वो हवस भरी लड़कीं-2

वो हवस भरी लड़कीं-2

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मैं कमरे मेंं पहुंचा ! वो अजनबी लड़की अजनबियों की तरह ही उस गार्ड को देखे जा रही थी जो उसे होश मेंं लाया था।

कौन है ये लड़कीं !जानते हो तुम इसे ? मैंने गार्ड से पूछा।

साहब ये तो मेंमसाहब के साथ कल शाम को आई थी उस गार्ड ने उस लड़की की और देखकर बोला।

कौन हो तुम इस बार मैंने सीधा उसी लड़कीं से पूछा।

जी मैं रेशमा हूँ उस लड़की ने बिना किसी लाग लपेट के बोला।

सौम्या तुम्हारे साथ थी आज रात को मैं समझ गया था कि सौम्या उसे यहाँ क्यो लाई होगी। मेंघना अपने घर गई हुई थी दो दिनों से तो सौम्या को अकेलापन सहन नहीं होता होगा।

जी मैडम ने ही मुझे बुलाया थारेशमा ने बोला।

सौम्या कहाँ है फिर जब तुम उसके साथ थी तो ? मैंने रेशमा के चेहरे पर अपनी नजरें जमा कर पूछा।

पता नहीं मैं तो एक बजे के करीब सो गई थी..उसके बाद मैडम कहां गई मुझे नहीं मालूम ? रेशमा सहज भाव से मेंरे हर सवाल का जवाब दिए जा रही थी।

अगर तुम एक बजे सो गई थी तो इस कमरे मेंं कैसे पहुंची तुम ? तुम्हे तो सौम्या के बेडरूम मेंं होना चाहिए था मैंने एक द्वीअर्थी सवाल उसके चेहरे से बिना नजर हटाये हुए पूछा।

मैं तो उनके बैडरूम मेंं ही थी रेशमा ने ये बोलकर मेंरे दिमाग के तार झनझना दिए।

मैंने सबसे पहले सौम्या का बैडरूम ही चेक किया था..तुम तो मुझे वहां कही नजर नहीं आई मैंने संशय भरी नजरों से उसे देखा।

ये सौम्या मैडम का बैडरूम ही तो है ! जहां पर आप इस समय हो रेशमा के इस जवाब ने एक बार फिर मेंरे दिमाग की चकरा दिया।

लेकिन उनका बैडरूम तो पहली मंजिल पर था मैंने इस बार गार्ड की और नजर घुमा कर पूछा।

साहब ! वो राजीव साहब के जेल जाने के बाद मेंमसाहब ने अपना बेडरूम इसी रूम को बना लिया था ! मेंघना मेंमसाहब भी उनके साथ इसी रूम मेंं रहती है इस बार गार्ड ने मेंरी बात का जवाब दिया।

तुम सौम्या को कब से जानती हो ? मैंने अब फिर से रेशमा पर अपना धयान लगाया।

जी मैं तो मैडम की कंपनी मेंं ही काम करती हूँ...जब भी मैडम का मूड होता है मुझे बुला लेती है रेशमा ने बेबाक़ी से जवाब दिया।

मैंने अब गार्ड को वहां से बाहर भेजना ही मुनासिब समझा ? हालांकि उस कोठी मेंं काम करने वाले किसी भी इंसान से सौम्या की फितरत कोई छुपी हुई चीज़ नहीं थी।

मेंरा इशारा पाकर गार्ड उस रूम को छोड़कर जा चुका था। मैं फिर से रेशमा से मुखातिब होने वाला ही था कि मेंघना ने कमरे मेंं प्रवेश किया।

कुछ पता चला सौम्या के बारे मेंं ? मेंघना ने घबराए स्वर मेंं पूछा।

नहींं अभी तो उसका फ़ोन स्विच ऑफ ही आ रहा है...और जिसने इस लड़कीं पर हमला किया था वो शख्स भी फरार हो गया मैंने मेंघना को अभी की स्थिति बताई।

रेशमा तुमने उस आदमी को देखा था क्या जब उसने तुम पर हमला किया मेंघना ने रेशमा से पूछा।

सौम्या को लग रहा था कि कुछ दिनों से कोई व्यक्ति उसका पीछा कर रहा है और उस पर नजर रख रहा है ?इस बारे मेंं कभी उसने तुम्हे बताया था ! मैंने मेंघना के सवाल को काट कर अपना सवाल मेंघना से पूछा।

नहीं उसने तो मुझे कभी भी इस बारे मेंं नहीं बताया !नहीं तो अब तक तो हम इस बारे मेंं पुलिस कंप्लेंट कर चुके होते मेंघना ने मुझे बताया।

