Kavita Jha

Drama Inspirational Children

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Kavita Jha

Drama Inspirational Children

पिता का जीवन

पिता का जीवन

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बहुत ही अच्छी और संस्कारी लड़की है, हमारे पड़ोस में ही रहती है, उम्र 24 साल होगी। मान जा अमन की माँ तूँ भी और अपने बेटे को भी समझा ले। तेरी भी उम्र हो चुकी है, कब तक संभालेगी अमन के तीनों बच्चों को। होने दे दूसरी शादी अमन की.. कमला चाय की चुसकी लेते हुए लीला से बोली।

ना दीदी, अमन मानने को तैयार नहीं है, साल भी नहीं बीता बहु को मरे हुऐ। फिर दोनों बच्चे भी तो बड़े हो रहे हैं, कहता है पहले बेटी बेटे के लिए अच्छे घर का रिस्ता ढूंढूंगा, उनका घर बस जाऐ फिर सोचूंगा अपने बारे में।

अरे! उसको समझा बुझा, बुढा़पे में रचाऐगा बिआह। अभी तो लड़की मिल रही है फिर कुछ साल बाद मिलेगी, उसकी क्या गारंटी है। देख ले लड़की की फोटो, जितनी सुंदर है उतनी ही गुणी। मैंने उसके माँ बाप को सब बताया, गरीब हैं बिचारे और चार लड़कियाँ और है उनकी। देख उस गरीब माँ बाप का भी कल्याण हो जाऐगा और तुझे भी बहु और इन बच्चों को माँ मिल जाऐगी।

इतना कह टेबल पर लड़की की फोटो रख कमला अपना बटुआ उठा चलने को हुई, फिर लीला को कंधे से पकड़ बोली, " एक बार दिखा तो देना फोटो अपने बेटे को। "

ठीक है दीदी मैं कोशिश करती हूँ।

कमला के जाने के बाद लीला विचारों में डूब गई। कमला दीदी ठीक ही तो कहती है, कल को मुझे कुछ हो गया तो मेरे पोते पोतियों का क्या होगा। पर अमन भी तो ठीक कहता है सौतेली माँ क्या उसके बच्चों का ध्यान रखेगी।

पड़ोस के मिस्टर शर्मा के घर में होती रोज रोज की लड़ाई झगड़े साक्षात प्रमाण है कि शर्मा जी की दूसरी शादी के बाद उनके बच्चों से कितना बुरा व्यवहार करती है उसकी नई पत्नी, उनका बड़ा बेटा तो घर छोड़ कर भाग गया और छोटा तो ज्यादातर मेरे पास ही आ जाता है दिन में। कितना कमजोर हो गया है वो, ना कभी ठीक से खाने को देती है उसे ।

हाय! मेरे पोते पोतियों के साथ भी कहीं ऐसा ना करे उनकी सौतेली माँ ।

लीला उधेरबुन में थी , तभी अमन उसके पास आ उसकी गोदी में सिर रख लेट जाता है, और माँ से पूछता है, " क्या हुआ माँ?? क्या सोच रही है?? "

लीला कहती है, " बेटा मेरे इस शरीर का कोई भरोसा नहीं, कब तक हूँ पता नहीं। मान ले बात , ले आ बच्चों के लिए माँ। "

" नहीं माँ, इस टौपिक पर बात नहीं करनी मुझे। मैं अपने बच्चों का बुरा नहीं चाहता। देख सिम्मी भी इस साल 20 साल की हो जाएगी और सोनू भी 23 साल का, मन्नु अभी छोटा है, पर ये दोनों सौतेली माँ को नहीं अपना पाऐंगे। " अमन अब उठ कर बैठ जाता है।

48 साल का अमन अपनी माँ के लिए तो आज भी बच्चा ही है। वो भी दिन भर की थकान और सारे गम भूल जाता है, अपने माँ के पास बैठ।

तभी उसका 5 साल का बेटा मन्नु उसके कंधे पर लटक कर घोड़ा बनने की जिद्द करता है। अब अमन जो थोड़ी देर पहले, अपनी माँ की गोदी में सिर रख अपने गमों को भुलाने और आँसुओं को माँ के आँचल से भिगो रहा था। अब पिता के रूप में आ अपने बेटे को लाड से गोदी उठा, बाते करने लगा।

" सारा दिन क्या क्या किया मेरा मन्नु।"

मन्नु पूरे दिन की सारी बातें बताने लगा। तब तक बिटिया भी चाय बिस्किट ले आई, और बड़ा बेटा भी वहीं आकर बैठ गया। बातों का दौर शुरू हो गया, बड़े बेटे ने अपने

नऐ बिज़नैस के बारे में अमन को बताया। बिटिया आगे पढ़ाई के बारे में पिता को बता रही थी कि उसे किस काॅलेज में ऐडमिशन लेना है। छोटा बेटा खिलौनों की लिस्ट बता रहा था. .. अमन सबकी बाते ध्यान से सुन रहा था, उसके सिर से पिता का साया भी साल भर पहले ही छूट गया था। अपने काम की व्यस्तता के कारण वो पिता के अंतिम दिनों भी समय नहीं निकाल पाता था। बिमार पिता के ईलाज में कोई कमी नहीं छोड़ी थी अमन ने पर समय ही नहीं दिया कभी उनके साथ इस तरह बैठ कर बातें करना।

अमन बच्चों और अपनी माँ के साथ बैठे हुए मन में लिए निर्णय को मजबूत कर रहा था कि मैं बच्चों के साथ समय बिताया करूंगा और दूसरा विवाह नहीं करूंगा।

बेटा ना अच्छा बन सका

समय ना पिता को दे पाया

उन संग बैठ ना कर पाता था

अपने मन की बात

ना ही उनके मन का सुन पाता था हाल

अच्छा पति भी ना मैं बन पाया

पत्नी को भी समय ना दे पाया

मेरे बच्चों की माँ छोड़ दुनिया

क्यों चली गई...

अपने मन में चलती इस उथल पुथल को अब वो शांत करने की कोशिश कर रहा था। पिता और पत्नी की मौत के बाद उसके कंधों पर जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ गया था। अपने काम के साथ साथ अब वो घर पर भी पूरा समय देने लगा।

टेबल पर रखी फोटो पर सरसरी नजर दौड़ाते हुऐ अमन बोला , "ठीक है माँ बोल दो लड़की वालों को हाँ, अगले साल तेरे पोते की शादी इसी से करवा देंगे। बिटिया के लिए भी एक अच्छा लड़का देख लिया है। भाभी भी माँ जैसी होती है, लड़की अच्छी है तो मन्नु को संभाल लेगी। घर में बहु आ जाऐगी तो तेरा और हम सबका ध्यान रखेगी।"

लीला भी अमन के इस त्याग को समझ रही थी। पिता अपने बच्चों की खुशी के लिए हर कुर्बानी देने को तैयार रहता है। मीरा आज अपने बेटे पर गर्व महसूस कर रही थी और उसकी पोती सिम्मी बहुत खुश थी कि अब उसकी सौतेली माँ नहीं आऐगी। भाभी तो सहेली जैसी ही होगी।

अमन का यह फैसला सबको पसंद आया।

अमन अपनी पत्नी की फोटो के पास खड़ा हो मन ही मन कह रहा था तेरी सौत ना लाऊंगा, और एक पल को लगा जैसे वो मुस्कुरा रही है और कह रही है, जानती हूँ तुम बच्चों से कितना प्यार करते हो।


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