रिश्ते
रिश्ते
निधि और आयुष आज आमने सामने आ गए थे या फिर यूँ कहे कि किस्मत उन्हें एक बार फिर एक दूसरे के सामने लेकर आ गई थी तो गलत नहीं होगा। दोनों ही अपने बच्चों की ख़ुशी के लिए आज एक दूसरे के सामने थे लेकिन उनके दिल में एक डर था कि जो कुछ उनके रिश्ते के साथ हुआ था वही अंजाम कही उनके बच्चों के रिश्तों का न हो।
उन दोनों को अपना अतीत याद आ रहा था जिसका सबसे ज्यादा असर आयुष पर हुआ था। वो शुभांकर की शादी थी जहाँ निधि और आयुष की पहली मुलाकात हुई थी। निधि की माँ अपनी बेटी के लिए एक सुयोग्य वर की तलाश में थी और आयुष उन्हें पहली ही नज़र में भा गया।
धीरे धीरे निधि और आयुष के परिवार वालों ने उनके रिश्ते की बात आगे बढ़ाई और फिर दोनों में चोरी छिपे मिलने का सिलसिला शुरू हुआ। अब आयुष निधि को ही अपने जीवनसाथी के रूप में देखना चाहता था।
सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन एक दिन आयुष के घर निधि के पापा ये रिश्ता तोड़ने के लिए आ पहुंचे। इस रिश्ते के टूटने की वजह सिर्फ इतनी सी थी कि निधि के लिए उनसे ज्यादा अच्छा रिश्ता मिल गया था और निधि ने भी इस रिश्ते के लिए सहमति दे दी थी।
निधि के इस तरह इंकार करने से आयुष बुरी तरह से टूट गया था। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जिस लड़की को वह अपनी जीवनसंगिनी के रूप में चुन चुका है, वही एक दिन उसे ठुकरा देगी। अगर आयुष में कोई कमी इस इंकार की वजह होती तो आयुष को इतना दुख नही होता जितना कि अब हुआ था और इसी कारण वो अवसाद में चला गया। अपने इसी अवसाद के इलाज के लिए वो जिस डॉक्टर के पास जाता था आज वही उसकी पत्नी थी।
आज जब आयुष और निधि एक बार फिर मिले तो आयुष को डर था कि जिस लड़की ने केवल पैसो के लिए उसके रिश्ते को भुला दिया था तो क्या उसकी बेटी भी वैसा ही न करेगी। वही निधि को डर था कि अपने अतीत की नाराजगी की वजह से कहीं आयुष इस रिश्ते से इंकार न कर दे।
लेकिन जब आयुष ने उसके सामने सगाई का निमंत्रण पत्र रखा जिसमें एक पर्ची रखी थी- “हम अपने अतीत का असर बच्चों पर नहीं डाल सकते है और उम्मीद है तुम भी ऐसा नहीं करोगी। एक नए रिश्ते से पुराने रिश्तों को जोड़ देते हैं।