सर्दियां
सर्दियां
-तुम्हें कौन सा मौसम पसंद है?
-सर्दी...
पता है जब मैं छोटी थी तो खिड़की से देर तक बर्फों को गिरते देखती। बर्फ़ से खेलने का बहुत मन करता मगर मां....
मां कहां मानती थी। कहती थी बीमार हो जाऊंगी।
सर्दियां खत्म होते ही वापस नाना - नानी के पास भेज देती थी पढ़ने। और यहां नाना - नानी के पास दिसंबर में भी पंखा चलाकर सोना पड़ता है!
"I really hate summer..!"
और तुम्हें...?
-मुझे...! मुझे भी सर्दी पसंद है!
-सच बोल रहे हो या फिर मुझे पसंद है इसलिए बोल रहे हो..?
-नहीं..नहीं! सच में पसंद है
-तो फिर वादा करो की इस सर्दी तुम मुझसे शादी करोगे फिर मुझे शिमला ले चलोगे। मुझे फिर से बर्फों को गिरते देखना है। बर्फों को छूना है और तुम्हारे साथ बर्फ़ से खेलना भी है
-वादा रहा..!लेकिन शादी...?तुम्हारे घरवाले मानेंगे..?
-मैं घरवालों को मना लूंगी। तुम टेंशन मत लो, वो लोग मुझे बहुत प्यार करते हैं। मान जाएंगे...!
-और कोई फरमाइश मैडम...?
-नहीं! लेकिन तुम अपनी फरमाइश बताओ तुम भी तो कुछ चाहते होगे मुझसे। मैं तुम्हारी हर फरमाइश मानने को तैयार हूं।
-मैं बस इतना चाहता हूं कि जब मैं मरता रहूँ तब तुम मेरे पास हो। मेरी हथेली को अपनी हथेली में थामे हुए। जानती हो..तुम्हारी हथेली ही मेरा घर है...!
-छोड़ो भी! बहुत फिल्मी बातें करते हो तुम। अच्छा..सुनो अभी मैं फोन रखती हूं। शाम में डोमिनोज़ चलते हैं। बहुत दिन हो गए पिज़्ज़ा खाए...!

