींद कहाँ आएगी।
इक मौका मिल जाये अपनी बेगुनाही साबित करने का पर ना जाने वो कहाँ होंगे,
तड़प रहे होंगे हमारे प्यार में वो चाहे जहाँ होंगे।
या फिर खुश होंगे किसी और के साथ इक नए जीवन में रवाँ होंगे,
बीत जाएगी सारी उम्र उनके इन्तेजार में - या फिर शायद ही हम कल यहाँ होंगे।
अक्की की चाहत का पैगाम सुन आँखें उसकी भी भर आएगी,
ख़्वाब होंगे खुली पलकों पर तो नींद कहाँ आएगी।
सुबहा की किरण ना जाने क्या सन्देश लाएगी,
खफा हो जाएगी मौ हमसे या ज़िन्दगी मुकर जाएगी।
इन्ही यादों में रात गुज़र जाएगी!
ख़्वाब होंगे खुली पलकों पर तो नींद कहाँ आएगी!