Will You Be My Friend Again ? – Inbox Love

Will You Be My Friend Again ? – Inbox Love

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क्या फिर से तुम मेरे दोस्त बनोगे ??

दोस्त तो हम है ही,

नहीं फिर से वैसे ही जैसे हम थे लेकिन जैसे हम अभी नहीं है ।

फिर से उसी तरह सुबह को रोज नए ढंग से जगाते हुए  हर शाम की तेरी उदासी को बहलाते हुए ;

हर रात को थपकियों से सुलाते हुए ।

फिर वैसे ही सब …

कुछ अनमने अटपटे से बातों की ख़ामोशी मन में उमड़ते रहे ; उसके भी मेरे भी ।

फिर हाँ ठीक है – यस आई विल !

धीमे धीमे से कहना रोक नहीं पाया

” बन पाओगे .. फिर वैसे ही .. शायद नहीं “

ऐसा क्यों कहा ?

पता नहीं बस ऐसे !

मन ही मन गुनगुनाने का मन करने लगा “आँख से दूर ना हो दिल से उतर जायेगा ” 


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