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prayaas sharma

Romance

4.9  

prayaas sharma

Romance

ग़ज़ल

ग़ज़ल

1 min
435


बची हर सांस गिनता हूँ , तेरी साँसों में ठहरा हूँ,

दबी हर बात सुनता हूँ, तेरी बातों सा गहरा हूँ ।


ज़माने से न भागा हूँ, ज़माने में ही उतरा हूँ,

तेरे राज़ों को रख दिल में, ज़मी पर आज बिखरा हूँ।


दिलों में जख्म है ढेरों, कई है दर्द के किस्से,

बची है अब ज़फा तेरी, उसी से बस मैं तेरा हूँ।


यही बस सोचता हूँ मैं कि ये अब राज़ है कैसा?

मैं सोचूँ ये ही बस दिनभर, मैं तेरा हूँ या मेरा हूँ!


मैं जो भी दर्द लिखता हूँ उसे तू रोज़ गाती है,

कभी ना दूर तुझसे हूँ लबों का गीत तेरा हूँ।


ये कैसी बेरुखी तेरी जो अब तक दूर तू मुझसे,

ये मेरे दिल की हमदर्दी, मैं अब भी अक्स तेरा हूँ ।


ये दरवाज़े भले ही बंद कर लेना तेरे दिल के,

मगर ये याद रखना तुम ,इसी पट का मैं पहरा हूँ।


ये मेरा और तेरा दिल फ़लक पर ही चमकता था,

मैं अब टूटा सितारा हूँ ,ज़मी पर आज ठहरा हूँ।


मैं तारा हूँ तेरे दिल का ,मुकम्मल आसमां तू है, 

मुकम्मल दिल हवेली है, फ़क़त उसका मैं कमरा हूँ।


तू पूरा है समंदर सुन ,तू पूरा आसमां भी है ,

बची छोटी ज़मी तेरी ,बचा उसका मैं ज़र्रा हूँ।


मैं अब आवाज़ दूँ तुझको , ये हिम्मत ना बची मुझमें ,

फंसा हूँ ज़ख्म में इतने, लबों का बोल ठहरा हूँ।



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