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Deepa Das

Romance

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Deepa Das

Romance

विन्नी की दिया (एहसास की ड़ोर)

विन्नी की दिया (एहसास की ड़ोर)

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ज़िन्दगी के पन्नो में मेरी इक कहानी अधूरी रह गयी हाँ, मेरी मुहाब्बत अधूरी रह गयी।नया अन्जान शहर नये लोग कुछ नये रिश्ते बनेगे । स्कूल का पहला दिन । पापा आए थे छोड़ने । मैं धीरे जाकर क्लास मे बैठी ना कोई जान ना कोई पहचान । 

क्लास मै एन्टर करते ही। 

(अब यहाँ कहानी मे जो लोग है उनके नाम विन्नी, दिया, अजय) 


विन्नी: हाय! 


दिया: हाय!


विन्नी: कहाँ से हो?


दिया: दिल्ली ।


कुछ पल के लिए शान्ती और वो चला गया ।फिर क्लास मे ये शोर था, हमारे क्लास मे दिल्ली से एक लड़की आई है। सबने हाथ मिलाया, बात करना शुरु किया। 

विन्नी ने कहा, परेशान मत होना, कोई परेशानी हो मुझे बताना । दिया ने ठिके कहा और मुस्कुरा दिया ।।


क्लास शुरु हो गई , विन्नी की नज़र बार बार दिया पर जाने लगी , दिया ने भी एक - दो बार पलट कर देखा और दोनो ने हल्का सा मुस्कुरा दिया।।


ब्रेक का वक्त था। 

विन्नी: आओ लन्च करते है।

दिया: वो मैं ..........


फिर .................


दिया ने पूरी क्लास ने एक साथ बैठकर लन्च किया उस दिन । दिया बहुत खुश थी। उसको खुश देख कर विन्नी बहुत खुश हुआ ।।


छुट्टी का वक्त था, जैसे ही दिया गेट पर पहुँची विन्नी ने मुस्कुरा कर कहा कल मिलते है ।।

दिया ने भी मुस्कुरा दिया ।।

उस दिन पूरा दिया ने बस स्कूल की यादो को समेट लिया ।। 


अगले दिन विन्नी स्कूल जल्दी पहुँचा और दिया का इन्तजा़र करने लगा । दिया को दूर से आते देख विन्नी के चेहरे पर एक अलग सी खुशी आने लगी, दोनो एक साथ क्लास मे एन्टर करते पूरी क्लास की नज़र उन पर थी ।पूरी क्लास दिया की दोस्त बन गयी और फिर स्कूल। इसी बीच विन्नी को दिया पसन्द आने लगी। विन्नी ने अपने बेस्ट फ्रेन्ड़ अजय से कहा, मुझे दिया अच्छी लगती है। अजय का शक़ सच मे बदल गया ।।अजय का मानना था, कोई अच्छा लगे तो उसे बता दो। इन्तजा़र मत करो।। उस दिन छुट्टी पर विन्नी और अजय ने दिया का स्कूल के बाहर थोडा़ आगे जाके एक पेड़ के नीचे इन्तजा़र किया।दिया को आते देख दूर से विन्नी खुश हो गया

विन्नी: सुनो! दिया


दिया: हाँ !


विन्नी: मुझे तुमसे कुछ कहना है। मुझे तुम बहुत अच्छी लगने लगी हो।


दिया 2 मिनट के लिए चुप। एक दम खामोशी, तीनो कुछ नही बोले।


दिया: मैं घर जा रही हूँ , देर हो रही है।


इतना कह कर दिया घर चली गई और पूरा दिन बस यहीं सोचती रह गयी, क्या था जो विन्नी ने कहा ।अगले दिन दिया स्कूल नही गयी।  विन्नी थोडा़ परेशान और बेचैन था, दिया को स्कूल ना देख कर।उसी दिन स्कूल खतम होते ही विन्नी ने दिया को फोन किया।


दिया: हेलो! 


विन्नी: कैसी हो? आई क्यों नही आज?


