Pratibha Bilgi

Tragedy

2  

Pratibha Bilgi

Tragedy

तेज़ रफ़्तार

तेज़ रफ़्तार

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अमन ने जल्दी से टैक्सी बुलाई और वह हवाई अड्डे की तरफ़ निकल पड़ा । वह ड्राइवर को जल्दी चलने की हिदायत दे रहा था। दरअसल, अमन मुम्बई जा रहा था। मुम्बई - सपनों का शहर ! यह पहली बार था, जो अमन मुम्बई जा रहा था, कंपनी के काम से ! उसे वह सुनहरा मौका मिला था, जिसे वह सपनों में देखता था। मुम्बई शहर के बारे में उसने बहुत कुछ सुन रखा था।


मुम्बई का आसमान, वहाँ की हवा, वहाँ का समंदर अमन को बाहें फैलाये बुला रहा था। अमन और इंतज़ार नहीं कर सकता था। एक पल के लिये उसे लगा की वह अपनी आँखें बंद कर ले और जब वह अपनी आँखें खोले तो खुद को मुम्बई के सागर किनारे पर पाये। पर उसे अपने इस विचार पर हँसी आ गयी। यह तो सिर्फ ख़यालों की उड़ान थी। अपनी मंज़िल तक पहुँचने का इंतजार उसे करना ही था। अमन को यात्रा तो करनी ही थी।


अमन टैक्सी में बैठे - बैठे सोचने लगा कि वह मुंबई जाकर क्या - क्या करेगा। ऑफ़िस का काम जल्दी से निपटाकर उसने पूरी मुम्बई घूमने का सोच लिया। वह हर जगह देखना चाहता था - गेटवे ऑफ इंडिया, ताजमहल होटल, तारांगन, म्यूजियम, मत्स्याल , महालक्ष्मी मन्दिर और भी बहुत कुछ ! उसने अपने कार्यक्रम की सूची मन ही मन पूरी तरह तैयार कर ली । वह एक मिनट भी गँवाना नही चाहती था।

अमन के सपनों का सिलसिला तब टूटा, जब उसका ध्यान घड़ी की तरफ गया। घड़ी उसके सपनों से भी तेज भाग रही थी। उसके फ्लाइट का वक़्त हो रहा था। उसने टैक्सी ड्राइवर को टैक्सी की गति बढ़ाने को कहा। उसे जल्द से जल्द एयरपोर्ट पहुँचना था। 


अमन की बेचैनी देखकर टैक्सी ड्राइवर ने अपने टैक्सी की गति बढ़ा दी। वह भी अपने ग्राहक को वक़्त से हवाई अड्डे पर पहुँचाना चाहता था। परंतु ट्रैफिक ऐसी थी कि टैक्सी की गति बढ़ाना उतना आसान नहीं था। ड्राइवर बहुत प्रयत्नों के बावजूद भी ट्रैफिक पर मात नहीं कर पा रहा था। और उसपर अमन जल्दी जाने पर जोर डालते जा रहा था।

अमन को जल्द पहुँचाने के तनाव में ड्राईवर का ध्यान टैक्सी पर से बंट रहा था। उस पर मानसिक दबाव बन रहा था। उसने एक बाईक सवार को ओवरटेक किया। टैक्सी की रफ्तार तेज होने के कारण अगले ही पल जो हुआ, उसकी समझ में ही नहीं आया।


धड़ाम !!! टैक्सी का सामने का हिस्सा एक झटके में चकनाचूर हो गया। काँच टूटकर हर तरफ बिखर गया। टैक्सी रास्ते के दूसरी तरफ जाकर पलट कर गिर गयी। एक ही क्षण में सब खत्म हो गया। ड्राइवर दरवाज़ा खोलकर बाहर कूद गया। परन्तु जोर से गिरने के कारण उसके सिर पर चोट लगी और उसकी वारदात पर ही मौत हो गयी। पर, अचानक हुए इस हादसे से बेफिक्र बैठा अमन आगे की सीट से टकराकर पीछे खिड़की पर गिर गया। उसका सिर खिड़की से टकराने के कारण खिड़की की काँच टूट गयी और उसके टुकड़े बुरी तरह से अमन के चेहरे तथा शरीर में घुस गये। जिसकी वजह से उसके शरीर से खून निकलने लगा। वह दर्द से कराहने लगा। इसका रहदारी पर भी बुरा असर पड़ा। पूरी ट्रैफिक अस्त - व्यस्त हो गयी।


इतना भयानक नज़ारा देख लोग घटनास्थल की ओर दौड़ पड़े। अमन की साँसे चलती देख एक आदमी ने एम्बुलेंस को फोन किया। ट्रैफिक पुलिस भी तब तक वारदात पर पहुँच गयी। घटनास्थल का मुआयना किया गया। ट्रैफिक की वजह से एम्बुलेंस को वहाँ पहुँचते - पहुँचते थोड़ी देर हो गयी। उसके आते ही तुरंत अमन को एम्बुलेंस में ड़ालकर हॉस्पिटल की तरफ ले जाया जाने लगा। परंतु , शायद नियति को यह मंज़ूर नहीं था। एम्बुलेंस के हॉस्पिटल पहुंचने से पहले, रास्ते में ही अमन के प्राण - पखेरू उड़ गये।


जिस जान ने थोड़ी ही देर पहले इतने सुंदर सपने देखे थे, कितनी ही तैयारियाँ की थी, सब टूट कर बिखर गये। तेज़ रफ्तार के कारण सब कुछ समाप्त हो गया। अमन ने थोड़ा - सा धीरज रखा होता, तो अभी वह जिंदा होता। एक छोटी - सी ग़लती ने अमन की सारी ख़ुशियाँ छीन गयी।


इसलिए तो अनावश्यक गति पर रोक लगाने की हिदायत दी जाती है। कितने ही लोग इसी प्रकार रास्ते पर अपना दम तोड़ देते हैं। अपनों से अलग हो जाते है। कहा जाता है : -

"जल्दबाजी तो है अपनी बलि ,

 दुर्घटना से देर भली ! "



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