विधवा

विधवा

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Mamma, mamma, आप उस आँटी के जैसी dress क्यों नहीं पहनते, वो देखो ना वो वाली आँटी रियाँश की mamma, देखो वो आँटी उस dress मे कितनी सुनःदय लग रही है नाऔर वो देखो mamma,वो प्रिती की mamma है ना, वो red saari मे कितनी अच्छी लग रही हैं  ओफोmamma आप देखते क्यों नहीं, वो देखो ना वो Harman की mamma, green dress में अच्छी लग रही है ना। मेरे सभी frnds की mamma कितने colourful कपड़े पहनती है, आप क्यो नहीं पहनते ऐसे Mamma आप तो बिँदी भी नहींं लगाते, और देखो ना mamma आप के lips भी कैसे हो गए हैं, आप भी lipstick लगाया करो ना mamma  

Mamma बताओ ना आप क्यों नहीं पहनते ऐसे colourful clothes बस आप तो हर वक्त यही white साड़ी ही पहनते हों। white साड़ी तो दादी पहनती है,जैसे अँकुश की दादी पहनती हैं। mamma अँकुश की दादी कितनी अच्छी है ना, मैं जब भी अँकुश के घर जाता हूँ ना खेलने, अँकुश की दादी हमें chocolate देती है, और mamma कभी-कभी ना वो हमारे साथ लुडो भी खेलती हैं। Mamma मेरी दादी क्यो नहीं खेलती मेरे साथ, और ना ही कभी chocolate देती है। आशीश स्कूल से PTM से लौटते हुए लगातार बोले जा रहा था,और अँजली ना जाने किन ख़्यालो में गुम थी।

आशीश ने झिँझोड़ा तो अँजली की तन्द्रा टूटी, mammmma आप बोलते क्यो नहींं, अच्छा है अब promise करो next time PTM में जब आप आओगे ना तो white साड़ी पहन कर नहीं आओगे । अँहाँ बेटा क्या कहा sorry बेटा मैनें सुना नहींं, आशीश फिर से अपनी बात दोहराता है। लेकिन अँजली फिर से ख़्यालो मे खो जाती है जैसे ही घर पहुँचते है तो रिक्शा वाला रिक्शा रोकता हैबहनजीयहीं रूकना है ना , रिक्शा का ब्रेक लगते ही जैसे अँजली के ख़्यालो को भी ब्रेक लग जाता है, वो एकदम ऐसे जैसे सोते से जागी हो। हाँ हाँ भईया बस यहीं रोक दिजिए, और रिक्शा वाले को पैसे देकर अन्दर आती है, आज ना जाने क्यो बार-बार उसै शौर्य का ख्याल सताए जा रहा था। फिर से वो शौर्य के ख़्यालो मे खो गई जब वो माँ बनने वाली थी, फैक्टरी से घर आते ही माँ ने बताया था कि बहू के पाँव भारी है, अरे ऐसे कैसे ना किसी डाक्टर को दिखाया, ना कुछ ऐसे कैसे पता चल सकता है, अरे पगले मैने ये धूप मे सफेद नहींं किए,

आज बहू को चक्कर आरहे थे और मितली भी हो रही थी, अरे माँ वो तो कुछ खा लिया होगा उल्टा सीधा, इसलिए होगा। लेकिन माँ कह रही थी, तो चलो कल डाक्टर को दिखा लेते है । अगले दिन सुबह ही तैयार होकर पहले डाक्टर के पास गए, डाक्टर ने चैकअप कर के बताया कि अँजली माँ बनने वाली है, शौर्य तो जैसे खुशी से पागल सा हो गया था, फूला नहीं समा रहा था, आज से ही उन्होने आने वाले बच्चे के लिए सपने सँजोने शुरू कर दिए थे। उन्होनें बच्चे का नाम भी यही सोचा था कि जो भी हो बेटा या बेटी वो हमारे प्यार की निशानी है तो हम उसका नाम भी अपने नामों से मिलता- जुलता रखेंगे अगर लड़की हुई तो अँजली का अ और शौर्य का श लेकर ** आशा ** नाम रखेंगे और लड़का हुआ तो अ और श से ** आशीश ** रखेंगे। नहींं भूलती उसे वो मनहूस रात जिस रात उसका मन कुछ ठीक नहींं था, बार-बार जी भी तो मितला रहा था उसका, और ना जाने क्यों अजीब सी बैचेनी हो रही थी उसे, शौर्य जो हर पल उसके चेहरे पर मुस्कराहट देखना चाहता है। उसने देखा आज अँजली कुछ खोई-खोई सी है चलो उसकी मनपसन्द चाट ले आता हूँ।  बासु की चाट देखकर तो उसके मुँह मे पानी आजाता था और बच्चो की तरह खुश हो जाती थी,

बच्चों की तरह उछल पड़ती थी। शौर्य मोटरसाइकिल स्टार्ट करता है और चाट लेने के लिए चला जाता है अँजली को बिन बताऐ भाग्य की विडम्बना शायद उसकी मौत वहाँ खड़ी उसी का इन्तज़ार कर रही है, रास्ते मे एक  truck उसे कुचलता हुआ निकल जाता है थोड़ी ही देर मे शौर्य का पार्थिव शरीर घर आ जाता है।। शौर्य को इस तरह देखकर अँजली तो बुत बन जाती है, और शौर्य की माँ - पिता ज़ोर -ज़ोर से दहाड़े मार-मार कर रोए जा रहे हैं।शौर्य की माँ बार-बार अँजली को कोस रही है अरी करम जली, खा गई मेरे बेटे को, क्या बिगाड़ा था मैंने तेरा, किस जन्म का बदला लिया तुने मुझसे,

मेरे बुढ़ापे का सहारा ही छीन लिया तुमने   तेरे लिए चाट लेने गया था, ना जाता तो आज मेरा बेटा जिन्दा होता  तु औरत नहीं डायन है डायनदेखै तो एक भी आँसु नहीं तेरी आँखो में, आशीश अभी भी अपनी बात पर बोले जा रहा थाmamma पहले promise करो कि next time आप भी colourful कपड़े पहन अर चलोगे स्कूल नहीं बेटा मै नहीं पहन सकती ऐसे कपड़े। दादी को अच्छा नहीं लगेगा बेटा और लोग क्या कहेंगेनहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता वो आशीश को प्यार से समझाने लगीmamma दादी को क्यो नहीं अच्छा लगेगा, दादी भी तो colourful clothes पहनती हैं और वो आप को ऐसे क्यो कहती है, आप तो सुन्दर परी जैसी हो ये डायन क्या होता है  नहीं जानता एक मासूम बच्चा इन शब्दो का अर्थनहीं समझ सकता वो इन बातो कोक्यो होता है हमारे समाज मे ऐसा क्यो किसी को किसी का मौत का ज़िम्मेदार ठहराया जाता है  ज़िन्दगी और मौत तो इश्वर के हाथों मै होती है, फिर उसमे इन्सान दोषी कैसे???क्यो एक विधवा से उसके जीने का हक छीन लिया जाता हैक्यो उसे किसी शुभ काम में शरीक होने की मनाही होती है क्यो उसके लिए हर तरह की बँदिशे होती है क्या एक सुहागिन स्त्री ही रँगीन कपड़े पहन सकती है, विधवा नहींं, क्या विधवा औरत के कोई अरमान नहीं होते क्या उसे अपने सपने पूरे करने का हक नहींं क्या कभी कोई स्त्री विधवा होना चाहती है कभी नहींं जब एक स्त्री की मृत्यु के बाद पुरूष दूसरा विवाह कर सकता है, एक आम ज़िन्दगी जी कसता है तो पुरुष की मृत्यु के बाद स्त्री क्यो नहीं एक आम ज़िन्दगी जी सकती  क्या कोई स्त्री की मृत्यु के बाद पुरूष को कहता है कि बेटा तुमने मेरी बहू को मारा है, तुम मेरी बहू के हत्यारे हो, तो ऐसा व्यवहार स्त्री के साथ ही क्यों ? क्यों ? क्यों ?


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