नरेन्द्र कोहली
नरेन्द्र कोहली
वसुदेव का सार कर
अभ्युदय की वार से
तोड़ो कारा तोड़ो की नीति से
प्रत्यक्ष कर अभिज्ञान का रूप धारण कर
मै न भूतो न भविष्यति के शब्दो की कलम का हिस्सा हूं
बन गया जीवनी शक्ति का लेखक
अदभुत बनकर चला गया दिलों की धड़कन तेज कर
मै किताबों में पढ़ा गया वो एक नया इतिहास बन गया
मै महासंगम के कर्मो का वाद प्रस्तुत कर गय
प्रीति कथा कहता रहा तुम्हें आज का कोहली
जाते जाते मै न कह सका वो गीत बन गया
तू कर्मा से कहानी को पुराने अंदाज में पेश कर।
