स्टेपनी
स्टेपनी


सुनो, तुमने कभी गाड़ी की स्टेपनी को गौर से देखा है ?
कभी सोचा है कि क्या सोचती होगी वो पीछे बैठे बैठे?
कहने को तो वो आम पहियों की तरह ही एक पहिया है, उसमें भी हवा का दबाव आम पहियों की तरह ही है तुम उसका भी उतना ही ख्याल रखते हो जितना बाकी पहियों का लेकिन कभी सोचा है ,कि क्यों वो एक स्टेपनी है ?
और तुम्हारी गाड़ी का अहम पहिया नहीं।
वो एक स्टेपनी है, क्योंकि उसका काम सदा तुम्हारे साथ, तुम्हारे पीछे चलना है। जब कोई एक पहिया साथ छोड़ दे, तो यही तुम्हारे काम आती है। जब तुम्हें दूर दूर तक कोई सहारा ना दिखे, तो ये पगली अपना हाथ बढ़ाती है। कुछ आगे जाकर, जब तुम उस अहम पहिए को, फिर से ठीक कराते हो, वापस स्टेपनी को उसकी जगह दिखाते हो ये सोच के वो फिर भी खुश हो जाती है, हमसफ़र ना सही, साथ तो फिर भी रह पाती है सुनो, मैं तुम्हारी जीवन रुपी गाड़ी की वही स्टेपनी हूँ। जो साथ तो है, पर अहम नहीं, तुम शायद मुझे साथ रखना चाहो, लेकिन सच तो ये है कि तुम्हारा साथ एक छलावा है, मेरे वजूद की तुम्हारे जीवन में, बस यही परिभाषा है।