कौन कहता हैं
कौन कहता हैं
हमने चाहा वह सब कुछ पाया
इस गलतफमी में मत रहना
कुछ होंगे पtरे, कुछ आधे अधूरे
जरुरी नहीं हर सपना सच हो।
कौन कहता हैं ? निठल्ले, निक्कमे हैं
हम सिर्फ अपने योग्यता नहीं जानते
खुद को नहीं पहचानते,
उचित राह नहीं ढूंढते
हमेशा मगन रहते हैं
सपनों के मायाजाल में।
पढ़ेलिखे, बिलकुल बेकार हैं
बहुत कुछ सपने लिये
खाली पेट आशिया ढूंढे
घर में तिरस्कृत आँखे नम हैं।
हर नुक्कड़ पर मौत के सौदागर
खून के प्यासे हमें बेवकूफ़ बनाये
कभी झंडे और डंडे थमाकर
अपना काम निकलवा रहे हैं।