वो पहली बारिश

वो पहली बारिश

2 mins
683


उस दिन लेक्चर खत्म होते ही, रोज के रिचुअल की तरह बबलू कैंटीन ‌गए और चाय, समोसा खाकर,‌ सब मित्र घर जाने लगे, कोई बाइक से तो कोई काइनेटिक से निकल गए और बच गए वो और मैं।

हम दोनों को ही पास में ही होस्टल जाना था, हम जैसे ही थोड़ी दूर चले कि अचानक बादल गरजने लगे और बिजली भी चमकने लगी, न न, फिल्मी सीन जैसा कुछ नहीं हुआ, ना मैं डरी, ना मैं उससे लिपटी।

बारिश शुरु हो गई थी और वो भी एकाएक तेज, जैसे जैसे बारिश तेज, वैसे वैसे हमारे कदम भी तेज, पर अब चलना मुश्किल लग रहा था, और दूर दूर तक कोई पेड़, शेड भी नहीं दिख रहा था, एक पेड़ कम घना दिखा, उसने कहा यहीं खड़े जाते हैं, पेड़ ना कम घना तो था ही उसकी डालियां और पत्तियां भी काफी हल्की हल्की थी। बोटनी शुरु से ही वीक रही है और उस पर हम ठहरे लेक्चरर के स्टुडेटंस अपने पूरे जोर पर थी और इधर हम दोनों ही पूरे भीग चुके थे।

 मैं सलवार कुर्ता पहने दुपट्टे से अपने आपको कवर कर रही थी, कुछ ओड ही लग रहा था, उसने शायद नोटिस किया, उसने अपने बैग से मेरे सर को कवर किया और जहां कम पानी था मुझे खड़ा किया और खुद मेरे आगे मुझे कवर करते खड़ा हो गया, मैं पीछे खड़ी, उसके चौड़े कंधों को देखती रही,और पानी से भिगती मिट्टी और पेड़ पौधों की खुशबू के साथ, उसकी महक।

आह, पानी बरसता रहा, मैं पिघलती रही, दिल को ना छोटी छोटी बातें ही लुभाती है ,उसे कहााँ कुछ और चाहिए । उसे अच्छा बिहेव, थोड़ी केयर ,थोड़ा दुलार, बस यही तो चाहिए।

फिर कुछ देर बाद बारिश कम हुई तो हम फिर चलने लगे पर कोई कुछ बोल नहीं रहा था और मेरे होस्टल का गेट आ गया था, अरे बताना भूल गई, यूनिवर्सिटी के लेफ्ट में गर्लस हॉस्टल, राइट से राइट लेकर आगे बॉयज हॉस्टल, हां तो मैं कह रही थी कि वो मुझे छोडकर जाने लगा तो हँसते हुए कहा- अच्छी अदरक वाली चाय पी लेना, बाय कल मिलते हैं।

मैंने उसे भरपूर नजर देखते हुए कहा तुम भी पी लेना, हां कल मिलते हैं, बाय। मैं उसे जाते देखती रही और दिल खूब तेज धड़क रहा था, रोम रोम चेतन हो गया था

गेट से अंदर आते हुए समझ नहीं आ रहा था कि मुझे क्या हो रहा है।

विंग में आई तो देखा कमरे के बाहर रखे गमले में इतने दिनों बाद एक छोटी सी खूबसूरत सी कोंपल फूट पड़ी थी।

पड़ोस के कमरे से गाने की आवाज आ रही थी,आज मैं उपर, आसमां नीचे।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance