Kajal Kumari

Inspirational

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Kajal Kumari

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रामायण की अनसुनी कहानी ।

रामायण की अनसुनी कहानी ।

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राजा जनक ने सीता स्वयंवर में अयोध्या नरेश दशरथ को आमंत्रण क्यों नहीं भेजा.... हम नहीं जानते ये झूठ या सच लेकिन है बहुत भावुक ओर रोचक!! इस कथा को संतों और कथा वाचकों ने बताया है|


रामु अमित गुन सागर थाह कि पावइ कोइ। संतन्ह सन जस किछु सुनेउँ तुम्हहि सुनायउँ सोइ॥


भावार्थ:- श्री रामजी अपार गुणों के समुद्र हैं, क्या उनकी कोई थाह पा सकता है? संतों से मैंने जैसा कुछ सुना था, वही आपने सुना है, वही आपको सुना रहा हूँ।


राजा जनक के शासनकाल में एक व्यक्ति का विवाह हुआ। जब वह पहली बार सज सँवरकर ससुराल के लिए चला, तो रास्ते में चलते चलते एक जगह उसको दलदल मिला, जिसमें एक गाय फँसी हुई थी, जो लगभग मरने के कगार पर थी।उसने विचार किया कि गाय तो कुछ देर में मरने वाली ही है तथा कीचड़ में जाने पर मेरे कपड़े तथा जूते खराब हो जाएँगे, अतः उसने गाय के ऊपर पैर रखकर आगे बढ़ गया। जैसे ही वह आगे बढ़ा गाय ने तुरन्त दम तोड़ दिया तथा श्राप दिया कि जिसके लिए तू जा रहा है, उसे देख नहीं पाएगा, यदि देखेगा तो वह मृत्यु को प्राप्त हो जाएगी।


वह व्यक्ति अपार दुविधा में फँस गया और गौ श्राप से मुक्त होने का विचार करने लगा। ससुराल पहुँचकर वह दरवाजे के बाहर घर की ओर पीठ करके बैठ गया और यह विचार कर कि यदि पत्नी पर नजर पड़ी, तो अनिष्ट नहीं हो जाए। परिवार के अन्य सदस्यों ने घर के अन्दर चलने का काफी अनुरोध किया, किन्तु वह नहीं गया और न ही रास्ते में घटित घटना के बारे में किसी को बताया।


उसकी पत्नी को जब पता चला, तो उसने कहा कि चलो, मैं ही चलकर उन्हें घर के अन्दर लाती हूँ। पत्नी ने जब उससे कहा कि आप मेरी ओर क्यों नहीं देखते हो, तो भी चुप रहा। काफी अनुरोध करने के उपरान्त उसने रास्ते का सारा वृतान्त कह सुनाया। पत्नी ने कहा कि मैं भी पतिव्रता स्त्री हूँ। ऐसा कैसे हो सकता है? आप मेरी ओर अवश्य देखो।


पत्नी की ओर देखते ही उसकी आँखों की रोशनी चली गई और वह गाय के शापवश पत्नी को नहीं देख सका। पत्नी पति को साथ लेकर राजा जनक के दरबार में गई और सारा कह सुनाया। राजा जनक ने राज्य के सभी विद्वानों को सभा में बुलाकर समस्या बताई और गौ श्राप से निवृत्ति का सटीक उपाय पूछा।


सभी विद्वानों ने आपस में मन्त्रणा करके एक उपाय सुझाया कि, यदि कोई पतिव्रता स्त्री छलनी में गंगाजल लाकर उस जल के छींटे इस व्यक्ति की दोनों आँखों पर लगाए, तो गौ श्राप से मुक्ति मिल जाएगी और इसकी आँखों की रोशनी पुनः लौट सकती है।राजा ने पहले अपने महल के अन्दर की रानियों सहित सभी स्त्रियों से पूछा, तो राजा को सभी के पतिव्रता होने में संदेह की सूचना मिली। अब तो राजा जनक चिन्तित हो गए। तब उन्होंने आस पास के सभी राजाओं को सूचना भेजी कि उनके राज्य में यदि कोई पतिव्रता स्त्री है, तो उसे सम्मान सहित राजा जनक के दरबार में भेजा जाए।


जब यह सूचना राजा दशरथ (अयोध्या नरेश) को मिली, तो उसने पहले अपनी सभी रानियों से पूछा। प्रत्येक रानी का यही उत्तर था कि राजमहल तो क्या आप राज्य की किसी भी महिला यहाँ तक कि झाडू लगाने वाली, जो कि उस समय अपने कार्यों के कारण सबसे निम्न श्रेणी की मानी जाती थी, से भी पूछेंगे, तो उसे भी पतिव्रता पाएँगे।


राजा दशरथ को इस समय अपने राज्य की महिलाओं पर आश्चर्य हुआ और उसने राज्य की सबसे निम्न मानी जाने वाली सफाई वाली को बुला भेजा और उसके पतिव्रता होने के बारे में पूछा। उस महिला ने स्वीकृति में गर्दन हिला दी।तब राजा ने यह दिखाने कर लिए कि अयोध्या का राज्य सबसे उत्तम है, उस महिला को ही राज सम्मान के साथ जनकपुर को भेज दिया। राजा जनक ने उस महिला का पूर्ण राजसी ठाठ बाट से सम्मान किया और उसे समस्या बताई। महिला ने कार्य करने की स्वीकृति दे दी।


महिला छलनी लेकर गंगा किनारे गई और प्रार्थना की कि, ‘हे गंगा माता! यदि मैं पूर्ण पतिव्रता हूँ, तो गंगाजल की एक बूँद भी नीचे नहीं गिरनी चाहिए।’ प्रार्थना करके उसने गंगाजल को छलनी में पूरा भर लिया और पाया कि जल की एक बूँद भी नीचे नहीं गिरी। तब उसने यह सोचकर कि यह पवित्र गंगाजल कहीं रास्ते में छलककर नीचे नहीं गिर जाए, उसने थोड़ा सा गंगाजल नदी में ही गिरा दिया और पानी से भरी छलनी को लेकर राजदरबार में चली आयी।


राजा और दरबार में उपस्थित सभी नर नारी यह दृश्य देख आश्चर्यचकित रह गए तथा उस महिला को ही उस व्यक्ति की आँखों पर छींटे मारने का अनुरोध किया और पूर्ण राज सम्मान देकर काफी पारितोषिक दिया।


जब उस महिला ने अपने राज्य को वापस जाने की अनुमति माँगी, तो राजा जनक ने अनुमति देते हुए जिज्ञासा वश उस महिला से उसकी जाति के बारे में पूछा। महिला द्वारा बताए जाने पर, राजा आश्चर्यचकित रह गए।

सीता स्वयंवर के समय यह विचार कर कि जिस राज्य की सफाई करने वाली इतनी पतिव्रता हो सकती है, तो उसका पति कितना शक्तिशाली होगा?


यदि राजा दशरथ ने उसी प्रकार के किसी व्यक्ति को स्वयंवर में भेज दिया, तो वह तो धनुष को आसानी से संधान कर सकेगा और कहीं राजकुमारी किसी निम्न श्रेणी के व्यक्ति को न वर ले, अयोध्या नरेश को राजा जनक ने निमन्त्रण नहीं भेजा, किन्तु विधाता की लेखनी को कौन मिटा सकता है?अयोध्या के राजकुमार वन में विचरण करते हुए अपने गुरु के साथ जनकपुर पहुँच ही गए और धनुष तोड़कर राजकुमार राम ने सीता को वर लिया।


       जय श्री राम

       


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