ज़िंदगी यूं ही चलती रहेगी
ज़िंदगी यूं ही चलती रहेगी
आज मैं चल रही
चल रहा ये पल भी है,
थाम कर उंगली मेरी
गुज़र रहा वो जल्द है।
साथी मेरा तो बस
एक ये रास्ता ही है,
बन रहा कभी पहेली
सुलझ रहा वो खुद ही है।
थम जाऊं मैं कभी
सोच के पुराना कुछ,
मुझ में ज़्यादा खो न जाना
कह रहा वो कल भी है।
सफर तो ये कठीण है
है मंज़िले भी धुंदली,
पर क्या करूँ ये मन मेरा
फिर भी तो अधीन है।
आस्था भी दिल में है
वास्ता भी रब का है,
चाहतों को पाना है
अब यही समझता है।
डर हाँ फिर भी लगता है
हर आने वाले मोड़ से,
क्या नया सा लाएगा
क्या मेरा ले जाएगा।
फूल अगर वो लाएगा
तो ठोकरें भी लाएगा,
ये नया सा मोड़ मुझको
कुछ सीखा के जाएगा।
सीखना तो है ज़रूरी
आज़माने से पहले,
हारना भी है जरूरी
जीत जाने से पहले।
डर के आगे जीत है,
यही मैं सुनती आई हूँ,
इसीलिए तो दोस्तों मैं
ख्वाब बुनती आई हूँ।
हिम्मत और हौसले,
जब तक मुझ में बाकी है,
कोशिशें रहेगी जारी
साँसें जब तक साथी है,
जान जब तक बाकी है।