शुक्र है वो सपना था
शुक्र है वो सपना था
मैं सोकर उठा ही था कि माँ ने कहा कि बाजार जाओ और 1किलो चीनी लेकर आओ।
मैंने बाईक निकाली और बाजार के लिए रवाना हुआ, मैं कुछ मिनट बाद बाजार पहुँचा, वहाँ दुकानों की दशा देखकर मैं हैरान था क्योंकि ज्यादातर दुकानें बंद थी बस कुछ ही खुली थी, दुकानों के बारे में सोचते हुए मैं एक दुकान पर पहूँचा और बोला- भैया 1किलो चीनी दे दो।
और उसे 50 का नोट हाथ में थमाने लगा तो दुकानदार ने 50 का नोट न लेते हुए कहा- भाई आपने चीनी कब ऑर्डर की थी, उसकी पर्ची हैं आपके पास, और चीनी के पैसे आपके खाते से सीधे काट लिए जायेंगे, बताओ भाई आपने चीनी कब ऑर्डर की थी।
दुकानदार क्या कह रहा था मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था, मैंने कहा- भैया रुको, ये आप क्या कह रहे हैं, ये सिसटम कब लागू हूआ और ये क्या है।
तो दुकानदार ने कहा- सनी भाई, आप कहा जी रहे हैं, हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने रात को केश लैस इंडिया कर दिया हैं, और कहा है कि आज के बाद सब कुछ ऑनलाइन होगा, सबको एक एंड्रोइड मोबाइल खरीदना होगा और उससे अपना आवश्यक सामान ऑर्डर करना होगा, और कहा हैं कि हमारे डिजीटल भारत में सब कुछ डिजीटल होगा।
अब मुझे दुकानदार की सारी बात समझ में आ गयी थी कि अब कागज के नोटों का कोई महत्व नहीं हैं और सब कुछ ऑनलाइन हो गया हैं, पर अब मैं ये सोच रहा था कि ये बात मेरी अनपढ़ मा को कैसे समझाऊँगा, यह सोचते हुए मैंने बाईक स्टार्ट की और घर के लिए रवाना हुआ। थोड़ी दूर चला ही था कि एक छोटा बच्चा रोते हुए बाइक के सामने आ गया। मैंने बाइक रोकी तो वो रोते हुए कहने लगा-
सनी भैया मेरे पापा को बचा लो, मैंने कहा- क्या हुआ तेरे पापा को।
तो वो और जोर से रोते हुए कहने लगा कि उसके पापा खुदखुशी करने जा रहे हैं, मैं ये सुनते ही हवा सा दौड़ा और घर पहुँचा तो बच्चे के पिता शर्मा जी फाँसी के फंदे पर झुलने ही वाले थे, मैंने उन्हे रोका,नीचे उतारा और खुदखुशी का कारण पुछने लगा तो शर्मा जी भी रोते हुए कहने लगे कि-
ये मोदी जी हैं ना हम गरीब लोगों को मारकर ही दम लेंगे, सब कुछ ऑनलाइन कर दिये हैं, अब मोदी जी को कौन समझाये कि हम इस बेरोजगार भारत में पूरे दिन भर दो पैसे ही तो कमा पाते हैं, उसका मोबाइल खरीदे की खाता खुलवाये, उनके इस ऑनलाइन से कितनी दुकानें बन्द हो गयी, कितने लोग बेरोजगार हो गये, "ये मानो ऑनलाइन व्यापार बाजार को खा गया।"
और शर्मा जी कहते हैं कि ये बच्चे रो रहे हैं कि पापा खाने को आटा नहीं है पर मैं आटा लाऊँ भी तो कैसे क्योंकि मेरे पास चार पैसे तो हैं पर क्रेडिट कार्ड नहीं है, शर्मा जी को अपने घर के लिए बोल कर मैं घर के लिए रवाना हुआ ही था कि फिर से आँखें चकाचौंध हो गयी, मैंने देखा कि एक परिवार तेजी से आ रहे ट्रक के नीचे मरने के लिए भागा और मैं चिल्लाया कि अरे बचाओ,
इतने में किसी ने मुझ पर पानी फेंका, मैं नींद से उठा और सोचा "शुक्र है ये तो सपना था।"