बस खामोशी और दिया ने कहा मैं ठीक हुँ कल आऊँगी, कल मिलते है।


अगले दिन दिया स्कूल पहुँची बहुत आराम से दोनो के बीच हाय - हेल्लो हुआ । अजय ये सब देख रहा था।


फिर महीने - साल सब कुछ ऐसे निकल गये कि विन्नी और दिया कि दोस्ती बहुत गहरी होती गयी। पूरा स्कूल उनकी दोस्ती कि मिसाल देता था। अब आखरी साल था स्कूल का, विन्नी को पता चला इसके बाद दिया वापस दिल्ली चली जाएगी। सुनकर विन्नी पागल सा हो गया । रोज स्कूल के बाद जिस पेड़ के निचे तीनों मिलते थे विन्नी और अजय, दिया का इन्तजा़र करने लगे वहाँ जब उसे ये पता चला।


 दिया के आते ही विन्नी, गुस्से मे "जा रही हो मुझे छोड़ कर और बताना जरूरी भी नही समझा"।दिया कुछ बोल नही पायी, बस खामोश सुनती रही। विन्नी बहुत दुखी था।अजय खडा़ चुपचाप दोनो को सुनता रहा। अजय से दोनो का दर्द देखा नहीं गया। अजय बस यही सोच रहा था, क्या करूँ?


अगले दिन स्कूल मे अचानक ये नोटिस आया: स्कूल पिकनीक जा रही है। अजय बहुत खुश हुआ क्योंकि एक हफ्ते का वक्त मिल रहा है विन्नी और दिया को, फिर परिक्षाएँ शुरु हो जाएगी।


अजय ने दिया से पूछा, "तुम चलोगी ना?"


दिया ने कहा, नही घर पर मना हैं, नहीं जाने देंगें। जब विन्नी को पता चला, दिया नही आ सकती तो अजय और विन्नी ने मिल कर तय किया कुछ भी हो, दिया साथ चलेगी। स्कूल मे सब विन्नी और दिया कि दोस्ती कि बाते करते है।। अजय और विन्नी ने मिल कर अपनी क्लास कि मदद से दिया को पिकनीक ले जाने का प्लान किया।स्कूल मे सबने पैसे ज़मा किए।। सबने मिल कर दिया के लिए पैसे ज़मा किए। अब बारी हे दिया के घर बात करने कि। टीचरों की और सभी कि सबसे फेवरेट थी दिया। बच्चे सभी मिल कर प्रिन्सीपल के पास गये और बोले : हम आपसे विनती करते हे कि आप दिया के घर बात करे और उसे छोड़ने कि बात करे, वरना हम सब नहीं जाएगे।


प्रिन्सीपल ने सोचने के बाद दिया के घर फोन कर दिया । दिया कि माँ ने मना कर दिया। फिर जब उन्हें सारी बातें बताई गई तो फिर दिया की माँ ने दिया के पापा से पूछ कर दिया को जाने की अनुमती दि गयी । विन्नी और अजय बहुत खुश थे। दिया भी बेहद खुश थी। दिया नहीं जानती इसके बाद जिन्दगी उसे कहाँ ले जाएगी, तो उसे बस यही समझ आ रहा था जो पल मिल रहा है उसे जीलो, यादों को समेट लो। फिर ना जाने वो कहाँ मैं कहाँ।विन्नी और दिया इस वक्त तक एक दूसरे के बहुत खरीब आ चुके थे। ना दोनो मे लडा़ई ना ज्यादा बातें बस खामोशी और वो खामोशी मे सारी बाते बोल जाते थे। जब विन्नी कुछ गलत करता तो बस दिया उसे देखती पर कुछ बोलती नहीं। दोनो का प्यार इतना गहरा था कि एक दूसरे की आहट से भी पहचान लेते थे।


पिकनीक का दिन , सबकी खुशी एक तरफ इन दोनों कि खुशी एक तरफ। एक हफ्ते का सफर।बस मे चढ़ते ही विन्नी जल्दी चुपचाप दिया के पास जाके बैठ गया । दिया खुश भी और चुप भी । पिकनीक मे बहुत मस्ती हुई , यादे भी समेट ली। दिया जानती थी, उसके घर वाले बहुत सक्त है। पिकनीक खतम होने से एक दिन पहले विन्नी ने दिया को प्रोपोस किया और अपने दिल की बात बोल दी। एक बार के लिए अजय को लगा , बचपना होगा वक्त के साथ भूल जाएगा।

