साल का आख़िरी तोहफ़ा
साल का आख़िरी तोहफ़ा
एक रोज़ सुबह सुबह धूप खिली सर्द हवाओं के बाद जैसे कुछ बदल रहा हो मानो किसी की जिंदगी शहर आज कुछ रंगीन मिजाज में था जो चारों तरफ हल चल हो रही थी और शोर इतना मानो एक जग जीती हो इस शहर ने धूप खिलने के आगोस में ये दिसंबर भी कितना कुछ बोल जाता है बिना कुछ बोले हर बार आता है और नए विचारों को व्यक्त करते चला जाता है बाकी रहता है तो यादें और अफसोस
दिसंबर की बात है ये साल जानें को तैयार हैं कुछ देर की बात है सब साल नया बताने की वजह है हम सब कितना चाहते हैं एक नए साल से और ये साल हर बार जाते जाते एक नया जनवरी दे जाता है नई किरण के साथ नया सवेरा लेकर जिसको हम हर बार की तरह मिटा देते हैं बस कुछ ख़ुशी ढूंढने में
साल के आख़री दिन मैं कॉलेज से हॉस्टल आ रही थी रास्ते में एक औरत अपने 3 महिन के बच्चे के साथ और एक लड़की जो अभी 2साल की ही थी जो सब कुछ दुनियादारी से परे अंजान राहों में अपनी पहचान बनाने की तलाश में जो शायद अभी सोच सकती है पर कर नहीं सकती वो मां अपने बच्चों को लेकर इधर उधर भटक रही थी एक नए घर की तलाश में और साथ में नई साल है तो कुछ उसकी भी तमन्ना थी पुराने साल के साथ साथ पुराने घर से मैने कहा आंटी जी आप ऐसे कहा जा रही है इतने छोटे बच्चे को लेकर उसने छोटी छोटी आंखों में आंसु लेकर हुए कहा मेम साहब आप मुझे आंटी ना बोले हमें अच्छा नहीं लगता मैने पूछा ऐसा क्यों तो उन्होने कहा हम गरीब लोग हैं और हमें कोई इतनी इज्जत नहीं देता है तो आप भी न कहिये हमें आदत है ये औरत ओह बेहशर्म सुनने की तो आप भी भुला सकती है।
हमें ये सब मैने कहा ये सब आप को ऐसे नही बोल सकते आप अपनी पहचान बना रहे हैं वो कैसी भी हो सकती है और ये सब का अधिकार है तो उन्होंने कहा बेटा ये अधिकार सरकार हमारे लिए बनाई नहीं ये उन अमीर लोगों के लिए हैं जो हम जैसे का नशे की हालत में घर तोड़ जाते हैं और कोई उनका कुछ नहीं कर सकती क्योंकि हम गरीब लोग हैं तो कोई आवाज नहीं उठा सकते मैने कहा आप रो क्यों रहे हो क्या हुआ तो रोते हुए कहा कल रात किसी गाड़ी वाले ने मेरी झोपड़ी तोड़ दी नशे की हालत में गाड़ी से और मैंने बोला तो मुझे मारने लगे और गाली देने लगे उनसे बचकर निकल गई थी अभी तक कोई ठिकाना नहीं मिला रहने का मैने कहा आप अभी कहा जाओगे तो उन्होंने कहा पता नहीं ऐसे ही भटकना पड़ता है मैने कहा आप मंदिर है पास में वहा रह सकते हैं और हम सब आप की मदद करना चाहते हैं तो आप एक कमरा ले सकती है जिसका किराया हम देते रहेंगे उन्होंने कहा मुझ जैसे को कोई कमरा क्यों देंगे तो मेरे दोस्त ने कहा क्यों नहीं आप अपने बच्चों के साथ रहना काम करना और अपने लिए दो वक्त के खाने के पैसे लेना अच्छा खाना बनाना और इन बच्चों को खिलाना वो हंसते हुए बोले आप सब मुझे आज किसी जगह टहरने की जगह बता दो कमरा कल देखूँगी और मै अपने बच्चों को आप जैसा अच्छा और नेक इंसान बनाऊंग हमने पास में मंदिर वहा बात की उन्होंने एक दिन के लिए बोला पर कहा ये आज रह सकती है हमने उनको खाने के लिए पैसे दिए और कुछ देर तक बातें की उन्होंने अपने परिवार और समाज के साथ कैसे व्यवहार किया जाता है वो बताया और सबसे ज्यादा जो हमे आकर्षित कर रही थी उनकी ईमानदारी जो शायद बहुत कम लोग करते हैं ये जाता दिसंबर हमें गरीबों की हालात बता गया और उनको साहस का पिटारा और एक मजबूर मां को नया सवेरा दे गया।