STORYMIRROR

Manish Mehta

Inspirational

4  

Manish Mehta

Inspirational

सबसे अच्छा तैराक

सबसे अच्छा तैराक

6 mins
492

माजिद ने जैसे ही रेस समाप्त होने पर अपना हाथ दीवार पर लगाया तुरन्त पानी से मुँह बाहर निकालते हुए देखा कि वह रेस में किस स्थान पर है। वह जानता है कि वह आज बहुत अच्छा तैरा पर अपने आगे केवल ऑस्ट्रेलिया के प्रतियोगी को देख वह समझ गया कि वह द्वितीय स्थान पर है।यह देख मानो उसकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा। आज वह विश्व में दूसरे नम्बर का तैराक है। ओलम्पिक में यह स्थान उसकी उम्मीद से कहीं बेहतर था। माजिद की नज़र बोर्ड पर गयी, अब यह स्थापित हो गया कि वह अलिम्पिक की फ़्रीस्टाइल तैराकी प्रतियोगिता में रजत पदक पर अपनी दावेदारी निश्चित कर चुका था। माजिद ने दर्शकों में एक भारतीय झंडा लहराते देखा, वह उसका छोटा भाई साजिद था और साथ उसका पूरा परिवार ख़ूब ज़ोर से तालियाँ बजा रहा था। दर्शकों में उसकी अम्मी, भाई, चाचा, चाची और चाचा के दोनो बेटे थे। वह सब उसकी ओर हाथ हिला रहे थे और अपनी ख़ुशी का इज़हार कर रहे थे। माजिद ने भी ताल से बाहर आकर उनकी ओर हाथ हिला दिया। वह जानता है उसकी यह जीत न केवल उसके लिए अपितु पूरे परिवार और उसके पूरे देश के लिए क्या मायने रखती है।


माजिद को आज भी याद है जब उसने पहली बार तरणताल देखा था। माजिद को आज भी यह दृश्य ऐसे याद है मानो कल ही की बात हो। वह आठ साल का था और पहली बार पूल देखकर मंत्रमुग्ध हो उठा था। पूल के पास पहुँच कर माजिद को लगा जैसे एक नई ही दुनिया में आ गया हो। एक तालाब जो इतने साफ़ पानी से भरा था कि नीचे का तल साफ़ नज़र आ रहा था मानो झुके और छू लिया। पानी की कलकल जैसे उसका नाम पुकार रही थी। कुछ लोग यूँ तैर रहे थे जैसे किसी ने काग़ज़ की नाव को हाथ-पाँव लगा दिए हों। दूर एक कोने में बच्चे अठखेलियाँ कर रहे थे, कभी एक दूसरे पर हथेलियों से पानी उछालते, तो कभी पानी में डुबकी लगाते। माजिद इस तरह पूल को निहार रहा था मानो अपनी आँखो के कैमरे पर वह सदा के लिए इस चित्र को बसा लेगा, शायद यही उसके लिए पहली नज़र का प्यार था।


माजिद की शुरुआत भी कम दिलचस्प नहीं थी। वह हर रोज़ अपने चाचा को सुबह उठकर कहीं जाता देखता था, ग़ार्मियो की छुट्टियाँ थी तो चाचा दो, तीन दिन से अपने दोनो बेटों वसीम और वाजिद को भी साथ ले जा रहे थे। एक दोपहर चाचा ने माजिद को आँगन में खेलते देखा और रोक कर पुकारा “माजिद सुन! ज़रा इधर आ” माजिद भागकर चाचा के पास गया और बोला “जी चाचा” “कल सुबह स्विमिंग करने चलेगा, लेकिन सुबह जल्दी उठना पड़ेगा, वसीम और वाजिद भी चलेंगे” चाचा बोले “जी पर मुझे तैरना कहाँ आता है चाचा” माजिद ने मासूमियत के साथ जवाब दिया, चाचा हँसकर बोले “कोई बात नहीं आ जायगी, सुबह पाँच बजे तैयार हो जाना मैं उठा दूँगा” “जी ठीक है” माजिद ने उत्तर दिया और फिर से खेल में लग गया। 


अगले दिन सुबह पाँच बजे चाचा ने दरवाज़े के बाहर से आवाज़ लगाई। संयुक्त परिवार के अपने कुछ नियम होते हैं जो कहे नहीं जाते पर उनका पालन सभी करते हैं। अम्मी ने माजिद को हिलाया और बोली “माजिद! उठ चाचा बुला रहे हैं” माजिद तुरन्त उठकर कमरे से बाहर आया, अपनी आँखे मलते हुए चाचा से बोला “अस-सलाम-अलैकुम चाचा, अभी जाना है क्या ” “वा-अलैकुम-सलाम बेटा” चाचा ने कहा “हाँ! और सुन साजिद को भी पूछ चलेगा क्या” सुनकर माजिद ने हाँ में सर हिला दिया और कमरे में वापिस चला गया। कमरे में दाख़िल होते ही कपड़े बदलने लगा और अपने छोटे भाई को आवाज़ लगाने लगा। साजिद ने करवट लेते हुए बोला “क्या है! सोने दे” माजिद बोला “चल उठ जा चाचा बुला रहे हैं स्विमिंग करने चलना है” साजिद जो स्वभाव से चंचल था तुरन्त उठा और तैयार होने लगा।


