Kavita Jha

Inspirational

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समस्या का हल

समस्या का हल

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हुनर की पहचान

गांव से शहर आकर दयमंती अपने पति की सीमित आय में घर चलाते हुए अपनी छोटी छोटी इच्छाओं को दबाती। रमाकांत दिन रात मेहनत करता, पर अपनी तीन संतानों और अपनी पत्नी दयमंती की हर जरूरत पूरी कहां कर पाता था। हर महीने मकान मालिक को किराया देना, तीनों बच्चों के स्कूल की फीस, कॉपी किताबें, इतनी कम आमदनी में सारी जरूरतें कहां पूरी हो पाती थी। जैसे तैसे जिंदगी गुजर रही थी, फिर एक दिन मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा जब रात भर ड्युटी करने के बाद रमाकांत सुबह घर लौट रहा था तभी एक बच्चे ने सड़क किनारे लगे आम के पेड़ पर गुलेल चलाई जो रमाकांत की दाईं आंख पर जा लगी।

वो दर्द से छटपटाता हुआ अपनी आंख से बहते खून को रोकने का अथाह प्रयास कर रहा था तभी कुछ भले लोगों की नज़र उस पर पड़ी और उसे अस्पताल में भर्ती करवा दिया। 

जब दयमंती को अपने पति के साथ हुई दुर्घटना का पता चला वो दौड़ती हुई अस्पताल गई जहां डाक्टरों ने बताया कि उनकी ऑंख का ऑपरेशन जल्द से जल्द करना होगा, खून बहुत ज्यादा बह गया है जिससे दूसरी आंख की रोशनी भी जाने का खतरा है। दयमंती ने अपने सारे गहने बेच पति का इलाज करवाया। कुछ दिनों बाद रमाकांत अस्पताल से घर आ गया पर डॉक्टर ने उसे पूरी तरह आराम करने को कहा। 

अब दयमंती के सामने सबसे बड़ी समस्या थी घर खर्च कैसे चलेगा, रमाकांत की दवाइयां और बच्चों की पढ़ाई का खर्चा सब अब उसके कांधे पर आ गया था। उसका बड़ा बेटा जो कि ग्यारह वर्ष का ही था, उसने एक दिन किराने की दुकान पर कागज के ठोंगे (लिफाफे) का बंडल लेकर एक औरत को उसके बदले दुकानदार से पैसे लेते देखा, और घर आकर अपनी मां को यह बात बताई। फिर दयमंती ने उस कागज के ठोंगे जिसमें चीनी थी खोलकर ध्यान से देखा तो उसे बनाने का तरीका भी समझ गई। फिर पुराने अखबार से लिफाफे बनाकर बेटे को दिए जिसके बदले दुकानदार ने पैसे दिए। अब बच्चे भी इस काम में हाथ बटाने लगे। फिर उसने पुराने कपड़ों से थैले बनाए इस तरह वो धीरे धीरे अपने हुनर को पहचान देने लगी। उसे गांव में सिलाई कढ़ाई और बुनाई में बहुत आनंद आता था, खेल खेल में बहुत कुछ सीख लिया था पर शहर आने और घर गृहस्थी में वो तो जैसे अपने इस हुनर को भूल ही गई थी। पर जब मुसीबत की घड़ी आई तो उसके हुनर ने घर का चूल्हा जलाए रखा। धीरे-धीरे उसका काम बढ़ता गया तो उसने कॉलोनी की औरतों को भी सिखाना शुरू किया, कपड़ों से खिलौने सजाने का सामान, दरी, और बहुत सारी हाथ से बनी वस्तुएं। उसने सरकारी सहायता से एक लघु उद्योग खोला जहां उस जैसी कई गृहिणियों का जीवन बदल गया। पति का इलाज और घर खर्च जो एक समस्या उसके सामने थी उसका हल तो मिल ही गया, आत्मविश्वास बढ़ा और दूसरी औरतों के लिए भी राह आसान कर दी दयमंती ने, हुनर कभी बेकार नहीं जाता। 



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