विकलांग
विकलांग
पता नहीं है हमें क्या हो गया है, हर दिन शिकायतों से भरा है जीवन, ईश्वर ने ये नहीं दिया वो नहीं दिया, बस इसी में अपने जीवन की खुशियों को ख़त्म किए जा रहे हैं, चलिए आज आपको एक कहानी सुनाती है....
एक गरीब बच्चा था,उसके पास चप्पल नहीं थी, जब वह सड़क पर चलता था तो कंकड पत्थर उसके पैरों में चुभते थे, गर्मी में छाले पड़ जाते थे तो उसे बहुत दुख होता था। एक दिन वह सुबह सुबह जल्दी-जल्दी उठकर तैयार हो गया कि आज भगवान से एक जोड़ी चप्पल मांगूगा और वह मंदिर की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसे एक विकलांग दिखाई दिया, जिसके दोनों पैर नहीं थे फिर भी वह दोनों हाथों से अपने जज़्बे और हौसलें के साथ मंदिर जा रहा था।ये जीवन जीने के लिए प्रेरणास्त्रोत है।वहाँ पहुँच कर दर्शन करके उस विकलांग ने ईश्वर को धन्यवाद दिया कि आपने मेरे दोनों हाथों को सलामत रखा है, तभी मैं आपका दर्शन करने आ पाया हूँ, वह गरीब बच्चा हैरान था कि
मेरे पास तो दोनों हाथ है, दोनों पैर है फिर भी नाराज हूँ और ये इतने तकलीफ़ों के बावजूद परमात्मा को शुक्रिया अदा कर रहा है, यही जीवन के प्रति सकारात्मक सोच होती है। बच्चा नतमस्तक हो गया और चप्पल माँगना ही भूल गया।
एक और सच्ची घटना आपके समक्ष रखती हूँ कि ऐसे ही एक युवा लड़के से पार्क में मिलती हूँ , जिसके दोनों हाथ नहीं है, पहले मुझे लगता था कि वो विकलांग है, लाचार है, परन्तु जब उससे बात करने लगी, उसके चेहरे पर जीवन की जो ऊर्जा नज़र आती है, वह आम तौर पर सामान्य लोगों में भी नज़र नहीं आती है रोज व्यायाम करता है, खुशमिज़ाज व्यक्तित्व ऐसा कि मिलकर हृदय गद् गद् हो उठता है।
भीख मांगने और लाचारी की सोच से ऊपर उठा कर इन्हें सक्षम बनाने में हम सभी सहयोग करे तो ये विकलांग कभी भी देश के बोझ नहीं होंगे अपितु एक सशक्त राष्ट्र के सक्षम व्यक्तित्व बनेंगे, बस एक पहल हम सभी के द्वारा करनी होगी।