बाहर चाचा गाड़ी में बैठे बच्चों की प्रतीक्षा कर रहे थे। माजिद जानता था कि उसके दादा, पिता और चाचा तीनो को तैराकी का बहुत शोंक था लेकिन चाचा जिन्हें तैराकी का शोंक पागलपन की हद तक था, उसे वह एक दिन भी छोड़ना पसंद नहीं करते थे। बच्चों को ख़ास हिदायत थी कि जो भी देर करेगा चाचा उसको छोड़कर चले जाएँगे।चाचा तरणताल के स्थायी सदस्य थे और तैराकी के लिए इतने समर्पित जैसे अक्सर लोग इबादत के लिए होते हैं। माजिद, साजिद और वसीम जल्दी से गाड़ी के पास आकर खड़े हो गए पर वाजिद जो घर में सबसे छोटा था और सबसे लाडला भी अपनी सुस्त गति से घर के आँगन से टहलता हुआ बाहर आ रहा था, जैसे न उसे पिता की डाँट का असर था और न तैराकी का बहुत चाव। वह तो बस अपने बड़े भाइयों का अनुसरण कर रहा था और पिता की आज्ञा का पालन। तीनो बड़े बच्चे पिछली सीट पर बैठ गए और वाजिद पिता के साथ अगली सीट पर। पिता और फिर दादा के जाने के बाद चाचा ही तो थे जिनकी बात माजिद टाल नहीं सकता था। 


तरणताल पर पहुँचकर चाचा ने बच्चों को कॉस्टयूम का बैग थमाया और बोला जाओ तैयार हो कर जल्दी पूल के पास पहुँचो। पूल पर पहुँच माजिद जब मंत्रमुग्ध सा खड़ा था तब अचानक वाजिद ने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा “ भाई डर लग रहा है क्या? कोई नहीं हम उस छोटे पूल जहाँ बच्चे हैं वहाँ मस्ती करेंगे” माजिद चुपचाप साजिद, वसीम और वाजिद के पीछे चल पड़ा। वह बता नहीं सकता था कि उसने क्या अनुभव किया था। माजिद जिसके लिए यह सब एक अलौकिक अनुभव जैसा था, सब मानो एक पहेली सा था और पहेलियाँ समझाई नहीं जाती। 


माजिद को उस दिन के बाद हर सुबह का इन्तज़ार बेसबरी से रहता था। तरणताल पर सब उसके चाचा का बहुत सम्मान करते थे, इसलिए नहीं कि वह कई वर्षों से लगातार वहाँ आ रहे थे बल्कि इसलिए कि उसके चाचा वहाँ सबसे अच्छे तैराक थे। माजिद ख़ुद भी चाचा को तैरते देखकर कई बार बस निहारता रहता, उनके हाथ इस प्रकार मानो मक्खन में गरम चाक़ू सा चलता हो। लोग अक्सर उनसे पूछते क्या मैं ठीक कर रहा हूँ? एक सप्ताह के बाद माजिद हिम्मत करके चाचा के पास आया और बोला “चाचा मुझे स्विमिंग आ गयी” चाचा हँसते हुए बोले “अभी पाँच ही दिन तो हुए है तुझे, चल दिखा कितना सीखा तूने पर इस तीन फ़ुट में नहीं वहाँ बड़े पूल में कर लेगा क्या, उसकी गहराई दस फ़ुट है” वह जानते थे कि माजिद अभी सीखा नहीं था लेकिन शायद वह उसका होंसला और लगन देखना चाहते थे। माजिद ने एक पल बड़े पूल की तरफ़ देखा और फ़टाक से बोला “हाँ क्यूँ नहीं! पानी की गहराई से क्या फ़र्क़ पड़ता है तैरना तो मुझे पानी के ऊपर ही है ना” ये बात सुनकर चाचा के चेहरे पर एक चमक सी आ गयी जो माजिद ने आज से पहले नहीं देखी थी, शायद चाचा समझ गए थे कि उनके पिता, भाई और स्वयं उनके बाद परिवार को सबसे अच्छा तैराक मिल गया था। माजिद परिवार की परम्परा को आगे ज़रूर बड़ाएग और उसी दिन से माजिद की ट्रेनिंग का अध्याय शुरू हो गया। उस दिन से माजिद ने पलटकर नहीं देखा।


आज माजिद विश्व में दूसरे स्थान पर खड़ा है उसने अपनी बाईं ओर देखा तो ऑस्ट्रेलिया का तैराक उस से ऊँचे पायदान पर पहले स्थान पर खड़ा है लेकिन माजिद जानता है कि वह सबसे अच्छा तैराक नहीं है क्योंकि माजिद की नज़र में आज भी उसका चाचा ही हैं सबसे अच्छा तैराक।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational