वो नोट्स वाली लड़की
वो नोट्स वाली लड़की
मुझे आज भी अच्छी तरह याद है जब मैंने उसे पहली बार देखा था। कॉलेज का तीसरा दिन था, मैं सीढ़ियों पर बैठ कर अरजीत सिंह के गाने गुनगुनाते हुए अपने नोट्स को व्यवस्थित कर रहा था। तभी अचानक बड़े ही मधुर स्वर ने मेरे ध्यान को भंग किया "जी क्या आप मुझे कल के लेक्चर के नोट्स दे सकते हैं, कल मैं नहीं आई थी।" मैंने नजर उठा कर देखा तो कंधे पर बैग, हाथों में किताबें, जींस-कुर्ती पहने, सुन्दर नैन-नक्श वाली एक लड़की खड़ी थी। नोट्स तो मैं दे दूँगा पर मैं आपको जानता ही नहीं और आप मुझे कैसे जानती हैं, क्या नाम है आपका? ये सब मैं एक ही सांस में बोल गया। "श्रुति" "श्रुति शर्मा", दरअसल मैंने आपको पहली बार कॉलेज के फ्रेशर्स पार्टी में देखा था वो बोली। मैंने उसे नोट्स दिया और कल लौटाने को बोल कर वो चली गई।
अगले दिन उसने नोट्स लौटाया और मुस्कुराती हुई चली गई। वो हमेशा मुझसे मिलने के लिए मेरा कॉलेज के गेट पर इंतजार करती। रोज मेरी तरह जल्दी ही कॉलेज जाती थी। मुझसे से क्वैशचन डिस्कस के बहाने कैंटीन में भी मिलने आ जाती। एक बार और वो कॉलेज नहीं आई और अगले दिन उसने फिर मुझसे नोट्स मांगी, और मैंने उसे दे दिया। अगले दिन वो नोट्स वापस कर मुस्कराई और चली गई। मैंने नोट्स को खोल कर देखा तो उसमें एक रंगीन कागज़ मोड़ कर रखा हुआ था। उसमें लिखा हुआ था- "आई लव यू " और नीचे उसका नंबर था और उसके नीचे आपकी श्रुति लिखा था।
मैं करियर के प्रति गंभीर था। इसलिए मैंने उसे न चाहते हुए भी ना बोल दिया। अगले दिन से वो उखड़ी-उखड़ी सी रहने लगी, अक्सर लेक्चर में अनुपस्थित रहने लगी। दिन बीतने लगे,
उसका तो पता नहीं पर मेरा ध्यान हमेशा उस पर रहने लगा था। कॉलेज खत्म हुआ और वो मुझसे दूर हो गई और मैं उसके आखिरी सवाल का जवाब आज तक नहीं दे पाया...
उसका सवाल था... मेरी क्या ग़लती थी?