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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Romance Inspirational

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Romance Inspirational

तपस्या

तपस्या

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हंसमुख लाल जी ने प्रेम गली के सैकड़ों चक्कर काट लिए लेकिन उन्हें उनकी "देवी" के दर्शन नहीं हुए। हमने पूछा कि यह क्या कर रहे हो तो वे बोले "तपस्या कर रहा हूं भाईसाहब, और क्या कर सकता हूं मैं ? देवी के दर्शन करने के लिए तपस्या।" "हां, वो तो दिख रहा है पर हमने तो सुना था कि तपस्या वन में की जाती है।"

"अरे भाईसाहब, वो तपस्या भी कोई तपस्या है क्या ? असली तपस्या तो यही है कि जो "देवी" आपके ख्वाबों में हरदम रहती हो उसकी एक झलक मिल जाए तो समझो स्वर्ग मिल जाए। बस, हम उस "देवी" की एक झलक पाने के लिए पिछले एक घंटे से तपस्या कर रहे हैं।" 

"कौन है वह देवी?"

"छमिया भाभी के अलावा और कौन हो सकती है, भाईसाहब?"

"ओह, तो आप भी छमिया भाभी के दीवाने हैं?"

"आप भी मतलब ? हमारे अलावा और भी कोई दीवाना है क्या उनका ? ऐसी की तैसी कर देंगे हम उसकी।" क्रोध के मारे उनके मुंह से झाग निकलने लगे। 

"अपने मुहल्ले में रसियाओं की कोई कमी है क्या" ? हम उनको चिढ़ाते हुए बोले।

"यह बात तो है, भाईसाहब। अब रसिकलाल को ही देख लो। हर "फूल" के आगे पीछे मंडराता रहता है भंवरे की तरह। और वो छैला बाबू ? वो तो पैदा ही शायद इसी के लिए हुआ है ? पर एक बात कह देते हैं भाईसाहब, पूरे मुहल्ले में एक से बढ़कर एक हसीनाएं रहतीं हैं। मगर सबसे कह देना कि छमिया भाभी की ओर कोई भी आदमी कुदृष्टि नहीं डाले अन्यथा अंजाम बहुत बुरा होगा।" 

हंसमुख लाल जैसे तपस्वी की धमकी से हम बुरी तरह से डर गये। हमने विषयांतर करते हुए कहा।

"आजकल तो बड़े बड़े लोग कुर्सी की खातिर बहुत तपस्या कर रहे हैं। जो जाली टोपी लगा लगा कर शान से घूमा करते थे वे अब जनेऊ धारण करके मंदिर मंदिर चक्कर काट रहे हैं। जो लोग कभी रोजा इफ्तार पार्टियां दिया करते थे वे भी अब ललाट पर त्रिपुंड लगाकर "हर हर महादेव" का उच्चारण कर रहे हैं। कोई मंच पर हनुमान चालीसा पढ रहा है तो कोई सुंदर काण्ड का पाठ पढ़ रहा है। और तो और हमने तो तुष्टिकरण के वोट पर पनपने वालों को भी चुनावों के दौरान भरे मंच पर "चण्डी पाठ" करते भी देखा है। इतनी बड़ी तपस्या कोई "नेता" ही कर सकता है। बाकी लोगों में इतना झूठ बोलने, पचाने और ओढ़ने बिछाने की कूवत नहीं है। इतनी मक्कारी हर कोई नहीं कर सकता है ना।" 


हमारी बातों से हंसमुख लाल जी भी सहमत दिखाई दिये। कहने लगे "जनता से उखड़े लोगों को सत्ता में बैठाने के लिए ये फर्जी आंदोलनजीवी तरह तरह के चोला पहन पहन कर कभी शाहीन बाग में तो कभी सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर पर महीनों से आम रास्ता ब्लॉक किये हुए पड़े हुए हैं। बेचारों को खाने को केवल काजू, बादाम, पिस्ता और अखरोट का हलवा ही मिल रहा है और वह भी केवल AC लगे टैंट में रहे हैं। पीने को पानी की जगह इंग्लिश दारू मिल रही है। बेचारे, ये तथाकथित किसान कितनी कठिन तपस्या कर रहे हैं ना। जो आदमी आम चुनावों में अपनी जमानत कई बार जब्त करवा चुका है वो इस मिशन में लगा हुआ है कि वह किसी और की जमानत जब्त करवाने के लिए कठिन तपस्या कर रहा है। बक्कल उतारने के लिए किस किस की पिटाई कर रहा है, कपड़े फाड़ कर नंगा कर रहा है, स्याही फेंक रहा है। और तो और खालिस्तान प्रेमियों की झूठी पत्तल चाट रहा है। अपने आकाओं के तलवे चाट रहा है। इतनी कठिन तपस्या कौन कर सकता है भाईसाहब?" 


हमने उनकी बात से सहमति जताते हुए कहा "हंसमुख लाल जी, ये तो आंदोलनजीवी हैं। इनका तो काम ही ऐसे फर्जी आंदोलन खड़े कर माल कूटना है। मगर इस देश का पिद्दी मीडिया, खैराती चैनल, गुलाम पत्तलकार, जड़खरीद तथाकथित बुद्धिजीवी, करांचीवुड, तथाकथित सेकुलर बिरादरी भी कितनी कठिन तपस्या कर रही है इन मक्कारों, धूर्तों, रंगे सियारों, गिरगिटों, गिद्धों, सांप संपोलों का महिमा मंडन करने में। इतनी कठिन तपस्या तो कभी ऋषि विश्वामित्र ने भी नहीं की थी जितनी ये लोग कर रहे हैं।" 


"तपस्या की तो पूछो ही मत, भाईसाहब। कुछ आतंकवाद प्रेमी, नक्सल भक्त संस्थाएं रात को बारह बारह बजे सुप्रीम कोर्ट खुलवा लेती हैं। और सुप्रीम कोर्ट भी उन मनीषियों की प्रार्थना तुरंत सुन लेता है। वही सुप्रीम कोर्ट जिसे आम आदमी की आवाज सुनाई नहीं देती। लोगों के मुकदमे बरसों तक लटके रहते हैं। तो ऐसे महान तपस्वी सुप्रीम कोर्ट / हाई कोर्ट को हथियार बनाकर सरकार के हर छोटे बड़े फैसलों को चुनौती दे रहे हैं। कितनी बड़ी तपस्या कर रहे हैं ये लोग भी।" 


"हां, बहुत सारे "टी एम टी शरिया प्रेमी" लोग भी भारत में तालिबान का स्वागत कर रहे हैं और कभी मोब लिंचिंग के नाम पर तो कभी फर्जी वीडियो बनाकर उसे वायरल करवा कर माहौल बिगाड़ने का काम कर रहे हैं जिससे लोग इनके बहकावे में आकर इनके आकाओं को सत्ता में बैठा दें। ऐसे समस्त तपस्वियों को मेरा नमन है। एक बहुत खूबसूरत कविता की पंक्तियां हैं कि 


कोशिश करने वालों की हार नहीं होती


इसी तरह इन सभी मनीषियों, तपस्वियों, ऋषियों, महामानवों को एक न एक दिन सत्ता सुंदरी अवश्य मिलेगी। भगवान इनकी तपस्या की लाज रखना।" 



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