यार सौम्या रात को ढाई बजे मुझे फ़ोन करती है और मैं बिना वक़्त गवाये यहां पैंतालीस मिनट मेंं पहुँच जाता हूँ...इतनी सी देर मेंं सौम्या एक ऐसे घर से गायब हो जाती है जहां उसके पहलू मेंं एक लड़की सोई हुई है और बाहर गेट पर चार चार गार्ड पहरा दे रहे है मैंने ये बात जैसे खुद से ही बोली हो।

मेंघना और रेशमा दोनो मेंरी और असमंजस भरी निगाह से देख रहे थे।

अब हमेंं क्या करना चाहिए ? मेंघना ने मेंरी और देख कर पूछा।

सबसे पहले इस कोठी का चप्पा चप्पा छान मारो.. मुझे नहीं लगता कि सौम्या इस कोठी से बाहर जा पाई होगी मैंने मेंघना को बोला।

कहाँ से शुरू करे सबसे पहले इसी मंजिल के सारे कमरे छान मारो मैंने मेंघना को बोला।

क्या इस काम में गार्ड की भी मदद ले मेंघना ने मेंरी और देखकर पूछा।

नहीं ये काम अभी सिर्फ मैं और तुम मिलकर करेगे...अभी किसी तीसरे को इसमेंं शामिल नहीं करना मेंरी बात सुनकर मेंघना ने सहमति से अपना सिर हिलाया।

सर मैं क्या करूँ ? रेशमा ने हम दोनों की और सवालिया निगाह से देखा।

तुम भी आओ हमारे साथ...कही तुम्हे अकेला देखकर वो तुम पर दोबारा हमला न कर दे मैंने रेशमा को बोला।

लेकिन सर वो मुझ पर हमला क्यों किया ? मैं तो उसे जानती भी नहीं और न ही वो मुझे जानता होगा ? रेशमा ने अपनी अक्ल के घोड़े दौड़ाए।

उसने शायद तुम पर सौम्या के धोखे मेंं हमला किया होगा ? लेकिन अगर उसने तुम्हे सौम्या समझा तो इसका मतलब सौम्या हमलावर के हत्थे नहीं चढ़ी थी ?फिर सौम्या कहां लापता हो गयी मैंने एक बार फिर से उन लोगो की और देखते हुए बोला।

लेकिन एक बात मेंरी समझ में नहीं आई कि ये बात सौम्या ने तुम्हे क्यो नहीं बताई मेंघना...जबकिं इस दुनिया में एकमात्र खैरख्वाह तुम्ही हो मैंने एक बार फिर से मेंघना से इस बारे मेंं पूछा।

शायद वो मुझे किसी चिंता मेंं न डालना चाहती हो अनुज...वैसे वो तुम्हे भी अपना खैरख्वाह ही मानती है..वो हर बात मेंं एक बार तो तुम्हे याद कर ही लेती है मेंघना ने ये एक नई बात मुझे बताई थी।

चलो वो मुझे क्यो याद करती थी इस बारे मेंं बाद मेंं बात करेंगे.. पहले सौम्या को ढूढना शुरू करते है यार मैंने मेंघना की बात को अवॉयड करना ही सही समझा। क्योकि ये चर्चा का एक लंबा विषय बन जाता।

तुम दोनो नीचे की मंजिल से शुरू करो....इस कोठी का कोई भी कौना छूटना नहीं चाहिए मैंने उन दोनों को ताकीद किया।

वो दोनो हसीन बालाएं अपने काम के लिए नीचे की ओर प्रस्थान कर गई। आपका सेवक अब इसी मंजिल के बाकी कमरों को चेक करने मेंं जुट गया। मैंने उस मंजिल के सभी कमरों को बारी बारी से अपने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करके चेक किया लेकिन वहां सौम्या तो क्या उसके बदन की खुश्बू का भी एहसास मुझे किसी कमरे मेंं नहीं मिला।

उस मन्जिल के बाद ये बन्दा अब तीसरी मंजिल की ओर मुखातिब हुआ। हालांकि तीसरी मंजिल पर रहने वालों का अभाव गुप्ता जी के जीवन काल में भी था तब अभी अमूमन ग्राउंड फ्लोर,फर्स्ट फ्लोर, और फोर्थ फ्लोर ही कुछ कुछ आबाद रहा करता था।

मैं तीसरी मंजिल पर पहुंचा। उस मन्जिल पर भी कब्रिस्तान जैसी खामोशी पसरी हुई थी। नील बटे सन्नाटा। सुई भी अगर गिरे तो उसकी खनखन की आवाज आपको ज्यो की त्यों सुनाई देगी। मैं उस मंजिल के भी हर कमरे को खोल खोल कर चेक करने लगा। लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात।

