उपकार

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एक बड़ा शहर था। उस शहर का नाम बेलापूर था।

उस गाँव मे एक भोजनालय था। एक महिला यह भोजनालय चलाती थी। चूँकि भोजनालय उस महिला का था पर भोजनालय जिस जगह पर था वह जगह उसकी नहीं थी। उसने वह जगह किराए पर ली थी। उसका भोजनालय एक कॉलेज के पास होने के कारण वह अच्छे से चलता था पर कॉलेज को दो महीने छुट्टी होने के कारण उसका भोजनालय अच्छे से नहीं चल पा रहा था।

इस वजह से उसके रेंट देने के पैसे पूरे नहीं हो सके और उस जगह का मालिक उसे जगह खाली कर दे देने को बोलने लगा। वह महिला रो-रो कर कह रही थी कि मैं दो दिनों में सारे पैसे दे दूंगी।

तब भी मालिक नहीं ने उसकी एक नहीं सुनी। उसी वक्त एक अफसर ने आकर उसका सारा किराया चुका दिया। उस महिला के पाँव छूए। उस महिला ने इसकी वजह पूछी तो वह कहने लगा,

"मैं तो सिर्फ यह ऋण उतारने का प्रयास कर रहा हूँ। जब मैं कॉलेज में पढ़ता था तब आप ही मुझे मुफ्त में खाना खिलाया करती थी।"

वह महिला भावविभोर हो गई।


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