समोसे
समोसे
गरम गरम समोसे के भुने हुए स्वादिष्ट मसाले की बढियाँ खुशबू कहीं से आ रही थी। उसने अपनी सायकिल रोक दी , और इधर उधर देखने की कोशिश करने लगा कि आखिर खुशबू आ कहाँ से रही है ? अचानक कोने से देखा, वो सामने की दूकान में ,बड़े से कड़ाहे में , गुलाबी-गुलाबी से, तिकोने , कुरकुरी पपड़ी वाले समोसे तेल में नाच रहे थे और कुछलोग खड़े होकर खा रहे थे और कुछ बतिया भी रहे थे , कुछ कोचिंग के बच्चे अकेले कोने में पूरे ध्यान से जल्दी जल्दी खा रहे थे, कुछ बाकी बचे हुए लोग जिन्हें अभी तक नहीं मिल पाया था वे कड़ाहे के सामने बेसब्री से इंतजार कर रहे थे कि कब उन्हें समोसे मिलेंगे ?
सायकिल वाले को ये दृश्य देखकर अचानक मन ही मन हँसी आ गई , ये पब्लिक भी क्या पागलपन के काम करती रहती है? सबको पता है समोसे सेहत के लिए दुनिया के सबसे बड़े दुश्मन होते हैं , सारी किताबों में लिखा भी है कि यही सब सफ़ेद ज़हर ही सारी बीमारियों की जड़ हैं , फिर भी लोग पागलों की तरह लाइन लगाए खड़े हैं, जैसे दवा लेने डॉक्टर के यहाँ लाइन लगती है। आज खाएँगे नहीं तो मर जाएँगे।
अरे, कुछ थोड़ा सा जीभ पर काबू कर लेते तो घर जा कुछ अच्छा खा लेते, कोई तो बैठा होगा घर पर इंतजार करता हुआ और दूसरी बात, ये बड़े हलवाई जबरदस्ती ज्यादा महँगा भी देते हैं, नुक्कड़ वाला भी कुछ कम अच्छा नहीं बनाता, जरा दूकान छोटी सी रहती है बस, इसीलिए कोई लेता नहीं बेचारे का ।
उसे तो बड़े शहरों में बिकने वाले सामानों से ही नफ़रत है, अरे किसी चीज की सही कीमत नहीं होती, वही समोसे अपने छोटे शहर में पॉंच के मिलेंगे तो यहाँ बीस के मिलते हैं।
'जाने दो अपने को क्या ?' - उसने सायकिल सीधी की - 'जब लोग खुद ही लुट जाने को तैयार हैं ,तो कोई क्या करे ?'
अचानक उसे ध्यान आया कि वह किसी ख़ास काम के लिए निकला था, अभी उसकी सायकिल वापस होकर चली ही थी कि ज़ेब से उसका पुराना फ़ोन बज उठा, आवाज़ किसी अजनबी की लग रही थी । किसी कंपनी वाले ने बताया कि उसने पिछले संडे जो नौकरी का साक्षात्कार दिया था वो बढ़िया रहा, और उसे वो नौकरी मिल गई है। आवाज़ सुनकर वह सन्न रह गया, मारे ख़ुशी के रो पड़ा तुरंत उसने सायकिल को लौटाया, और साईकिल दूकान के सामने खड़ी कर दी और दौड़ता हुआ दुकान के अंदर चला गया। दो मिनट के बाद गरम समोसे से भरा लिफाफा उसके हाथ में था और उसे लेकर वह घर की ओर दौड़ रहा था।