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Yogendra Singh

Romance

4  

Yogendra Singh

Romance

वॉइस मेल - एक अनकहा जज़्बात

वॉइस मेल - एक अनकहा जज़्बात

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पिछले आधे घंटे में विक्रम ने आठवीं बार नेहा को फोन करने की कोशिश की थी पर उसे कोई जवाब नहीं मिल रहा था। वह परेशान सा बार-बार अपने फोन को निकालता, नेहा को फोन करता और हर बार फोन बिना किसी जवाब के कट जाता। जवाब ना मिलने की वजह भी विक्रम जानता था। नेहा से आज सुबह उसका झगड़ा जो हो गया था, और इसी नाराजगी की वजह से नेहा विक्रम का फोन नहीं उठा रही थी। उन दोनों की शादी को 2 साल हो चुके थे और दोनों खुशी-खुशी साथ में रहते थे पर आज अचानक एक छोटी सी बात पर उनका झगड़ा हो गया और विक्रम बिना कुछ कहे ही घर से बाहर निकल आया। अब वो नेहा से बात करने की कोशिश कर रहा था पर नेहा उसका फोन नहीं उठा रही थी। आखिरकार हार कर विक्रम ने नेहा को एक वॉइस मेल भेजा और सुबह हुई घटना के बारे में सोचने लगा।

आज शनिवार था और विक्रम की ऑफिस में छुट्टी थी। नेहा और विक्रम ने आज बाहर घूमने जाने का प्लान बनाया था। नेहा आज के दिन को लेकर बहुत खुश थी क्योंकि पिछले कई महीनों से दोनों काम की वजह से एक दूसरे को समय नहीं दे पा रहे थे। सारी तैयारियां हो चुकी थी और वह दोनों एक घंटे में निकलने वाले थे। तभी अचानक विक्रम का फोन बजा और वह फोन पर बात करने लगा। बात करते-करते विक्रम बहुत गंभीर हो गया और कुछ समय बाद उसने फोन रख दिया।

"क्या बात है तुम अचानक परेशान से क्यों लग रहे हो?" नेहा ने विक्रम को परेशान देखकर उससे पूछा।

 "हमें आज का प्लान कैंसिल करना पड़ेगा ऑफिस में कुछ जरूरी काम आ गया है जिसे आज ही खत्म करना होगा।" विक्रम ने नेहा की तरफ देखकर कहा।

 "तो तुम उनसे कह दो कि काम सोमवार को खत्म कर दोगे आज हमने बाहर जाने का प्लान बनाया है।" नेहा कुछ परेशान होकर बोली।

 "मैंने उन्हें समझाने की कोशिश की पर काम थोड़ा जरूरी है तो मुझे जाना होगा। तुम समझने की कोशिश करो।" विक्रम ने समझाना चाहा।

"हर बार मैं ही क्यों समझूं तुम अपने ऑफिस के लोगों को क्यों नहीं समझाते कि तुम्हारी अपनी भी पर्सनल लाइफ है?" नेहा ने बहस की।

"उनको समझाना मुश्किल है पर तुम तो समझ सकती हो। हम घूमने के लिए अगली बार चले जाएंगे। आज मेरा ऑफिस जाना जरूरी है।" विक्रम ने एक बार फिर कोशिश की।

"नहीं, इतनी मुश्किल से हमें आज मौका मिला है। मैं तो आज ही जाऊंगी तुम अपने ऑफिस में मना कर दो।" इस बार नेहा चिल्लाते हुए बोली।

"नेहा मैं उस ऑफिस में काम करता हूं वह मेरे बाप का नहीं है, तो जब काम होगा मुझे जाना पड़ेगा।" अब विक्रम को भी गुस्सा आ गया था तो वह भी नेहा पर चिल्ला पड़ा।

"ठीक है तो मुझे तलाक दे दो और अपने काम से ही शादी कर लो।" कहते हुए नेहा अपने कमरे में चली गई और दरवाजा बंद कर लिया।

विक्रम भी बड़बड़ाते हुए ऑफिस के लिए तैयार होने लगा और तैयार होकर बिना कुछ कहे ही निकल गया। पर थोड़ी देर बाद उसे एहसास हुआ कि उसने नेहा पर चिल्ला कर अच्छा नहीं किया है। इसीलिए वह बार-बार नेहा को फोन कर रहा था पर गुस्से की वजह से नेहा फोन नहीं उठा रही थी। तो उसने नेहा को एक वॉइस मेल भेजा और उसके फोन का इंतजार करने लगा।

 उधर कुछ देर बाद नेहा को भी एहसास हुआ कि इतनी नाराजगी ठीक नहीं है। उसने विक्रम को फोन करने के लिए फोन उठाया तो उसे वॉइस मेल दिखाई दिया। जब नेहा ने वॉइस मेल खोला तो उसने विक्रम की आवाज थी। वह कह रहा था:

 "नेहा मुझे पता है तुम मुझसे नाराज हो और होना भी चाहिए। पर मुझ पर भरोसा करो मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी करना चाहता हूं। पर उन ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए मेरा नौकरी करना भी जरूरी है। मुझे पता है कि तुम नाराज हो पर अपना गुस्सा थूक दो। मैं जल्दी काम खत्म करके घर आ जाऊंगा और फिर हम बाहर चलेंगे।"

 यह सुनकर नेहा का गुस्सा एकदम से गायब हो गया और उसने तुरंत ही विक्रम को फोन लगाया। पर दूसरी तरफ विक्रम ने नहीं बल्कि कि सी अजनबी ने फोन उठाया।

 "हेलो' आप कौन हैं? यह मेरे पति का फोन है, आपके पास कैसे आया?" नेहा ने हैरान होते हुए पूछा।

 "आपके पति का एक्सीडेंट हो गया है और हम उन्हें सिटी हॉस्पिटल लेकर आए हैं। आप जल्दी से जल्दी यहां पर आ जाइए।" दूसरी तरफ से आवाज आई।

यह सुनकर नेहा को मानो सांप सूंघ गया। फोन उसके हाथ से छूटकर गिर गया और वह समझ नहीं पा रही थी कि क्या करें? किसी तरह उसने खुद को संभाला और जल्दी से अस्पताल पहुंची। वहां पर डॉक्टर ने बताया कि विक्रम खतरे से बाहर पर उसके पैर की हड्डी में फ्रैक्चर है और सर पर थोड़ी सी चोट है। उसे फर्स्ट एड दे दिया गया था पर वह होश में नहीं आया था। यह सुनकर नेहा भागती हुई विक्रम के बेड के पास पहुंची और उसका हाथ पकड़कर रोने लगी। करीब 10 मिनट के बाद विक्रम को होश आया और नेहा को अपने पास देख कर उसकी भी आंखों में आंसू आ गए।

"मुझे माफ कर दीजिए मुझे आपसे इस तरह लड़ना नहीं चाहिए था।" नेहा रोते हुए विक्रम से बोली।

"मुझे भी माफ़ कर दो नेहा मुझे भी इस तरह बिना कुछ कहे घर से नहीं आना चाहिए था।" विक्रम ने नेहा के सर पर हाथ रखते हुए कहा।

दोनों बहुत देर तक एक दूसरे को देख कर रोते रहे और सोचते रहे कि अगर आज विक्रम को कुछ हो जाता तो वह एक दूसरे को कभी माफ नहीं कर पाते और वह वॉइस मेल महज एक अनकहा जज़्बात बनकर रह जाता।


   


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