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Umaji Patil

Tragedy Classics Inspirational

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Umaji Patil

Tragedy Classics Inspirational

वारिस

वारिस

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रामप्रसाद का बेटा - अक्षय अमरिका क्या चला गया,बस वही का होकर रह गया वही गृहस्थी बसा ली रामप्रसाद यहा अकेला। पत्नी को गुजरे सालो हो गए घर-गृहस्थी संभालते-संभालते थक गया बेचारा अब हाथ-पावो ने भी साथ देना छोड दिया ले-दे के बस सहारा है, तो बस एक दोस्त तुलसीराम का।वही तो उसको चार दिन पहले धर्मादाय अस्पताल मे भरती कर के गया था लो वह आ गया। ''रामप्रसाद ! कैसी है सेहत अब ?''

''अब आराम जरुर है, पर बुढ्ढे को जवान तो नही किया जा सकता। ''

''सो तो है,उम्र का तकाजा ..."तुलसीराम ने कहा। ''तुम्हारी देखभाल तो ठिक से हो रही है यहा ?"

"घर मे अकेले पडे रहने से तो बेहतर है कि मेरा यहा कोई देखभाल तो करता है यहा की डा. नयन ने मेरी खूब देखभाल की।बिल्कुल एक बेटी की तरह मेरा खयाल रखती है।"

तुलसीराम सोचता रहा-'क्या बताऊ दोस्त ..... डा.नयन वही तेरी बेटी है। जो वारिस (बेटे) की चाहत मे तुने मेरे हाथों अनाथालय में भेजी थी। आज सब के होते हुए। सभी अनाथ.....'


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