मुझे अपनी ये सारी कसरत जो मैं खुद भी कर रहा था और मेंघना और रेशमा से भी करवा रहा था बेमानी लगने लगी।

तीसरी मंजिल की चेकिंग के भी कोई नतीजा नहीं निकला। मेंरे थके हुए से कदम अब चौथी मंजिल की ओर उठ चुके थे। चौथी मंजिल से आपका सेवक भलीभांति परिचित था। क्योंकि मैं राजीव की छोटी बहन नेहा की मौत के बाद उसके कमरे की तलाशी के सिलसिले मेंं इस मंजिल की खाक छान चुका रहा। मैं चौथी मंजिल पर पहुंचा। खामोशी और सन्नाटे के मामले मेंं कोई भी मंजिल उन्नीस साबित नहीं हो रही थी।सभी मंजिल एक से बढ़कर एक लग रही थी।

मैंने अपना वही काम यहां भी शुरू किया जो मैं नीचे की दो मंजिलो पर करके आ रहता। मैं आहिस्ता आहिस्ता सभी कमरों की तलाशी लेते हुए आगे बढ़ रहा था। लेकिन मुझे अब तक सभी कवायद बेमानी लगने लगी थी। मैं बुझे मन से अगले दरवाजे की ओर बढ़ा।

खटाक तभी कही कुछ गिरने की आवाज मुझे सुनाई दी। वुस मंजिल पर अभी तक तो मुझे मेंरे अलावा कोई नजर नहीं आया था। फिर ये आवाज कहाँ से आई थी। मैं अचानक से चौकन्ना हो गया। मैंने सतर्क नेत्रों से अपने आसपास देखा। लेकिन उसके बाद फिर से कोई आवाज नहीं आई। तभी...

धम धम ...धम धम धम की आवाज मुझे नीचे वाली मंजिल से आती हुई सुनाई देने लगी। मैं तुरंत उल्टे पांव नीचे की मंजिल की और भागा।

छन्न छन्न छन्न.... वो धम धम की आवाज अब छन्न छन्न की आवाज मेंं बदल चुकी थी। ये सब आवाजे आ कहा से रही थी। मैं तीसरी मंजिल पर आ चुका था। लेकिन ये लगातार आती हुई आवजे आ कहाँ से रही थी...ये अभी तक मेंरे लिए रहस्य था। बाहर हो सकता है कि दिन का उजाला हो गया हो लेकिन यहां अभी भी लाइट की वजह से ही उजाला था।

तभी नीचे से मेंघना और रेशमा भी दौड़ती हुई ऊपर आ चुकी थी।

अनुज ये आवाजे कैसी है ? मेंघना की आवाज मेंं कुछ कुछ डर व्याप्त था।

पता नहीं कहाँ से आ रही है ? मैं तो खुद हैरान हूं मैंने खुद असमंजस से उन दोनों को देखा।

ये आवाजे नीचे तक आ रही है अनुज...हमने नीचे के सारे कमरे छान मारे लेकिन सौम्या का कही पता नहीं लगा मेंघना ने मुझे वही निराशाजनक खबर सुनाई जो मेंरे पास भी थी।

मैं भी दूसरी तीसरी और चौथी मंजिल पूरी छानचुका..लेकिन मुझे भी सौम्या कही नजर नहीं आई मैंने भी उन दोनों को बोला।

अनुज अब आवाजे आनी बन्द हो गयी है मेंघना ने मेंरा ध्यान फिर से उन आवाजो की तरफ दिलाया...जो कि अब सचमुच बंद हो चुकी थी।

यार सौम्या को अगर कोई बेहोश करके भी ले गया होगा तो वो लेकर तो मेंन गेट से ही जायेगा ! क्योकि और कोई रास्ता तो बाहर जाने का रास्ता हैं नहीं ? वैसे तो नींद की वजह से मेंरी अक्ल के घोड़ो ने दौड़ना बंद कर दिया था..लेकिन फिर भी मैं अपनी अक्ल दौड़ा ही रहा था।

कही ऐसा तो नहीं की वो अकेली ही यहां से बाहर गई हो इस बार मेंघना बोली।

वो अकेली बाहर कैसे जा सकती है ..जबकिं वो मुझे बोल रही है कि कोई शख्स बाहर ही खड़ा है !उस पर नजर रखने के लिए....और फिर जाएगी तो अपनी किसी गाड़ी मेंं जाएगी और गेट पर मौजूद गार्ड की जानकारी मेंं जाएगी ? लेकिन जब मैं रेशमा से इस बारे मेंं पूछ रहा था तो गार्ड ने इस बारे मेंं कुछ नहीं बताया मैंने मेंघना की बात को अपने तर्कों के बाणों से लहूलुहान कर दिया।

