Kajal Kumari

Children Stories Inspirational

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Kajal Kumari

Children Stories Inspirational

"सहनशील

"सहनशील

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भगवान बुद्ध एक गांव में उपदेश दे रहे थे उन्होंने कहा कि- "हर किसी को धरती माता की तरह सहनशील तथा क्षमाशील होना चाहिए, क्रोध ऐसी आग है ,जिसमें क्रोध करने वाला दूसरों को जलाएगा तथा खुद भी जल जाएगा"।

 सभा में सभी शांति से बुद्ध की वाणी सुन रहे थे, लेकिन वहां स्वभाव से ही 

अतिक्रोधी एक ऐसा व्यक्ति भी बैठा हुआ था, जिसे ये सारी बातें बेतुकी लग रही थी ।वह कुछ देर यह सब सुनता रहा फिर अचानक ही आग बबूला होकर बोलने लगा- " तुम पाखंडी हो बड़ी-बड़ी बातें करना, यही तुम्हारा काम है ।तुम लोगों को भ्रमित कर रहे हो तुम्हारी यह बातें आज के समय में कोई मायने नहीं रखती"।  

ऐसे कटु वचनों सुनकर भी बुद्ध शांत रहें, उस क्रोधी व्यक्ति की बातों से ना तो वह दुखी हुए ना ही कोई प्रतिक्रिया व्यक्त की। *यह देखकर वह व्यक्ति और भी क्रोधित हो गया और उसने बुद्ध के मुंह पर थूक कर वहां से चला गया ।

अगले दिन जब उस व्यक्ति का क्रोध शांत हुआ, तो उसे अपने बुरे व्यवहार के कारण वह पछतावे की आग में वह जलने लगा और उन्हें अर्थात बुद्ध को ढूंढते हुए उसी स्थान पर पहुंचा, पर बुद्ध वहां कहां मिलते , वे तो अपने शिष्यों के साथ पास वाले एक अन्य गांव के लिए निकल चुके थे।

 व्यक्ति ने बुद्ध के बारे में लोगों से पूछा और ढूंढते ढूंढते जहां बुद्ध प्रवचन दे रहे थे, वहां पहुंच गया उन्हें देखते ही वह उनके चरणों में गिर पड़ा और बोला "मुझे क्षमा कीजिए प्रभु"

बुद्ध ने पूछा - "कौन हो भाई? तुम्हें क्या हुआ है? तुम क्यों मुझसे ,क्षमा मांग रहे हो?

उसने कहा कि- "आप भूल गए, मैं वही हूं, जिसने कल आपके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया था, मैं शर्मिंदा हूं ,मैं मेरे दुष्ट आचरण की क्षमा याचना करने आपके पास आया हूं"। *भगवान बुद्ध ने उस व्यक्ति से बड़े प्रेम पूर्वक कहा- " बीता हुआ कल तो मैं वहीं छोड़ कर आ गया, और तुम अभी भी वहीं अटके हुए हो, तुम्हें अपनी गलती का आभास हो गया तुमने पश्चाताप कर लिया, अब तुम निर्मल हो चुके हो, अब तुम आज मैं प्रवेश करो, बुरी बातें तथा बुरी घटनाएं, याद करते रहने से वर्तमान और भविष्य दोनों बिगड़ते जाते हैं ,बीते हुए कल के कारण आज को मत बिगाड़ो"

 उस व्यक्ति का सारा बोझ उतर गया ,उसने भगवान बुद्ध के चरणों में पड़कर व क्रोध त्याग कर तथा क्षमा शीलता का संकल्प लिया, बुद्ध ने उसके मस्तिष्क पर आशीष का हाथ रखा। उस दिन से उस व्यक्ति में, परिवर्तन आ गया और उसके जीवन में सत्य, प्रेम व करुणा की धारा बहने लगी।

 मित्रों बहुत बार हम भूतकाल में भी की गई, किसी गलती के बारे में सोच कर बार-बार दुखी हो और दुखी होते हैं और खुद को कोसते रहते हैं। हमें ऐसा कभी नहीं करना चाहिए ,गलती का बोध हो जाने पर हमें उसे कभी ना दोहराने का संकल्प लेना चाहिए, और नई ऊर्जा के साथ वर्तमान को सुदृढ़ बनाना चाहिए।सहनशील, क्षमाशील बनिये ।


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