वनवासी और अंतरिक्ष मानव -भाग 1
वनवासी और अंतरिक्ष मानव -भाग 1
आसमान से एक अग्नि गोला मध्यरात्री के घनघोर अँधेरे को चीरते हुए धरती के वनवासी क्षेत्र में गिरा I हुर्र-हुर्र करते वनवासियों का समूह प्रकाशमय दिशा की ओर निकल पड़ा I
वनवासियों का नेतृत्व "बुलका" कर रहा था I घने पेड़ पौधों को पारकर सभी प्रकाशमय स्थान पर पहुँच गये I
चारो तरफ आग की लपटें थी और झाड़ियाँ झुलस गयी थी I सामने एक बड़ा सा गोला दिखा, और उसमे से एक नीले सफ़ेद कपड़े पहने अंतरिक्ष मानव बाहर आया I
सभी इस विचित्र वेशभूषा वाले मानव को को देखकर विस्मित हो रहे थे I इतने सारे वनवासियों को देखकर अंतरिक्ष मानव (सुधांश- अन्तरिक्ष प्रोग्राम का एक अंतरिक्ष यात्री) सहम गया और खतरे को भांप कर सूट खोलकर बाहर निकला I
बुलका सामने आया और अपने भाषा में उससे पूछा I यह भाषा अलग थी और सुधांश कुछ जवाब ना दे पाया I अचानक सुधांश के गर्दन पर एक सुई आ लगी और वह बेसुध होकर गिर पड़ा I
उधर अंतरिक्ष प्रोग्राम में शामिल वैज्ञानिक उसके सकुशल वापसी का अनुसन्धान कर रहे थे और वनवासी क्षेत्र तक जाने के लिए काफी मसक्कत कर रहे थे I वनवासी क्षेत्र तक पहुंचना इस लिए भी मुश्किल हो रहा था क्योकि रास्ते में नक्सलियों का आतंक था और वो उस रास्ते से गुजरने वाले हर वाहन को भूमिगत बम से उड़ा देते थे I
लैंडिंग साईट तक पहुँचने के लिए एक टीम बनाया गया और उसकी अगुवाई कर रहे थे - मिस्टर सांगी I काफी मीटिंग के बाद टीम ने ड्रोन की सहायता से जंगल में प्रवेश करने की योजना बनायीं गयी I
गहरी नींद का समय सुबह के ३ बजे इस योजना की शुरुआत हुयी I
वनवासियों तक ड्रोन पहुँच गया और सुधांश की स्थिति का पता चल गया I वह सही सलामत था, लेकिन उसके हाथ पैर बंधे हुए थे I शरीर पर गहरे ज़ख्म के निशान नज़र आ आ रहे थे I उसे छुड़ाने के लिए अब टीम के पास गिनती का वक़्त था I
(कहानी का अगला हिस्सा जानने के लिए इंतज़ार करें )
क्रमशः ........