तस्वीर
तस्वीर
नए साल के सुरूवात के लिए जोर सोर से सफाई चल रही थी घर में। नए साल के आने कि खुशी में घर में एक फंक्शन रखे थे। हम मां बेटी बात करते करते घर की सफाई कर रहे थे। साफ करते समय पूजा (बेटी) को एक तस्वीर मिली।
बेटी ( दौड़ते हुए मां के पास ) - मां ये तस्वीर किसकी है? तसवीर में आपके साथ ये कौन है?
मां ( तस्वीर को अच्छे से देखते हुए )
एक अजीब सी चूपी जो अपने में ही कुछ बोल रही थी ।
मां ( चुपी तोड़ते हुए बोली) - मैं और मेरा दोस्त, कॉलेज के पिकनिक के समय की तस्वीर है ये।
बेटी - मां आप फोटो में कितनी खुश लग रही थी।
मां ( खुद से ही) - खूस केसे ना होती, जिसे चाहती थी वह मिल जो गया था। जैसे बहुत दिनों का सपना सच हो गया था। कॉलेज दिनों की वह एक तरफा प्यार को
जैसे मंजूरी मिल गई थी खुल के उड़ने की, दोनों को प्यार के पंखों से उड़ने की।
मां ( बेटी को देखते हुए बोली) - हां। पिकनिक जो था हमारा।
बेटी खुशी से मुस्कुराते हुए दौड़े दौड़े अपने काम करने चली गई।
मां ( हातों में फोटो लेके) खुद में हि खो गई थी। वह एक तस्वीर जैसे बहुत बीते बातों को याद दिला गई। वह अधूरा प्यार, वह पहली गलती जो वह जीना चाहती थी।
फोटो को एक डायरी में रख के, मुस्कुराते हुए अपने काम करने लगी। उस पुरानी बातों को यादों के संधुक में रख के नए सफर के और चल पड़ी। नए सफर और नए साल की शुरुआत पुराने बातों को दिल में दफनाके करने लगी।
ये यादों कि भी बात ही कुछ अलग है, आते तो हैं आंखों में आँसू के साथ, और हौसला और हिम्मत दे के चले जाते हैं।