झोंका
झोंका
आज फिर आया कहीं से
एक नर्म हवा का झोंका
छू कर मेरे गालों को
कुछ कह गया ख़ुशनुमा सा झोंका !
क्यों उदास और हताश
तू आज़ के मौसम से
कल क्या होगा,
किसने देखा किसने जाना
माना की तेरे बीते हुए
कल में भी ग़म है पर
उसमें ख़ुशियों के पल भी
तो नहीं कम हैँ !
छोड़ दे वो यादें
जिनमें ग़म ही ग़म हैं
याद करना है तो कर
जो प्यारे प्यारे पल हैं
वो पिता का प्यार
दुलार और साथ में
तुझमें हिम्मत और
दुनियाँ से लड़ने का विकास !
वो माँ की डाँट, थप्पड़, दुलार
और एक स्त्री होने के गुणों का विकास !
बड़े भाईयों का अनुशासन और
बहुत सारा प्यार दीदी का माँ जैसा प्यार
और बहन वाले झगड़े !
और सारे मिलकर शरारतों के दौर,
खेलकूद डांस ड्रामा सब कुछ करने
के लिए हम आपस में ही काफ़ी !
ये प्यारे से हवा के झोंके बरबस ही
एक मुस्कान छोड़ गए चेहरे पर !
शायद यही जीवन है !
काश, रोज़ आते ये झोंके।