डुगडुगीया वाला घर (अध्याय-१)

डुगडुगीया वाला घर (अध्याय-१)

2 mins
439


चार साल बाद जब लौटे, तब सबसे पहले उस ढह चुके घर की ओर वह गरीब परिवार चल पड़ा। वैसे तो वहाँ कुछ बचा नहीं था, मगर उनकी यादें थीं। एक क्षतिग्रस्त तुलसी का चबूतरा, टूटी हुयी दीवारें, अनपकी खपरों के टूटे अवशेष, दीमक लगी लकड़ियाँ, ईंटो के ढेर में दबी दो-तीन साड़ियाँ और बच्चों के बस्ते, जिसमे कुछ स्केच पेन और दीमक से बचे पुस्तक और कांपियां। आसपास ऐसा तोड़-फोड़ का नज़ारा जैसे किसी ने जानबूझकर तोड़-फोड़ किया हो। घर का दरवाजा निकल लिया गया था, जो अब नदारद था।


जय साव, जिनके अभी सात बच्चे हैं और एक प्यारी सी पत्नी। तीन वर्ष पहले जब इस जगह उनका हँसता-खेलता घर था। गरीबी थी, और गरीबी से लड़ने को अनंत हौसला।


किराये के मकान में रहते थे और हमेशा मकान मालिक से पैसे के लिए झिक-झिक होती थी। बड़े मसक्कत के बाद आखिरकार एक घर बना हीं लिया। अपितु यह एक विवादित जमीन था, पर एक गरीब की गरीबी ने यह दुस्साहस भी कर लिया।


पहली बारिश की शुरुआत हुयी। छप्पर अनपकी खपरे से निर्मित थी, और पहली बारिश में भीग कर नीचे गिरने लगी। बच्चे नीचे खेल रहे थे, बारिश के साथ बिजली की दिल दहलाने वाली आवाज सुनाई पड़ रही थी। जैसे-तैसे करके पूरा परिवार बचने की कोशिश कर रहा था।


अचानक एक तेज आंधी आई, और घर के छप्पर का उपरी रेखा में स्थित छप्पर उखड़कर उड़ गया।


सभी डर चुके थे, पर गरीबी से बड़ा दुःख या डर कुछ नहीं होता। आंधी-तूफान-बिजली से भरा यह वक़्त आखिरकार ख़त्म हुआ और बारिश थम गयी।


सभी बाहर निकले और और देखा, छप्पर के सारे टुकड़े घर से दो सौ मीटर दूर पड़े हुए थे।

साव जी ऊपर चढ़े और छप्पर ठीक किया।

काफी मुश्किलों को सहते हुए आखिरकार छः महीने बीत गये और सन् २००० में घर से दूर दूसरे राज्य चले गये, और फिर लौटा तो पूरा विध्वंश मिला, आखिर क्या हुआ था? किसने तोड़ा? यह एक पहेली था।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama