Bharti Yadav

Romance

3.4  

Bharti Yadav

Romance

रूह का रिश्ता

रूह का रिश्ता

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दोपहर के दो बजे चाय की चुस्की, डायरी का पन्ना और बीती यादों का सिलसिला रीना का रोज का हमसफ़र बन गया था । अभी चाय के दो घूंट ही पी थी कि मोबाइल बज उठा दूसरी तरफ रवि था। कुछ देर की सामान्य बातचीत के बाद बात खतम हो गई लेकिन सालों बाद रवि से बात होने के बाद विचारों का सैलाब उमड़ने लगा रीना के मन में , जिसमे प्रश्न भी उसी के और उत्तर भी उसी के रहते।सोचने लगी थी रीना..क्या सच में रवि के मन में उसके लिए नफ़रत नहीं है और वो अब भी उसे चाहता है।खुद ही अपने आप से बातें करने लगी रीना।

सच अगर मै तुम्हारी जगह होती तो तुमसे नफरत के सिवा और कुछ ना करती। जाने किस मिट्टी के बने हो तुम..तुम्हारा दिल तोड़ा.....तुम्हारी बेइज्जती की...फिर भी तुम्हारे दिल में अब भी नफरत नहीं मेरे प्रति...या ये मेरा भ्रम है..कहीं ये बदला लेने की कोई तरकीब तो नहीं... नहीं ऐसा नहीं होगा खुद ही विचारों के उधेड़ बुन में रीना उत्तर दे रही थी।

हां मैंने ही तुम्हे ठुकराया था... मेरे मन में तुम्हारे प्रति कोई फीलिंग्स नहीं थी...जबरन तुम्हारा प्यार जताना मुझे परेशान कर रहा था..परिचितों से कहलाना मुझे अपनी इज्जत पर दाग सा लगा था...गुस्सा आ रहा था तुम पर....शायद तुम्हारा तरीका गलत था मुझे मनाने का ,अपने प्रति भरमाने का...।बचपन की दोस्ती या यूं कहें कि जान पहचान क्योंकि दोस्ती होती तो हम एक दूसरे के बारे में, पसंद नापसंद , दोस्तों आदि के बारे में अच्छे से जानते लेकिन हम दोनों को आज तक एक दूसरे के बारे में भी सब नहीं पता। लेकिन फिर भी पहचान गहरी थी क्योंकि हमारे पारिवारिक संबंध थे। तुम्हारे प्रणय निवेदन को अस्वीकार करने के बाद हमारे रास्ते अलग हो गए।

लेकिन इतने सालों के बाद भी सब ख़तम होने के बाद क्यों तुम हमेशा महसूस होते हो मुझे ..समझ नहीं पाती हूं मैं..।मै तुम्हारे काल्पनिक रूप से बातें करती हूं,तुम्हारा निश्छल प्रेम हर पल महसूस करती हूं ..बार बार दिल तुमसे माफी मांगता है ..ना जाने क्यों??शायद दिल के किसी कोने में मैंने तुम्हे जबरन बांध कर बंद कर दिया होगा और शायद यही कारण है कि तुम मेरी सोच के दायरे से बाहर नहीं निकल पाए हो अब तक ...लेकिन ना जाने क्यों अब महसूस होता है मुझे , हमारा संबंध रूह का है इसलिए तो बार बार बिछड़ कर मिल जाते हैं हम।

जिन्दगी के हर मोड़ पर टकरा ही जाते हैं..बचपन,जवानी और अब प्रौढ अवस्था में भी...ये क्या ईश्वर का संकेत है हमारे रूहानी रिश्ते का... ।

हां सच रूह का ही रिश्ता है हमारा...।

रिश्ता रूहानी है तभी तो.. ना.. मिलने की चाहत है ना.. बिछड़ने का ग़म..।साथ ना होकर भी हर पल रहते हो साथ। इसलिए नहीं कि प्रेम करती हूं तुमसे.. नहीं...बल्कि इसलिए कि तुम्हारा प्रेम महसूस होता है मुझे...।


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