समझदार बिटिया
समझदार बिटिया
इस वृद्धावस्था में अपनी बेटी की सेवा और समर्पण देखकर, आज नीता का दिल भर आयाI वह सोच में पड़ गईI कितना बवाल मचाया था सास ने और इसके पापा ने। जब घर पर पता चला कि कोख में लड़की है। मेरी तो शामत ही आ गई थी।
रोज घर की शांति भंग। तुम अबॉर्शन करवा लो या घर से निकल जाओ।
घर वालों का ये अंतिम फैसला था और मैं इतना विरोध करने पर भी चुपचाप अपनी बेटी को जन्म देने की ज़िद से उस दिन घर छोड़कर चली आईI यह नहीं सोचा कि कहाँ जाऊंगी? कहाँ रहूँगी? पर मन में ठान लिया था कि बिटिया इस कोख से बाहर आएगी और जन्म लेगी।
इतने में ऋतु आती है, "अरे माँ क्या सोच रही हो? तुम्हारी दवाई का वक्त हो गया है, फिर तुम्हे वॉकिंग भी जाना है और देखो तो सही सुबह के 8:00 बज गए हैं और 10:00 बजे मुझे ऑफिस भी जाना है।"
मां ने ऋतु के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा कि सच में, मैं तो तुझ जैसी बेटी पाकर धन्य हो गई हूं। आज तेरे पिता ऊपर से तुझे देख कर पछता रहे होंगे कि उन्होंने तेरे साथ कितनी नाइंसाफी की।
बेटे की ज़िद पकड़ी हुई थी कि पहला बच्चा बेटा ही होगा।
तुझे बाप के प्यार-दुलार से वंचित रखाI
यह सब सुनकर ऋतु ने तपाक से मां से कहा, "तुम भी माँ क्या क्या सोचती रहती हो। ज्यादा इसी तरह सोचोगी तो ठीक कैसे होगीI तुम्हें ठीक होना है। वह भी जल्दी और मेरे लिए ही ठीक होना है।"
याद है मैं हमेशा यही कहती हूं कि तुम मेरे लिए माँ-बाप दोनों हो। मैं हमेशा आपको अपने साथ मेरा संबल बनकर देखना चाहती हूँ।
आप ही हो जिसकी बदौलत मैं आज सांस ले रही हूँ। तुम अगर साहस न दिखाती तो आज मैं इतनी सारी बच्चियों की तरह अबॉर्शन करवा दी जाती जो समाज की दक़ियानूसी बातों का शिकार हो, बेटा ही चाहते हैं।
क्यों माँ ? कब हमारे समाज में चेतना आएगी।कहने को तो हमारा देश उन्नति कर रहा है, पर क्या विचारों से उन्नत हो पाया है? मुझे गर्व है आप पर कि आपने अपने को मुसीबत में रखकर भी मुझे जन्म दिया। आज मैं इस क़ाबिल हूँ कि मुझे अपनी माँ की सेवा करने का पुण्य मिल रहा है। तुम मेरे लिए भगवान हो माँ। अगर आपको कुछ हो गया तो देखना तुम्हारी ऋतु मर जाएगी। और देखना,मैं शादी भी उसी से करूंगी जो मुझे आपके साथ स्वीकारेगा और आपको अपनी सास नहीं माँ मानेगा।
इस वर्ष आई०ए०एस०ऑफिसर बन जाऊँ, तो बस आपका ख्वाब पूरा हो ।
फालतू बात सोचना छोड़कर जल्दी से घूमने के लिए तैयार हो जाओ। माँ तुम ही तो मुझे कहा करती थी- "जो बीत गया सो बात गयी, आगे की सुध ले।" बस यही सोच कर कि आगे आने वाला हर पल हमारा अच्छा होगाI मैं मेहनत और ईमानदारी से काम करती हूं। अब जल्दी से उठो, घूमने के लिए तैयार हो जाओ। ऋतु ने प्यार से डांट कर माँ से कहा।
माँ की आँखों से झर-झर आँसू बहने लगे । उसने साड़ी के पल्लू से आँसू पोछते हुए कहा कि वाकई मेरी बिटिया समझदार हो गई है।
