सम्मान
सम्मान
कक्षा में हिंदी की क्लास लेने पहुंची तो एक लड़की रो रही थी और उसके आसपास कुछ सहेलियां उसे चुप कराने में लगी थी। पता चला कि कुछ लड़के उस लड़की के छोटे कद के कारण उसे गिट्टू गिट्टू बोलकर चिढ़ाते हैं। मैंने उसे चुप करवाया और माहौल को शांत किया।
अब मैंने सभी बच्चों को कहा कि आज हम सभी एक कागज़ पर अपना मनपसंद चित्र बनाएंगे। सभी ने बनाये तो कुछ बच्चों के चित्र देखकर मैंने कहा कि "ये तो बिल्कुल अच्छे नहीं हैं" ,ये वही बच्चे थे जो उस लड़की का मज़ाक उड़ाते थे।अपने चित्र की बुराई सुनकर उन्हें बुरा लगना तो स्वाभाविक था ,उनके चेहरे पर निराशा के भाव देखकर मैंने कहा कि "आपको क्यों बुरा लगा?मैंने तो चित्र को बुरा कहा आपको नहीं।" अब सभी बोले पर "मैम ये बनाया तो हमने ही है ना।" फ़िर मैंने सभी से पूछा कि "हम सब को किसने बनाया है?"
सबने कहा, ईश्वर ने । अब उन बच्चों को भी समझ आया कि रचनाओं का अपमान रचनाकार का भी अपमान है। किसी की शारिरिक सरंचना का मज़ाक उड़ाना ईश्वर के अपमान के जैसा ही है।