Preeti Rathore

Tragedy Action Classics

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Preeti Rathore

Tragedy Action Classics

तलाक- एक नई शुरुआत

तलाक- एक नई शुरुआत

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साधना ऑफिस से घर आई देखा आज सोसाईटी कंपाउंड मे सब्जी का ठेले वाला खडा है सभी औरते सब्जी खरीद रही है।

साधना को ठोडी राहत महसुस हुई और सोचा अब उसे सब्जी खरीदने मार्किट नही जाना पडेगा।

साधना सब्जी के ठेले की और बढ़ गयी। जैसे ही सब्जी लेने पहुंची सभी औरते घुर घुर कर उसे देखने लगी जैसे उसने कोई जुर्म कर दिया हो

मिसेज शर्मा ने तो कह भी दिया- सोसाईटी मे अब चैन से खरीदारी भी नही कर सकते। शर्म लिहाज का तो जमाना ही नही रहा लोग हर जगह चले आते है।

चलो बहनो जल्दी जल्दी सब्जी खरीदो।

मिसेज शर्मा का कटाक्ष साधना को लेकर ही था

सभी औरते मुंह बनाकर खा जाने वाली नजरो से साधना को देखते हुए सब्जी लेने लगी।

साधना को उनके शब्द तीर की तरह लगे पर रोज का यही नाटक है सोचकर उसने कुछ नही कहा और सब्जी खरीदने लगी।

साधना- भईया कितना हुआ सबका( सब्जी वाले से कहा)

सब्जी वाला- दिदी 45 रुपया

साधना ने 50 रुपये का नोट सब्जी वाले को दिया

दिदी 5 रुपये छुटे नही है आप कछु और सब्जी ले लो।

कोई बात नही भईया मैने सभी सब्जी ले ली है आप अगली बार कम कर देना पैसे अभी रहने देते है- साधना ने कहा

सब्जी वाला कुछ बोल पाता इससे पहले ही मिसेज अग्रवाल बीच मे बोल पडी- देखो बहनो मुफ्त की कमाई कैसे उडाई जा रही है छोटी छोटी बातो मे पैसे बचाकर औरत घर को स्वर्ग बनाती है तभी उसे लक्ष्मी कहा जाता है पर कुछ तो अपने घर को अपने ही हाथो बर्बाद करके कुलक्षणी बन बैठी है।

इस बार साधना को गुस्सा आ गया पर इन्हे जबाब देना मतलब खुद की बेज्जती करवाना है

भईया ये पैसे आप इन्हे(मिसेज अग्रवाल की तरफ इशारा करते हुए कहा) मुझसे ज्यादा जरुरत इन्हे है आखिरी इन्हे घर की लक्ष्मी जो बनना है और मेरा तो सिर्फ अतित खराब है आपकी जुबान और सोच दोनो खराब है मिसेज अग्रवाल को देखकर कहा

साधना झगडा ज्यादा नही बढाना चाहती थी इसलिए अपने प्लैट की ओर चल दी।

पर उनकी बातो ने साधना के मन पर अमिट घाव कर दिए थे।

प्लैट पर आकर साधना ने ताला खोला और सामान किचन मे रखा हाथ पैर धोकर आराम करने के लिए सोफे पर आ बैठी। कुछ देर पहले हुई खटपट साधना के दिमाग मे अब भी घुम रही थी।

वो सोचने लगी- आखिर उसने तलाक लेकर क्या गलती की जो उसे रोज रोज ये बेतुके ताने सुनने पडते है? क्या इस समाज मे एक महिला का अपना कोई वजुद नही? क्यो हमेशा महिला को पुरुष के मोहताज रहना पडता है?

घर की चारदिवारी मे महिला चुपचाप अत्याचार सहे तो वो संस्कारी है और जो अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाये वो कुलक्षणी, बिगडी हुई है क्यो?

क्या अपने हक के लिए लडना गलत है?

तलाक साधना के लिए अभिशाप बन चुका था

खैर ये ऐसे सवाल थे जो साधना को बैचेन तो कर सकते थे पर इनके जबाब दे पाना उसके बस मे नही था। जिसकी वजह थी पुरुषप्रधान समाज की गिरी हुई सोच जहां औरत परिवार के लिए जरुरी तो है पर उसका अपना कोई वजुद नही..

सबसे अलग बात यहां महिला अपने ऊपर लगाई बंदिशो से आजाद नही होना चाहती और कोई निकलना चाहे तो रीति रिवाज, शर्म हया न जाने किस किस बहाने से उसे रोकने की कोशिश की जाती है

देखा जाए तो औरत ही औरत की दुश्मन बन जाती है

सोचते सोचते साधना अतीत की यादो मे खो गयी

साधना पढने मे बहुत होशियार थी परन्तु जब वो बाहरवीं कक्षा मे थी तभी उसके पिता की मृत्यु हो गई परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण होने के कारण साधना को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी कमजोर आर्थिक स्थिति और रिश्तेदारों की कहने पर साधना की मां ने ने उसकी शादी सार्थक से करवा दी 

सार्थक जोकि उस समय साधना की ही कक्षा में पढ़ता था परंतु अत्यधिक धनी होने के कारण धीरे-धीरे सार्थक गलत आदतों का शिकार होने लगा साधना ने इसका खूब विरोध किया परंतु सार्थक की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ वह अपनी अपने अत्यधिक जमीन जुऐ की लत में हार चुका था जब सार्थक की पिता से यह सब सहा नहीं गया तू उनकी मृत्यु हो गई हार्टअटैक से साधना की सास इन सब के लिए उसे ही जिम्मेदार मानती थी उनके अनुसार साधना को कुलक्षणी थी

धीरे-धीरे परिवार की आर्थिक स्थिति गिरती गई सार्थक रोज पीकर घर आता और साधना पर अत्याचार करता साधना इसका विरोध करती तो उसकी सास भी सार्थक का समर्थन करती एक दिन साधना अपने ससुराल से भाग कर अपने मायके आ गई परंतु वहां भी उसकी किस्मत नहीं बदली उसकी मां ने उसका समर्थन नहीं किया वापस उसे ससुराल जाने के लिए बोला पर साधना अब उस दरियादिली में वापस नहीं फंसना चाहती थी इसलिए उसने तलाक लेने का फैसला लिया

साधना ने तलाक के लिए कोर्ट में अपील की और अपने लिए रोजगार ढूंढने लगी साधना पढ़ाई के साथ साथ गृह कार्य में चतुर थी उसने सिलाई का काम प्रारंभ किया धीरे-धीरे साधना की मेहनत रंग लाने लगी उसे सार्थक से तलाक मिल चुका था उसने अपनी पढ़ाई आगे जारी रखने की कोशिश की और पढ़ाई के सिलसिले में शहर आकर रहने लग गई साधना ने सिलाई की और ग्रेजुएशन पूरा करके एक कंपनी में उसकी जॉब लग गई यह फ्लैट उसे कंपनी की तरफ से ही मिला हुआ था परंतु यहां भी उसकी किस्मत ने उसका पीछा नहीं छोड़ा जब लोगों को पता चला कि साधना तलाकशुदा है तो लोगों ने उसके ऊपर ताने कसने शुरू कर दिए शुरूआत में साधना ने इसका विरोध किया परंतु रोज का नाटक है सोच कर सब बर्दाश्त करती रही

सोचते सोचते साधना की निगाह घड़ी पर गई जो 8:00 बजा रही थी साधना उठी और उसने अपने लिए खाना बनाया और डाइनिंग टेबल पर आकर खाने लगी खाना खाते खाते उसकी निगाह टेबल पर पड़े समाचार पत्र पर गई जिसमें लिखा था अगले 10 दिनों तक भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं

साधना ने यह है परीक्षा देने का निर्णय किया और अगले दिन जाकर ईमित्र पर परीक्षा के लिए आवेदन किया अगले 3 महीने बाद प्रारंभिक परीक्षा का एग्जाम था साधना ने दिन रात एक कर मेहनत की देखते ही देखते परीक्षा का दिन आ गया साधना ने परीक्षा दी और अच्छे अंको से परीक्षा उत्तीर्ण की इसके बाद साधना मुख्य परीक्षा की तैयारी में जुट गई उसने बहुत मेहनत कर के मुख्य परीक्षा पास कर ली अब इंटरव्यू बाकी था साधना में इसके लिए भी बहुत मेहनत की और देखते-देखते इंटरव्यू का दिन भी आ गया

साधना ने इंटरव्यूअर के सभी सवालों के अच्छे जवाब दिए

आखिर में इंटरव्यूअर पूछा-आप आईएस क्यों बनना चाहती हैं?

साधना ने कहा- क्योंकि मैं अपनी पहचान के लिए किसी पुरुष की मोहताज नहीं होना चाहती

इंटरव्यूअर- आपने तलाक लेने का फैसला किया पर हमारे समाज मे तलाकशुदा महिला को हीन भावना से देखा जाता है आपके लिए ये फैसला कितना मुश्किल रहा?

साधना- हां ये सच है मेरा यह फैसला मेरे लिए मुश्किल और चुनौतिपुर्ण रहा पंरतु अत्याचार सहने से काफी आसान था अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाना

मेरा मानना है अत्याचार चुपचाप सहना भी अपराध है।

इंटरव्यू साधना की जवाबों से खासा इंप्रेस हुए

कुछ समय बाद परीक्षा परिणाम आया साधना ने पूरे देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया

जैसे ही परिणाम आया साधना को लेकर लोगों की मन स्थिति में बदलाव आया जो लोग पहले साधना को हीन भावना से देखते थे अब सम्मान की नजरों से देखने लगे धीरे-धीरे साधना के चर्चे देश के सभी गली मोहल्ले में होने लगे लगे साधना सभी के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुकी थी

सार्थक को भी अपनी गलती का एहसास हो चुका था उसने साधना से माफी मांगी और साधना से नए जीवन की शुरुआत करने की इच्छा प्रकट की परंतु साधना अब अपने नए जीवन में खुश थी

साधना ने महिला शिक्षा और महिला कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया साधना ने महिला सशक्तिकरण पर बल दिया धीरे-धीरे साधना सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुकी थी

  साधना ने अपने कार्य से साबित कर दिया था कि एक महिला पुरुष की मोहताज नहीं है वह भी अपने दम पर समाज में अपनी नई पहचान बना सकती है।

---------------------------समाप्त


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