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Ekta Rishabh

Drama

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Ekta Rishabh

Drama

रिश्तों की मर्यादा !

रिश्तों की मर्यादा !

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माँ जाने दो ना होली पे राधा दीदी के घर। इस बार वैसे भी होली ले कर बाबूजी जा ही रहे है तो मुझे भी भेज दो थोड़े दिन बाद दीदी के साथ वापस आ जाऊंगी "।

"मान जा अंजलि, इस तरह बहन के घर जाना ठीक नहीं होता "।

"क्यों ठीक नहीं होता माँ, वहाँ सब मुझे कितना प्यार करते है और फिर थोड़े दिन कि ही तो बात है होली बाद तो दीदी अपनी डिलीवरी के लिये आ ही रही है तब साथ में आ जाऊंगा।

पिछले दो दिनों से सोलह साल कि अंजलि अपनी माँ को मनाने में लगी थी कि उसे होली मनाने उसके दीदी के घर भेज दे माँ लेकिन जवान बेटी को कहीं भेजनें से ही माँ का दिल घबराहट से भर उठता लेकिन जब बेटी दामाद भी भेजनें को कहने लगे तो आखिर माँ को हाँ कहना ही पड़ा।

"सुन बिटिया दीदी के घर अच्छे से रहना दुप्पटा ले कर ही घूमना और हां सिर्फ सलवार कमीज ले कर जाना ये फ्रॉक ले कर मत जाना। ढेरों नसीहतें और ढेरों बातें समझा माँ ने अंजलि को भेज दिया।

दीदी के घर पहुंच अंजलि के ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। माँ ने जैसे जैसे समझाया था वैसे ही दो तीन दिन अंजलि रही लेकिन आखिर थी तो बच्ची ही लग गई दीदी के घर भी मस्ती करने में।

राधा दीदी के घर सब बहुत अच्छे थे बहुत बड़ा सा घर था उनका लेकिन जाने क्यों दीदी के जेठजी रमन की घूरती नजरे असहज सी कर देती अंजलि को। आते जाते रमन की तीखी नज़रे अंजलि पे जमीं रहती।

"सुन अंजलि कल होली है जल्दी उठ जाना और अम्मा और जेठानी जी की थोड़ी मदद कर देना रसोई में त्यौहार के दिन है और मुझसे अब ज्यादा काम हो नहीं पाता"। राधा ने कहा तो अंजलि कहने लगी, " अरे दीदी परेशान ना हो मैं हूँ ना सारे काम फटाफट करवा दूंगी।

होली के दिन सुबह सवेरे उठ अंजलि नहा धो रसोई में पहुंच गई देखा तो दीदी की सासूमाँ अकेली रसोई में खड़ी दहीबड़े बना रही थी।

"होली मुबारक़ अम्मा ", पैर छू अंजलि ने कहा तो

मुस्कुरा कर अम्मा ने ढेरों आशीर्वाद दे दिये।

"बड़ी दीदी नहीं आयी अभी तक "? राधा की जेठानी को ना देख अंजलि ने पूछा।

"बुखार हो आया है बड़ी बहु को आराम कर रही है और छोटी के अंतिम दिन चल रहे है अब तो हम दोनों ही रह गए है अंजलि और इतना सारा काम पड़ा है।

"परेशान ना हो अम्मा मैं हूँ ना लाओ मैं बड़े बनाती हूँ तब तक आप कुछ और काम कर लो "। अंजलि ने बड़े का भगोना हाथ में ले लिया।

होली की हुरदंग शुरु हो चुकी थी। आस पास की औरतों की टोली आती और अंजलि को रंग लगा देती।थोड़ी होली अंजलि ने अपने जीजू और दीदी के साथ भी खेल ली इस बीच रसोई के काम भी निपटाती रही।

पड़ोस की बड़ी औरतें आयी तो अम्मा उनके साथ निकल ली जाते जाते कह गई, "अंजलि बिटिया सारा खाना अच्छे से ढक कर नहा ले तू भी।

अभी अंजलि सब कर ही रही थी की किसी मजबूत बाजु ने अंजलि को जकड़ लिया कुछ समझती या कुछ कहती अंजलि इससे पहले रंग लगाने की आड़ में अंजलि के शरीर से खेलने लगा वो इंसान।

पिंजरे में बंद पंछी की तरह छटपटाती अंजलि को कुछ सूझ नहीं रहा था हाथ इधर उधर किया तो हाथों में करछी आ गई अभी अभी जूझिया तल के गैस बंद किया ही था बस ना आव देखा ना ताव गर्म करछी उठा के जोर से मार दिया अंजलि ने। तेज़ चीख के साथ वो गिरा इंसान पलट के अंजलि देखी तो देखती रह गई, "बड़े जीजाजी आप"? बस इतना ही निकल पाया।शोर सुन राधा, उसके पति, जेठानी सब आ गए।

रमन को मुँह पकड़ जमीन पे लोटता देख दंग रह गए घरवाले।

"ये सब क्या हो रहा है"?

"पागल हो गई है तेरी साली छोटे, तेरी साली समझ सोचा थोड़ी होली खेल ली थोड़ा रंग क्या लगाने आया इसने तो गर्म करछी मुँह पे मार दी।

"मेरे पति पे हाथ उठाने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी अंजलि "? राधा की जेठानी चीखी।

"सिर्फ रंग लगाया था अपने बड़े जीजाजी? क्यों झूठ बोल रहे है आप"? थर थर काँप रही थी अंजलि।

"मैं झूठ बोल रहा हूँ? ऐसा क्या है तुझमे जो तुझे छूने आऊंगा मैं"? रमन भी गुस्से से फुफकारता हुआ बोला।

"बस भैया अंजलि ने तो कहा भी नहीं की आपने उसे छुआ था और भूलियेगा मत की छोटा भाई हूँ आपका आपकी एक एक हरकत जानता भी हूँ और पहचानता भी। अंजलि को मैंने बुलवाया था वो मेरी और इस घर की अमानत है और अपने उसपे बुरी नज़र डाली इसके लिये मैं कभी आपको माफ़ नहीं करूँगा"।

रमन और उसकी पत्नी को वही हैरान छोड़ रोती बिलखती अंजलि का हाथ पकड़ उसके जीजाजी कमरे में ले गए।

"मुझे माफ़ कर दो अंजलि मेरे भाई ने तुम्हारे साथ गलत किया लेकिन मुझे ख़ुशी इस बात की है की तुमने हिम्मत नहीं हारी खुद के लिये लड़ी "।

" नहीं जीजू आप क्यों माफ़ी मांग रहे है? गलती मेरी है जब उनकी घूरती नज़रे मुझे असहज कर रही थी तभी मुझे आपको या दीदी को बताना चाहिये था।

"जो हो गया उसे भूल जाओ अंजलि कई बार ऐसे लोग बाहर नहीं हमारे घर में ही मिल जाते है। अंजलि को दुलार कर राधा ने समझाया।

इस घटना के बाद शर्म से रमन और उसकी पत्नी कभी अंजलि के सामने नहीं आये। अंजलि के मना करने पे रमन ने कोई कानूनी कार्यवाई नहीं की अपने भाई के खिलाफ लेकिन इस घटना ने एक दरार डाल दी दोनों भाइयों के रिश्ते में।


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