Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win

Rekha Singh

Drama

3  

Rekha Singh

Drama

" गृह और योद्धा"

" गृह और योद्धा"

4 mins
283


सारा तमाशा शुरू हुआ था, दूध गिरने को लेकर।पता नहीं बहुरानी क्या करती हैं दिन भर ? चार काम एक साथ लेकर चलती हैं , तो दूध तो गिरना ही था, बस उनका दिमाग अपने ख्यालों में था शायद, और दूध उफन कर गिर गया।दूध फैलता भी इतनी जल्दी है की बहुरानी सारे सबूत छिपाने के लिए , सूखा कपड़ा लेकर जल्दी-जल्दी से दौड़ी भी, सिंक में नल भी फुल कर दिया ,जल्दी-जल्दी कपड़े से पोंछने भी लगीं लेकिन सासु माँ तो सासु माँ ही होती है न, बस उनकी श्वान से भी तेज नाक ने सूंघ ही लिया - " फिर दूध गिर गया क्या ?" - व्यंग और दादागिरी को सही अनुपात में मिला कर वो चिल्लाईं ।

 " पता नहीं कैसे गिर गया मम्मीजी " - बकरी से भी पतली आवाज में बहू ने जवाब दिया ।

 " पता नहीं कैसे क्या , रोज ही तो गिरता है, मैं तो कह-कह के थक गयीं हूँ , कितना अशुभ होता है इस तरह दूध गिरना , अब क्या बताएँ ? कुछ कहो तो बुरा लगता है, अब तो कहना ही बेकार है " - सासु माँ ने जोर से चिल्ला कर कहा ।

" जी "- छोटा सा जवाब देकर बहू अपने काम में फिर से लग गयी , लेकिन ऊपर से जैसा दिख रहा था, मामला इतना शांत होता दिख नहीं रहा था ।अगले कुछ दिनों के लिए घर को गृह युद्ध में झोंक दिया गया था ।बहू ने दुखी होकर कुछ लोगों को जैसे पति को, कामवाली को, ऊपरवाली किराएदारिन को, यह घटना ज्यों की त्यों बयां कर दी। पति के अलावा सभी ने जवाबी कार्यवाई के लिए जोरदार समर्थन भी दिया ।युद्ध की पहली रात से ही रसद पानी रोक दिया गया , सारे प्रयोगात्मक नाश्ते , मलाई कोफ्ते, शाही टुकड़े सब बंद , चाय का समय भी अगले दिन सुबह सात से साढ़े आठ हो गया , पौधों को पानी देना बंद ,सीरियल देखना बंद , मुस्कुराना बंद , कमरे से बाहर आना बंद । 

शाम होते होते सासु माँ ने भी स्तिथि को भांप कर , अपना भी अस्त्र फेंक ही दिया -" जब देखो तब मुँह ही बना रहता है , कभी हँस के बात नहीं करती ।"

" मेरे पास बहुत काम है , अपना काम करें की बैठ के हँसे" - बहु ने मेथी साफ़ करते हुए कहा ।

सासु माँ ने भी अपनी मिसाइल तैयार ही रखी थी , बस बहू की मोटी रोटी से शुरू होकर , बेटे को वश में करने वाले ताने से होते हुए अंत में सबसे कमजोर जगह यानी बहू के मायके पर ताबतोड़ हमला कर दिया , किसी को नहीं छोड़ा , बहू के पापा , बहू की मम्मी , भाई-बहन, यहाँ तक की उनकी कार, उनका छोटा शहर,उनका दिया गिफ्ट का सामान ,सब पर एक- एक करके बम गिराती चली गयी , अचानक हुए हमले से घबराकर बहू ने अपने पड़ोसी देश यानी पति की और देखा , लेकिन वो तो खुद ही डरा हुआ था, बहू ने यु एन, यानी ससुरजी से गुहार लगाई , लेकिन सबको पता है की उनकी सुनता ही कौन है ? 

बुरी तरह हार कर, पराजित, अपमानित बहू, चुपचाप अपने कमरे में भाग गयी ।

सुबह हुई , चाय के समय भी तनाव का ही माहोल रहा , तभी अचानक डोरबेल बजी , बगलवाली रेड्डी आंटी आयीं थीं , उनके आते ही घर का माहोल थोड़ा सा ठीक हो गया , लोग भी हँसने- बतियाने लगे , रेड्डी आंटी ने बताया की कल उनके बेटे के नए घर का गृहप्रवेश है। 

"अच्छा -अच्छा "- दावत की उम्मीद में सासु माँ खुश हो गयीं

" आप सब को सपरिवार, मिल्क वार्मिग सेरेमनी में आना है "- आंटी ने कार्ड पकडाते हुए कहा ।

" वो क्या होता है?" - सासु माँ ने धीरे से कार्ड खोलते हुए पूँछा ।

" हमारे यहां गृहप्रवेश में , दूध को उबाल कर गिराते हैं, यानी ऐसा मानते हैं की, घर धन -धान्य से भरा रहे , बहुत शुभ माना जाता है " - आंटी मुस्कुराते हुए बोलीं ।

बाकी कोई नहीं बोला, सब चुप थे , बस किचन में आंटी के लिए कॉफी बना रही बहुरानी, विजयी मुस्कान से लबालब हो रही थी ।



Rate this content
Log in

More hindi story from Rekha Singh

Similar hindi story from Drama