मेरी ख़ातिर आ जाना
मेरी ख़ातिर आ जाना
मेरी ख़ातिर तुम आ जाना
जब दूँ मैं तुम को पूरी शिद्दत से आवाज़
जब बेबस हो जाऐं मेरी गज़लों के अल्फाज़
जब हो जाऐं आँखों से अश्क़ों का आगाज़
जब दिल बस धड़के जाऐ, न आए ये बाज़
मेरी ख़ातिर तुम आ जाना
जब आ जाऐ हम पर कभी कोई ग़म
जब हममें ही न रह पाऐ फिर हम
चेहरे पर हो हसीं और दिल में हो मातम
जब हो आँसुओं की बारिश बिन मौसम
मेरी ख़ातिर तुम आ जाना
जब हो मेरे सामने सुलगते हुऐ मंज़र
जब हो जाऐ अहसासों की ये ज़मीं बंजर
जब हसरतें मेरी हो जाऐं सारी बेघर
जब सो न पाऐ ये आँखें मेरी शब-भर
मेरी ख़ातिर तुम आ जाना
जब तड़पाए मुझ को तेरी याद मुसलसल
जब घटता जाऊँ बिन तेरे मैं पल-पल
इंतज़ार में आँख पथराऐ, चेहरा जाऐ बदल
जब मेरे कल के बाद न आऐ कोई कल में
री ख़ातिर तुम आ जाना
जब अपने ही ग़म में खो जाऐं हम
जब हर सांस पर तेरा नाम दोहराऐं हम
दिल हमको और इस दिल को समझाऐं हम
जब चलते-चलते तुम को यूँ ही दिख जाऐं हम
मेरी ख़ातिर तुम आ जाना