स्त्री
स्त्री


पड़ोस में कीर्तन था। मुझे भी पहुंचना था पर घर का काम निपटाते थोड़ी देर हो गई। खैर मैं पहुंची तो कुछ कीर्तन मंडली की महिलाएं भजन गा रहीं थी। मैं भी माथा टेक कर पीछे ही बैठ गई क्योंकि आगे जगह नहीं थी। मैंने सोचा कि चलो कुछ देर ही भजन कीर्तन का आनंद लिया जाए तभी मेरी एक सहेली धीरे से मेरे कानों में बोली क्या हुआ लेट क्यों आयी? मैंने बताया कि बस ऐसे ही काम में देर हो गई। तभी उसने कहा कि सपना के बारे में पता चला ??सपना हमारी ही बिल्डिंग में रहने वाली एक महिला है ,जिसके पति की मृत्यु 6 महीने पहले ही हुई है।
मुझे लगा शायद सपना को भी कुछ हुआ क्या। तभी मेरी सहेली ने बताया कि सपना बड़ी चरित्रहीन है। सब उसके बारे में बातें कर रहे हैं। मैंने कहा कि क्यों क्या किया उसने ? मुझे ऐसा लगा कि जैसे वो मेरे इसी प्रश्न की प्रतीक्षा कर रही थी। एकदम से बोली कि कोई आदमी उसके घर कुछ दिन से आ जा रहा था और सुना है कि परसों उसकी शादी है।
मैंने कहा तो क्या
हुआ अच्छा ही है वो क्यों अकेली रहे तो मेरी सहेली के साथ कुछ और औरतें जो ये बात सुन रहीं थी कहने लगी कि अभी 6 महीने पहले ही तो उसका पति मरा है, बस इतना ही प्यार था। फ़िर ये कहकर ऐसे वैसे मुँह बनाकर बोली कि चलो हमें क्या उसकी ज़िन्दगी है जो चाहे करे। मैंने कोई जवाब नहीं दिया क्यूंकि वो सब औरतें उम्र में मुझसे बड़ी थी। पर मैंने सोचा कि जब ज़िन्दगी उसकी है तो उसे जीने का अधिकार भी तो उसका है।
हर इंसान को ख़ुश रहने का हक़ है। अगर किसी महिला के पति का निधन हो गया है तो क्या उसकी पत्नी भी हर पल मरती रहे उसके ग़म में। वो ज़िंदा होकर ज़िन्दगी से दूर क्यों रहे? एक स्त्री होकर भी हम अगर एक स्त्री की संवेदनाओं को ना समझें तो ये हमारे स्त्रीत्व पर प्रश्न है।
हम सब के पास एक ही ज़िन्दगी है और इसे भरपूर जीना हमारा अधिकार भी है और कर्त्तव्य भी।
उड़कर छू लेने दो उसे अपना आसमां कि यहाँ सबको अपना अपना एक अलग आसमां बक्शा है उसने।