शिक्षक का राष्ट्र निर्माण में योगदान
शिक्षक का राष्ट्र निर्माण में योगदान
शिक्षक राष्ट्र के निर्माता होते हैं। शिक्षक ही ज्ञान व सफलता का पहला आधार है जिसके अनुपस्थिति में सफल जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। शिक्षक ही हमारे सफलता की मजबूत नींव है। विद्यार्थी जीवन में शिक्षक का अत्यधिक महत्व होता है क्योंकि शिक्षक ही हमारे ज्ञान और जीवन मूल्यों के आधार है। शिक्षक अपने शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थी को आदर्श नागरिक के रूप में परिणत कर देता है जो भविष्य में राष्ट्र निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान करते हैं। शिक्षक हमारे मार्ग दर्शक होते हैं एवं हमारे व्यक्तित्व का विकास भी उनके द्वारा ही सम्भव है। शिक्षक के बिना हमारा जीवन अंधकारमय है। शिक्षक ही हमें सत्य-असत्य की पहचान कराते हैं एवं नैतिक मूल्यों को भी सिखाते हैं। हमारे भीतर ज्ञान का प्रकाशित होना गुरु के द्वारा ही संभव हो पाता है।
कबीर की एक पंक्ति है - "ग्यान प्रकाशा गुरु मिला"
किन्तु केवल ज्ञान दे देने से ही नहीं होगा बल्कि शिक्षक का कार्य अपने विद्यार्थियों को भविष्य में आने वाले चुनौतियों के लिए संघर्षशील बनाना है।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का कथन है - "शिक्षक वह नहीं जो तथ्यों को जबरन ठूंसे,बल्कि वह है जो उसे आनेवाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें।"
वैसे तो हमारे अभिभावक हमारे प्रथम गुरू होते हैं एवं उनसे भी हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है किंतु शिक्षक की उपस्थिति हमारे जीवन में बहुत अहमियत रखती है। शिक्षक अर्थात गुरु को तो ईश्वर से भी बड़ा दर्जा दिया गया है क्योंकि ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग भी हमें गुरु ही बताता है।
कबीर की ही पंक्ति है -" गुरू गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय।
बलिहारी गुरु अपने, गोविंद दियो बताय।।"
परन्तु वर्तमान समय में शिक्षा का उद्देश्य केवल धन प्राप्ति हो गया है। धन के लोभ में आकर अर्धज्ञानी भी अपने अधूरे ज्ञान के बल पर स्वयं को शिक्षक प्रमाणित कर विद्यार्थियों के जीवन के साथ छल करते हैं। विद्यार्थी ही हमारे देश का भविष्य है, एवं भविष्य के सुरक्षा की बागडोर शिक्षकों के हाथों में ही होती है इसलिए गुरु का कर्तव्य बनता है कि वे अपने शिष्यों को उचित ज्ञान दे,उनका मार्गदर्शन करें, एवं जीवन को विकसित बनाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें। शिक्षक ही विद्यार्थियों को इस काबिल बनाते है कि वे अपने देश एवं राष्ट्र के उन्नति में योगदान कर सके।
राष्ट्र को उन्नत बनाने के लिए देश का शिक्षित होना अत्यंत आवश्यक है। विद्यार्थी शिक्षक द्वारा दिये गए आदर्शों पर चलकर ही उन्नति करते है एवं देश को भी उन्नति के राह पर लाने का कार्यभार सम्भालते है अतः हम कह सकते हैं कि अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षक का राष्ट्र निर्माण में अमूल्य योगदान है।
महर्षि अरविंद ने शिक्षकों के सम्बन्ध में कहा है कि ‘‘शिक्षक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से सींचकर उन्हें शक्ति में निर्मित करते हैं।’’ महर्षि अरविंद का मानना था कि किसी राष्ट्र के वास्तविक निर्माता उस देश के शिक्षक होते हैं। इस प्रकार एक विकसित, समृद्ध और खुशहाल देश व विश्व के निर्माण में शिक्षकों की भूमिका ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है।
शिक्षक का व्यक्तित्व तो इतना महान है कि उनके विषय में जितना कहा जाय उतना कम है। एक गौरवशाली राष्ट्र का निर्माण शिक्षक द्वारा ही सम्भव है। अतः देश को विकसित बनाने के लिए शिक्षक की अत्यंत आवश्यकता है।