पिकनीक खतम होते होते विन्नी और दिया बहुत खरीब आ गये थे। वापस पहुचने के बाद परिक्षा है तो छुट्टीयाँ चल रही थी। दोनो फोन करते , एक दुसरे को बहुत मिस करते।परिक्षा शुरू हो गयी और दोनो मे से जो पहले परिक्षा खत्म करता दूसरे का पेड़ के निचे इन्तजा़र करता ।


परिक्षा खत्म हो गयी। दिया का दिल्ली वापस जाने का वक्त आ गया। विन्नी को दिया की जुदाई बर्दाश नही हो रही थी उसने अपने घर बता दिया और अपने माँ बाबा को लेके रिश्ता पक्का करवाने आया लेकिन दोनो घर वालो के बीच इतनी बहस हो गयी। तब विन्नी और दिया ने वादा किया घर वालो के खिलाफ जाके कभी शादी नही करेंगें ।


आखिर दिया के जाने का दिन आ गया। अजय और विन्नी उसे छोड़ने स्टेशन आए। दिया और विन्नी की धडकने तेज़ हो रही थी, एक अजीब सी बेचैनी ।

विन्नी को दूर से देख दिया के घर वाले गुस्सा हो गए थे पर दिया ने उसे संभाल लिया , स्कूल के कुछ दोस्त और भी थे इनके पीछे इसलिए दिया कि घर वाले शांत रहे।  गाडी़ आआ गयी। दिया बैठ गयी। दोनों बस एक दुसरे को कुछ बोल नहीं पा रहे थे। बस आँखों ही आँखों में बोल रहे है सब कुछ। गाडी़ चल पडी़ ऐसा लग रहा था दोनों को जैसे हाथ से सब कुछ छूट रहा था ।


 दिया दिल्ली पहुँच गयी और अपनी आगे की पढा़ई करने लगी। विन्नी और अजय भी आगे बढ़ने लगे।1998 को दिया विन्नी को छोड़ कर दिल्ली आ गयी थी। आज 2021.23 साल हो गये, ना एक दूसरे को देखा ना कभी मिले इतने सालों में, बस खत और फ़ोन कॉल्स के ज़रिए हमेशा साथ थे । दिल का एक एहसास था जो उन्हें जोड़े रखता था।


सोशयल मीडिया का ज़माना, इस जमाने मे भी दोनो एक दूसरे को खत लिखते है। 23 साल हो गये , आज भी इन्तजा़र हे दोनो को एक बार मिलने का। आज भी उनके खातों में प्यार मोहब्त की बातें नही होती , बाइक बुलेट और लांग ड्राइव की बातें होती है। दोनों के गानों की पसंद एक सी है। विन्नी को बाइक और बुलेट इतने पसंद है ठीक वैसे ही दिया को भी। ये सब देख आज भी अजय हैरान है। और बस कहता है। कैसा इश्क़ है ये क्या रिश्ता है ये। 

विन्नी आज भी इंटरव्यू जाने से पहले दिया से बात करता , फिर जाता। आज भी अपनी सी वी दिया से बनवाता।

चाह कर भी उसे कुछ नही कह पाता बस उसे हमेशा छेड़ता। पर जितना खुश वो दिया कि साथ है उतना किसी के साथ महसूस नही करता। आफिस से निकलते दिया को फ़ोन करता 2 घंटे का सफर पता ही नही चलता दोनों को, बातें गाने और खूब लांग ड्राइव्स की और स्कूल की यादें।  कभी कभी तो दोनों मिल के अजय को भी कॉल करते। विन्नी और दिया को पता है वो कभी साथ नही हो सकते लेकिन कहते है ना पहला प्यार भुलाया नहीं जाता। 

आज भी कोई शिकायत नही बस साथ ऐसे ही निभा रहे है। ये रिश्ता दोस्ती भी है इश्क़ भी है , पर सब अधूरा हैं।( देखते है दोस्तो क्या दोनो ऐसे जिन्दगी खत्म करेंगे या कभी मिल भी पाएंगे। )

इसी इन्तजार में - विन्नी की दिया ।


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