हम्म तुम सही कह रहे हो ....लेकिन घूम फिर कर सवाल तो वही आ जाता है कि सौम्या आखिर गई तो गई कहां ? मेंघना ने अपने इस सवाल की बन्दूक फिर से मेंरी ओर तान दी।

दिमाग तो कहता है कि उसे इसी कोठी मेंं होना चाहिएमैंने बहुत सोचने के बाद अपना मत प्रकट किया।

तुम सभी गार्ड्स को यहां बुलाओ...अगर कोई नतीजा नहीं निकलता है तो पुलिस को खबर करो मेंघना ने आखिरी नतीजा घोषित किया।

मैंने रेशमा को भेजा सभी गार्ड्स को वहां पर बुलाने के लिए..रेशमा कुछ हिचकिचाते हुए नीचे की ओर चल दी। मैं उसकी मनोस्थिति को समझ सकता था। इस वक़्त यहां जो हालात थे उसमें उसका अकेले कही भी जाने मेंं डरना स्वभाविक था।

हम दोनों अब गार्ड्स के आने का इंतजार करने लगें।थोड़ी ही देर मेंं चारो गार्ड्स सावधान की मुद्रा मेंं हमारे समक्ष खड़े थे।

मैंने बारी बारी से रात को 2 बजे के बाद कि उनकी गतिविधियो के बारे मेंं पूछा। खासतौर पर सौम्या मैडम को उन्होंने कोठी से कही बाहर जाने के बारे मेंं पूछा। लेकिन सभी के जवाबो से मुझे निराशा ही हाथ लगी।

मैं सौम्या की उलझन को यहां सुलझाने के लिए यहां आया था। लेकिन सौम्या अब मेंरे लिए खुद एक उलझन बन चुकी थी।

सौम्या ने अपनी आदतों के चलते कोई ऐसा आशिक़ तो नहीं पाल लिया था जो उसके लिए अब खतरा साबित हो रहा हो मेंरे दिमाग में अचानक से ये बात आई थी।

मुझे भी अब ऐसा ही लग रहा है अनुज...सौम्या के किसी आशिक की वजह से ही आज हम इस कदर परेशान हैं मेंघना ने मेंरी हाँ मेंं हां मिलाई।

तुम जानती हो उसके ऐसे किसी आशिक़ के बारे मेंं मैंने उम्मीद भरी नजरों से मेंघना की तरफ देखा।

उसकी लिस्ट मेंं तो लड़के और लड़कियां दोनो ही काफी मात्रा मेंं है...पैसे और खूबसूरती का समागम किसी किसी के नसीब मेंं होता है अनुज...जो सौम्या के नसीब मेंं था...बनाने वाले ने उसे इतना खूबसूरत बनाया है कि लड़कियां ही उससे

जल जल मर जाये और लड़के तो उसके लिए किसी भी मंजिल से छलांग लगा दे या किसी को उसके एक बार कहने पर फेकने को तैयार हो जाये सौम्या के बारे मेंं बताते बताते मेंघना की आंखों मेंं एक अनोखी और कामुक चमक आ चुकी थी।

खुशनसीब तो तुम भी हो...ऐसी खूबसूरती और पैसे के संगम की मल्लिका रोज तुम्हे अपने सीने से लगा कर सुलाती है ? तुमने तो उसका टेस्ट ही बदल दिया यार...अब हमारे जैसे दिलफेंक आशिको का क्या होंगा उस तनाव भरे माहौल मेंं भी मैं अपनी आदत से बाज नहीं आ रहा था।

तुम्हारे लिए तो हम दोनों ही अपना टेस्ट बदलने के लिए तैयार बैठें है...पर जनाब पता नहीं किस मिट्टी के बने है जो कभी पकड़ मेंं आते ही नहीं मेंघना भी एक पल को सौम्या के नहीं मिलने का गम भुला बैठी थी।

खुश्बू आती रहे दूर से ही सदा..सामने हो चमन कोई कम तो नहीं हसीनाओं के मामले मेंं अपने उसूल कुछ इसी प्रकार के है मैंने मेंघना को मुस्करा कर बोला।

ठीक है डटे रहो अपने उसूलों पर अपना क्या है तू नहीं तो और..और नहीं तो और सही ये बोलकर मेंघना के साथ साथ इस बार तो रेशमा भी मुस्करा पड़ी।

चलो देखो अगर राधा उतजी गई हो तो उसे बोलो की चाय बना कर लाये..तब तक मैं थाने मेंं खबर करता हूँ ये बोलकर मैंने उन दोनों को नीचे की ओर चलने का इशारा किया।

थाने से आने वाला पुलिसिया एसआई चौहान।


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