'Striker' Shishir Majumdar

Romance

5.0  

'Striker' Shishir Majumdar

Romance

उस जैसी कोई साथी।

उस जैसी कोई साथी।

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भले आज उसका नाम ना लूँ

पर यादें मन में उसी की है।

भले देखूं नहीं आज उसे

पर आँखो में छवि उसी की है।


होंठ उसके कुछ बोलते तो नहीं

पर आँखे अभी भी उसकी कुछ कहती है।

बातें उसकी दिल में आये तो

मुस्कान चेहरे पर आ जाती है


आगे तो दोनों बढ़ गए

पुरानी सारी बातों को भुलाये।

पर आज भी छोटी-छोटी बात पर

ख्यालों में ज़िक्र उसी की आये।


खुशियों में कमी तो नहीं है

अपनी-अपनी ज़िन्दगी में अभी।

पर वजह की तलाश में अभी भी

खामोशियां ही हाथ रह जाये।



सोचता हूँ कभी-कभी मैं

क्या है थोड़ी सी भी गुंजाईश।

मौके की कमी तो नहीं है

पर क्या है उसकी भी यह ख्वाइश।


कभी मैं उसको कुछ ना कह पाया

ना ही कभी वो कुछ कह पायी।

ना कभी मैं पहल कर पाया

और ना कभी वो कर पायी।



क्या यूही बीत जायेगी यह ज़िन्दगी 

एक दूजे के बगैर ही।

दूसरे आयेंगे लोग तो बोहोत

पर क्या आएगी उस जैसी कोई साथी।


वक़्त ने क्या लिखा है आगे

कुछ होगा या नहीं क्या पता।

इतना समय तो निकाल ही लिया है

अब क्यों कवर है हुआ इसलिए खता।


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