Sakshi Yadav

Inspirational

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Sakshi Yadav

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योग और सकारात्मकता

योग और सकारात्मकता

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 "जिनको आवश्यकता है, जो पुरुषार्थी लोग हैं, फिर भी आर्थिक या अन्य दृष्टि से कमजोर हैं, उन्हें अनेक प्रकार की कठिनाइयां हैं, ऐसे दान के योग्य पात्रों को आप यदि आर्थिक सहयोग देते हैं। अथवा किसी को वेद दर्शन उपनिषद आदि अध्यात्म विद्या पढ़ाते हैं, या कोई भूगोल खगोल विज्ञान आदि भौतिक विद्या पढ़ाते हैं, संसार में सत्य ज्ञान का प्रचार करते हैं, आदि किसी भी प्रकार से आप दूसरों की उन्नति में अपना यथाशक्ति योगदान देते हैं, तो इससे आपको पुण्य ही मिलेगा, लाभ ही होगा, हानि नहीं।"

  "क्योंकि एक जलता हुआ दीपक जब दूसरे बुझे हुए दीपक को जलाता है, तो इससे जलते हुए दीपक की कोई हानि नहीं होती। बल्कि जो बुझा हुआ दीपक था, वह भी जल उठता है। वह भी दूसरों को प्रकाश देने लगता है।" इससे संसार में सुख समृद्धि की वृद्धि ही होती है। 

  "ईश्वर न्यायकारी है। वह आपके शुभ कर्मों को देखता है। ठीक समय आने पर आपके प्रत्येक शुभ कर्म का फल देगा।" इस प्रकार से ईश्वर पर विश्वास करके व्यक्ति को सदा पुरुषार्थ करते रहना चाहिए और योग्य पात्रों को सहयोग देते रहना चाहिए।

     वेदादि शास्त्रों में कहा गया है, कि "आलसी निकम्मे और दुष्ट लोगों को सहयोग नहीं देना चाहिए। वे तो संसार में आलस्य प्रमाद मूर्खता और दुष्टता ही फैलाएंगे।" "उनको सहयोग देने से ईश्वर आपको दंड भी देगा, क्योंकि वे आपका सहयोग प्राप्त करके संसार को दुख ही देंगे।" "दुख देने वालों को सहयोग देना अपराध है। इसलिए अपराध होने के कारण, ऐसे लोगों को सहयोग देने से ईश्वर आपको दंड देगा।"

 "और यदि योग्य पात्रों को आप सहयोग नहीं देंगे, तब भी ईश्वर आपको दंड देगा। क्योंकि उनको सहयोग न देकर आपने उनको और समाज को दुख दिया।" "अतः दंड से बचने के लिए योग्य पात्रों को सहयोग अवश्य देवें, और अयोग्य लोगों को कभी न दें।"

  "यदि आप योग्य सज्जन पात्रों को सहयोग देंगे, और वे सज्जन लोग संसार को सुख देंगे, तो इस अच्छे काम में सहयोग देने से आपको पुण्य मिलेगा, तथा आपका जीवन अपेक्षाकृत अधिक आनन्द पूर्ण बनेगा।" "अतः सेवा परोपकार दान आदि शुभ कर्म सदा करते रहें, और अपना तथा दूसरों का आनंद बढ़ाते रहें।"


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