तुमको तो मिलने का बहाना चाहिए
तुमको तो मिलने का बहाना चाहिए
दिल्ली की सर्दी बड़ी कातिल होती है।ऐसा लग रहा था जैसे मेरा खून जाम हो गया हो। हाथ अपनी गर्म जैकेट की जेबों में घुसेड़े मैं तेज कदमो से लाइब्रेरी चला जा रहा था।हमेशा छात्रों से भरी रहने वाली यह लाइब्रेरी आज अकेलेपन से गुजर रही थी मानो छात्र यहां का रास्ता ही भूल गए हों।मजबूरी के सिवा भला कौन इतनी ठंड में बाहर निकलता होगा,मैंने सोचा। 1-2 लड़के मुझे दिखे भी। मैं उन्हें पहचानता था वह मेरे ही सेक्शन से थे।मैं जानता था वह यहां इस कंपकपाने वाली ठंड में कम से कम पढ़ने तो नही आये होंगे। वह बैक बेंचर्स थे और सुट्टा मारने आये थे।
वह दिसम्बर की गलन भरी शाम थी। रूम हीटर लगे अपने कमरे की गर्माहट छोड़ मैं लाइब्रेरी में सिविक्स की बुक्स लेने आया था।इतना पढ़ाकू नही हूँ मैं कि दिल्ली की गलन भरी ठंड में मैं बाहर घूमूं।सच कहूं तो मेरा लाइब्रेरी आना किसी और वजह से था।वह हर शाम लाइब्रेरी आती है।आखिर कपूर सर की नजरों में वह क्लास की सबसे होनहार छात्रा है ।मैं कपूर sir से सहमत हूँ वरना इतनी ठंड में कोई भी लाइब्रेरी नही आता।
वह दोनो लड़के बुक सेल्फ से सटकर खड़े सुट्टा लगाते हुए किसी बात पर हंस रहे थे जब नीतू सामने से आती दिखाई दी।वह दोनो लड़के उसे देखते ही चुप हो गए। सुंदर लड़कियों में कुछ तो बात होती है इनके सामने आते ही लड़के समझदार बनकर खड़े हो जाते हैं फिर वह चाहे सुट्टेबाज ही क्यों न हों।वह तब तक वैसे ही खड़े रहे जब तक वह उन्हें क्रास नही कर गयी।मैं बुक सेल्फ में झुका किताबें उलट -पुलट कर किताबें खोजने का दिखावा कर रहा था।वह मेरे सामने आकर रुक गयी।
"सुनो,मेरी थोड़ी सी हेल्प कर दो।मुझे सिविक्स की बुक नही मिल रही क्या तुम उसे खोजने में मेरी मदद कर सकते हो?"उसने पूछा।
"न" कहने का तो कोई कारण ही नही है, मैं उससे कहना चाहता था।जिसके लिए आप इतनी ठंड में हॉस्टल से चलकर यहां आए हों वह 1 बोतल खून भी मांग देगी तो आप न थोड़ी न कहेंगे।
"श्योर !"मैंने कहा और हल्का मुस्कुरा दिया।
अगले आधे घण्टे मैं उसकी उस किताब को खोजने में मदद करता रहा जो मेरे बैग में थी।मैंने उससे जानबूझकर यह नही बताया कि सिविक्स की बुक मैंने पहले ही अपने बैग में रख ली है।आखिर उसके साथ समय बिताने का कुुुछ तो बहाना चाहिए था।
"रहने दो, शायद कोई ले गया है"उसने एक हाथ से किताबें ठीक करते हुए कहा।
"हाँ, शायद" अपना बैग ठीक करते हुए मैंने कहा।
तुम्हे तो पता ही है अगले सेमेस्टर की परीक्षायें शुरू होने में 10 दिन से भी कम समय बचा है, अभी मेरे लास्ट के 3 चैप्टर कम्पलीट नही हो पाए,इस बार मेरा बुरा हाल होगा।"उसने मुंह बनाते हुए कहा।
"टेंशन न लो,इतनी ठंड में किसी की भी पढ़ाई अच्छी नही चल रही होगी।"मैंने उन दोनों लड़कों की ओर देखते हुए कहा जो अपने सुट्टे के आखिरी कश का मजा ले रहे थे।
"तुम चाहो तो मेरी सिविक्स की बुक लेकर तैयारी कर सकती हो" मैंने बातचीत जारी रखने के मकसद से मदद का हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा।
"रहने दो,फिर तुम्हे पढ़ने में दिक्कत होगी" उसने कहा।
"मेरे पास कपूर सर के नोट्स हैं मैं उनसे तैयारी कर लूंगा" मैंने कहा।
लाइब्रेरी से हॉस्टल तक हम चहलकदमी करते हुए आये। कोहरे ने धुंध संग सांठगांठ कर ली थी और थोड़ी दूर तक भी देखना मुश्किल था।लड़कियों को बॉयज हॉस्टल में जाने की मनाही थी सो वह बाहर ही रुक गई।मैं जल्दी से अंदर गया और बैग खोल उससे सिविक्स की बुक निकाल बाहर आ गया।
जब मैं बाहर आया तब वह बेसब्री से टहल रही थी।ऐसा लग रहा था जैसे वह इस जगह पर कम्फर्टेबल महसूस नही कर रही हो इसलिए बार-बार मेरे कमरे की ओर देखते हुए मेरे बाहर आने का इंतजार कर रही थी।मुझे बाहर आता देख उसने गहरी सांस ली।
मैंने उसे बुक दे दी।उसने थैंक्स कहा और औपचारिकता वश हल्का मुस्कुरा दिया।किताब लेते समय उसके दाहिने हाथ की उंगली मेरे हाथ से छुई।वह लजाई।उसके होठों में शरारती मुस्कान तैर गयी।कसम से ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे बगल में 2000 वॉट का हीटर जला दिया हो जिससे सारी ठंड छूमंतर हो गयी हो।वह जाते-जाते मुड़ी।
"अच्छा आइडिया था लेकिन मेरे ख्याल से तुम्हे बैग की चेन बन्द कर लेनी चाहिए थी"उसने मुस्कुराते हुए कहा और चली गई।