सुनो
सुनो
पता है तुम मेरे लिए क्या हो
तुम धूप हो तुम छाँव हो
तुम मेरे सारे पुण्य कर्मों का परिणाम हो
तुम सत्य हो तुम मेरा अभिमान हो
मेरी खुशियों की चाबी हो
तुम तुम हो और तुम सिर्फ मेरे हो
सबकी ख्वाहिश होती है अपने प्यार के साथ
केदारनाथ जाने की,
लेकिन सुनो मेरी ख्वाहिश तो
तुम्हारे साथ तुम्हारी उंगलियों में
अपनी उंगलियां उलझा कर
एक सुनसान सड़क पर
तुमसे बातें करते हुए
चलते ही रहने की है,
और जब चलते चलते
हम थक जाए तब तुम अपना सर
मेरी गोदी में रख के सुकून की सांस लो
उस खुले आसमान के नीचे
सारी थकावट ख़तम हो जाए
और मै प्यार से तुम्हारा सर सहलाऊँ
बिना पलके झपकाए तुम्हे देखता ही जाऊँ
जहा कोई न हो सिर्फ मेरे और तुम्हारे अलावा
सिर्फ हम दोनों ही हो
ना किसी का ख्याल हो सिर्फ
एक दूसरे के ख्याल के अलावा
यही है मेरी ख्वाहिश जिसे सोच कर ही
खुश हो जाती ही तो सोचो कभी हकीकत हुई तो
ये मेरे लिए किसी जन्नत से कम नहीं होगा।