उद्देश्य

उद्देश्य

4 mins
329


उनके जाने के बाद जिंदगी ठूँठ सी हो गई ! किसी काम में मन नही लगता, जीवन निरर्थक सा लगने लगा ! बच्चे काम के बाद वापस अपने परिवार और घर गृहस्थी में व्यस्त हो गये थे हों भी क्यों नहींये ज़िम्मेदारी भी तो ज़रूरी है ! उसे अपने पास रहने के लिए बुलाते पर वह ही ना जाती ! ऐसे कैसे एक ही झटके में अपना सब कुछ छोड़कर जा सकती है ? शादी के बाद पूरी ज़िन्दगी यहीं पर तो काटी है, यादें बसी हैं इस घर सेऔर फिर रिश्तेदार, अच्छे पड़ोसीजिन्होने सुख दुःख में हमेशा साथ दियाउनको छोड़कर बच्चों के पास जाकर बसनानही, नही, वही अकेलापन झेलना होगा सोचकर ही वह बेचैन हो जाती है ! पिछली बार वह महीने भर के लिए गयी थीपर तब दस ही दिन बाद वापस आ गयी ! बेटा, बहू लगभग सारा दिन के लिए ऑफिस चले जाते ! पोता, पोती सुबह स्कूल और फिर वहाँ से लौटकर थोड़ी ही देर बाद कोचिंग चले जाते ! वह दोनों अकेले रह जातेअड़ोसी, पड़ोसी तो जैसे पहचानते ही नहीशायद बड़े-बड़े शहरों में सब अपने में व्यस्त रहते हैं, किसी से मतलब नही रखते ! करने के लिए कोई काम नही होता तो टी़वी देखते पर वह भी कितना देखे ? फिर बोर हो जाते तो मन बहलाने के लिए उनके बारहवीं मंज़िल वाले फ्लैट में टंगे, ऊपर से झाँकते आते-जाते लोगों को देखते रहते और तब अपना शहर, घर व लोग बहुत याद आते ! तब पति साथ थे, तो दस दिन कट गये, पर अब तो वह अकेली हो गई है !

"माँ, पापा तो चले गयेअब आप अपना मन कहीं और लगाओ, व्यस्त रहो, नही तो बीमार हो जाओगी"परसों ही बड़े बेटे का फोन आया थाऔर भी ना जाने क्या-क्या कहता रहा ! वह ही क्या सभी यही कहते हैं कि पति को भूले, अपने को काम में व्यस्त रखेवह भी चुप रहती, सबकी बातें सुन लेती अब उनसे कैसे कहे कि "जीवन साथी बिछड़ने के बाद मन भी कहीं लगता है क्या ?और कैसे कहे कि एक पत्नी के लिए अपने पति को भूलना इतना आसान नहीं होता है !" कई बार उनकी याद करके अवसाद से भी घिर जाती, जीने की इच्छा खत्म हो जाती ! कभी-कभी दिल करता कि सबसे दूर, बहुत दूरकहीं चली जाये और कभी वापस ही नही आये !

 आज इसी धुन में यूँ ही टहलती हुई दूर तक निकल गईअचानक झाड़ियों के बीच गड्ढे से नवजात बच्चे के मद्धिम सी रोने की आवाज़ आती सुनकर वह ठिठक पड़ी ! बड़ी कोशिशों के बाद उसे बाहर निकाला तो झोले में एक बच्ची को देख दिल काँप उठा !शायद कुछ घंटे पहले ही उसे फेंका गया था और बड़ी बेरहमी से अगौंछे को गर्दन और पूरे शरीर में कसकर गाँठ लगाकर मरने के लिए छोड़ दिया गया थाओह, दिल भर आया "कितने निर्मम, हृदयहीन होंगे वो लोग !" 

उसने मदद के लिए लोगों को पुकारा तो थोड़ी ही देर में कई लोग इकट्ठा हो गए फिर उसे खोला गया तो उसके आँसू छलक उठे ! बच्ची की कोमल त्वचा जगह-जगह से छिल गई थी, खून रिस रहा था पर उसमें श्वास देखकर जल्दी से जल्दी अस्पताल ले जाने के लिए वहाँ खड़े लोगों की तरफ उसने आस भरी निगाहों से देखा ! पर बच्ची की ज़िम्मेदारी कौन ले ? अब सब फुसफुसाते हुए एक दूसरे का मुँह देखने लगे पर कोई आगे नही आया, धीरे-धीरे भीड़ भी छँटने लगी शायद नाजायज़ औलाद होने या शायद उसके लड़की होने की वजह से ! एक दिन की अभागी बच्ची, जिसका कोई दोष नही, जिसके भविष्य का कुछ पता नही था ! क्या होगा इसका ? मन व्याकुल हो रहा था ! कैसे इस बच्ची को इसके अपनों ने ही मरने के लिए छोड़ दिया ! क्या करे ? ऐसे इसे मरने के लिए भी तो नहीं छोड़ सकती !

उसकी ममता जाग उठी !बच्ची पहले ठीक हो जाये, फिर इसके पालन पोषण की ज़िम्मेदारी भी उठाना है ! रिश्तों की पोटली में एक रिश्ता और जुड़ गया है शायद इसीलिये आज भगवान ने ही उसे यहाँ भेजा है कि दुनिया त्यागने से पहले कुछ तो नेक काम करे जल्दी से उसे गोद में उठाकर वह अस्पताल के लिए चल पड़ी बच्ची को सीने से चिपकाये हुए ऐसा लग रहा था मानों ठूँठ में नन्हीं-नन्हीं कोंपले फूटने लगी होंशायद अब उसे ज़िंदगी जीने का उद्देश्य मिल गया था ! 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama