प्यार के हकदार💞
प्यार के हकदार💞
भाग 1 — एकतरफ़ा प्यार की शुरुआत
शहर छोटा-सा था, पर उसके दिल में एक बहुत बड़ा राज़ था—
वह उसे चाहता था।
बहुत गहराई से।
बहुत चुपचाप।
उसका नाम आरव था—साधारण सा लड़का, पर दिल बेहद असाधारण।
वह हमेशा क्लास में सबसे पीछे बैठता था, और अनाया—उसकी क्रश—हमेशा आगे।
आरव उसे देखता था,
पर अनाया हमेशा मुस्कुरा कर आगे बढ़ जाती थी।
उसे लगता था कि शायद अनाया उसके लिए बस हवा का एक झोंका है—
आती है, महक छोड़कर चली जाती है।
पर आरव के लिए वह हवा नहीं, जिंदगी थी।
वह उसे देखता था—
उसके बालों की लटें,
उसकी हँसी,
उसके बोलने का अंदाज़—
सब उसे पागल कर देते थे।
शाम को वह घर के कमरे में बैठकर शायरी लिखता रहता—
अनाया पर, उसकी मुस्कान पर, उसकी बातों पर।
पर कहना?
हिम्मत कभी नहीं हुई।
भाग 2 — उसके लिए की गई मेहनत, struggle, और टूटते सपने
आरव हर दिन उसके लिए कुछ न कुछ करता।
कभी उसकी किताबें बिना बताए उसके बैग में रख देता ताकि उसे ढूँढ़ना न पड़े।
कभी उसके कॉलेज फेस्ट के लिए प्रोजेक्ट रात-रात जागकर बना देता।
कभी उसकी फ्रेंड्स को नोट्स दे देता ताकि indirectly उसकी मदद हो सके।
कभी सिर्फ एक मुस्कान के लिए एक घंटे तक कैंटीन में बिना कुछ खाए बैठा रहता।
अनाया को सब पता था।
बिल्कुल सब।
पर उसने कभी प्रतिक्रिया नहीं दी।
क्यों?
क्योंकि वह भी उसे चाहती थी।
पर उसे डर था।
डर कि कहीं आरव उसे समझ न पाए,
कहीं वह बात को हल्के में न ले ले,
कहीं वह उसे छोड़ न दे।
इसलिए वह मज़ाक करती, हल्के-फुल्के इशारे देती,
कभी नज़दीक…
कभी दूर…
आरव को लगता—
“शायद वह खेल रही है मुझसे।”
और इस खेल में उसके दिल पर खूब चोटें आती थीं।
फिर भी—
वह हर रोज़ केवल एक ही दुआ करता—
“भगवान…
कभी न सही…
पर एक बार उसे बता दूँ
कि मैं उसे कितना चाहता हूँ।”
भाग 3 — हिम्मत का वो दिन
एक शाम—अगस्त की वो शाम—आसमान नारंगी था।
हल्की हवा चल रही थी।
कॉलोनी के पार्क की बेंच पर आरव बैठा था।
दिल तेज़ धड़क रहा था।
हाथ काँप रहे थे।
आज…
आज वह सब कहने वाला था।
क्योंकि दिल का बोझ अब और नहीं उठता था।
अनाया उसके लिए हवा नहीं, साँस थी।
कुछ देर बाद अनाया आई।
नीली ड्रेस… खुले बाल…
वही मुस्कान।
पर आरव नहीं हँसा।
वह उसे पास बैठी और बोली—
“तुमने बुलाया था?
क्या बात है?”
आरव ने गहरी साँस ली।
और उसकी आँखों में झांककर बोला—
“अनाया…
मैं थक गया हूँ…
तुमसे छुपते-छुपते।
थक गया हूँ हर रात तुम्हारे बारे में सोचकर सोने से।
थक गया हूँ तुम्हारे होने से खुश होना…
और तुम्हारे न होने से टूट जाना…”
अनाया एकदम चुप हो गई।
आरव बोला—
“मैं तुमसे प्यार करता हूँ।
बहुत करता हूँ।
इतना सीधा, इतना साफ़, इतना सच्चा…
कि अगर तुम इंकार भी कर दो,
तो भी मैं यह कहना नहीं छोड़ूँगा कि तुम मेरी सबसे खूबसूरत चाहत हो।”
और फिर उसने वो शायरी सुनाई
जो उसने महीनों पहले लिखी थी—
“तू मिली तो यूँ लगा जैसे खुदा ने छू लिया,
तेरी हँसी में मेरी साँसों का वजूद घुल गया।
प्यार एकतरफ़ा था यह मानता हूँ मैं,
पर तेरे होने से ही मेरा दिल पूरा हो गया।”
अनाया की आँखें भर आईं।
वह कुछ बोल नहीं पा रही थी।
आरव आगे बोला—
“अगर तू मुझसे नहीं भी प्यार करती…
तब भी कोई ग़म नहीं।
बस एक बार—
एक बार सच-सच बता दे…
क्या मैं तेरे दिल में कभी था?”
भाग 4 — सच का वह पल
अनाया रो पड़ी।
उसने आरव का हाथ पकड़ लिया।
“आरव…
तुम बेवकूफ हो क्या?”
आरव हँसा हल्का-सा—
“लगता तो हूँ…”
अनाया ने उसे गले लगा लिया।
“तुम्हें क्या लगा?
मैं तुम्हारे प्यार से खेलती थी?
मैं तुम्हें मज़ाक में टालती थी?
नहीं…
मैं तो तुमसे और डरती थी…
इस बात से कि कहीं तुम मुझे गलत न समझ लो।”
आरव ने कहा—
“तो फिर क्यों छुपाया?”
अनाया ने उसके कंधे पर सिर टिकाते हुए कहा—
“क्योंकि मैं तुमसे इम्तिहान के बराबर प्यार करती हूँ।
क्योंकि तुम वो लड़का नहीं हो जिसे मैं खो दूँ।
क्योंकि मैं तुम्हारे बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकती…”
और फिर उसने वो शायरी कही जो उसने खुद उसके लिए लिखी थी—
“तेरी धड़कनों की आवाज़ से पहचानती हूँ मैं तुझे,
मेरे लिए तू हवा नहीं, मेरी रूह का हिस्सा है।
प्यार छुपाया था… जताया नहीं,
पर तेरे बिना जीना कभी सोचा नहीं।”
आरव की आँखें भर आईं।
उसने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया।
“मतलब तुम… तुम भी मुझसे…?”
अनाया मुस्कुराई—
“हाँ, आरव।
मैं तुमसे पहली दिन से प्यार करती हूँ।”
भाग 5 — मिलन और हमेशा का साथ
उस शाम दोनों ने एक-दूसरे की उँगलियाँ पकड़ीं।
आरव ने अनाया से कहा—
“तो… आज से… हम एक?”
अनाया ने सिर झुका कर हाँ कहा।
और वह दिन…
वह शाम…
दो दिलों के मिलन का सबसे खूबसूरत गवाह बन गई।
साल बीतते गए—
उनका प्यार और भी गहरा हुआ।
दोनों ने एक-दूसरे के सपनों को थामा,
एक-दूसरे की कठिनाइयों को सहा,
और अंत में—
उन्होंने शादी कर ली।
आरव ने फेरे लेते हुए बस इतना कहा—
“आज से तुम मेरी नहीं…
मैं तुम्हारा हूँ।
पूरी तरह… पूरी उम्र के लिए।”
अनाया की आँखें भर आईं—
वह मुस्कुराई—
“और मैं…
तुम्हारी चाहत का जवाब बनकर…
तुम्हारे साथ चलूँगी—
हमेशा के लिए।”
भाग 6 — प्यार का पहला मौसम
आरव और अनाया के रिश्ते को शुरू हुए तीन महीने हुए थे।
दुनिया बदल चुकी थी,
पर सबसे ज़्यादा आरव बदल गया था।
वो लड़का जो पहले चुप-चुप रहता था,
अब हर सुबह सबसे पहले “गुड मॉर्निंग, जान” मैसेज भेजता था।
उनकी बातें देर रात तक चलती—
कभी हँसी,
कभी शरारतें,
कभी अनाया का रूठना और आरव का मनाना।
आरव उसकी हर बात पर ध्यान देता था।
उसकी पसंद की चॉकलेट
उसका पसंदीदा गाना
उसकी पसंद का काजल
उसकी हर छोटी आदत
वह उसे इतना समझ चुका था कि अनाया को कभी कुछ समझाना ही नहीं पड़ता था।
कई बार अनाया कहती—
“तुम मुझे इतना क्यों चाहते हो?”
आरव बस मुस्कुरा कर जवाब देता—
“क्योंकि तुम्हारे बिना मेरी दुनिया में रंग ही नहीं बचते।”
भाग 7 — पहली बड़ी गलतफ़हमी
एक दिन कॉलेज में एक नया लड़का आया—कियान।
हैंडसम, स्मार्ट, हर किसी से फ्रेंडली।
वह अनाया के ग्रुप में घुल-मिल गया।
अनाया हँसते हुए बातें करती,
कभी-कभी हाथ पर हल्का-सा थपकी देती,
कभी नोट्स साझा करती।
आरव यह सब देखता था…
और उसके अंदर डर जागने लगा।
वह सोचने लगा—
“वह उससे अच्छे से बात करती है…
कहीं उसे पसंद तो नहीं…?”
आरव चुप हो गया,
बातें कम कर दीं,
जवाब छोटे करने लगे।
अनाया समझ नहीं पा रही थी।
एक शाम वह मिलने आई और बोली—
“आरव, तुम मुझसे दूर क्यों हो गए हो?”
आरव ने कहा—
“शायद तुम किसी और के ज़्यादा क़रीब हो…”
अनाया समझ गई।
उसने हल्का हँसते हुए उसका चेहरा पकड़ लिया—
“कमबख़्त…
तुम्हें जलन हो रही है।”
आरव ने शर्माते हुए कहा—
“हाँ…”
अनाया ने उसका हाथ पकड़कर कहा—
“आरव…
अगर कभी मुझे किसी से प्यार हुआ होता…
तो वह तुमसे पहले ही बता देती।
और अगर कोई मुझे पसंद है…
तो वह सिर्फ ‘तुम’ हो।”
आरव रो पड़ा।
और उस दिन उसने सीखा—
प्यार में शक ज़हर है।
भाग 8 — जुदाई का वो कड़वा समय
जब रिश्ते मज़बूत होते हैं,
तो किस्मत उन्हें परखना चाहती है।
आरव को एक बड़ी कंपनी में नौकरी मिल गई—दूसरे शहर में।
जाना ज़रूरी था।
अनाया ने पहली बार उसके सामने रोकर कहा—
“तुम जा रहे हो…
और मुझे छोड़कर?”
आरव ने उसे गले लगाकर कहा—
“मैं तुम्हें छोड़कर नहीं जा रहा…
तुम्हें अपनी ज़िंदगी में और मज़बूती से लाने जा रहा हूँ।”
पर दूरी…
दूरी हमेशा दिल को खरोंच देती है।
शुरू के कुछ महीने सब ठीक रहा।
वीडियो कॉल, मैसेज, लंबी बातें।
फिर धीरे-धीरे—
कॉल्स कम हुईं
बातें छोटी हुईं
झगड़े बढ़ने लगे
आरव व्यस्त रहने लगा,
अनाया अकेली पड़ने लगी।
अनाया सोचा—
“शायद अब आरव की दुनिया में मेरी जगह कम हो रही है…”
और आरव सोचता—
“क्या मैं उसे खो रहा हूँ…”
एक बार तो उन्होंने ब्रेकअप तक की बात कर ली।
पर उस रात दोनों रोते-रोते सो गए।
सुबह आरव ने उसे मैसेज किया—
“अगर तुम चाहो तो मैं नौकरी छोड़ दूँ।”
अनाया बोली—
“नहीं आरव…
मैंने तुम्हें कभी रोकने वाला प्यार नहीं चाहा।
मैं तुम्हारी मंज़िल बनना चाहती हूँ,
रुकावट नहीं।”
और उस दिन दोनों ने सीखा—
सच्चा प्यार कभी हारता नहीं।
भाग 9 — आरव का लौटना और प्रपोज़ल
2 साल बाद…
आरव ने जॉब बदलकर अपने ही शहर आने का फैसला किया।
वह बिना बताए अनाया के कॉलेज पहुँचा।
वह लाइब्रेरी में बैठी पढ़ रही थी।
आरव धीरे से उसके पीछे खड़ा हो गया।
“मिस अनाया…”
वह चौंक गई।
आँखें नम।
दिल तेज़।
वह भागकर उसके गले लग गई।
आरव बोला—
“करूँ शादी तुमसे?”
अनाया हँसते-हँसते रो पड़ी—
“हाँ…
हज़ार बार हाँ…”
आरव ने रिंग निकाली—
जो उसने दो साल पहले खरीदी थी।
घुटनों पर बैठकर बोला—
“तुम मेरी एकतरफ़ा चाहत से शुरू हुई थी,
पर अब मेरी पूरी दुनिया हो।
क्या तुम उम्रभर मेरी रहेगी?”
अनाया ने कहा—
“हाँ, आरव…
मैं हमेशा से तुम्हारी थी…”
भाग 10 — शादी और नई जिंदगी
शादी का दिन—
हल्दी, मेहंदी, संगीत…
हर जगह सिर्फ एक ही बात—
“आरव और अनाया का प्यार…
एक कहानी जो खुद किस्मत ने लिखी है।”
जब फेरे शुरू हुए—
अनाया ने धीमे से कहा—
“लोग कहते थे कि एकतरफ़ा प्यार अधूरा होता है…”
आरव मुस्कुराया—
“पर तुमने उसे पूरा कर दिया।”
फेरे खत्म हुए—
मांग में सिंदूर भरा—
और दोनों एक हो गए।
भाग 11 — शादी के बाद का जीवन
शादी के बाद भी उनका प्यार वैसा ही था—
मासूम, पागल, गहरा।
अनाया सुबह आरव को चाय बनाकर देती,
आरव उसके लिए उसका लंच पैक करता।
कभी किचन में लड़ाई—
“तुमने नमक ज्यादा डाल दिया!”
कभी बेडरूम में प्यार—
“आज तुम मुझे छोड़कर कहीं नहीं जाओगे…”
रात को दोनों छत पर बैठकर बातें करते—
भविष्य, बच्चे, घर, सपने…
सब एक-दूसरे के साथ।
और हर रात सोने से पहले
अनाया उसके सीने पर सिर रखकर धीरे से कहती—
“धन्यवाद…
तुमने मुझे अपना प्यार समझाने के लिए
इतनी लंबी लड़ाई लड़ी।”
और आरव कहता—
“तुम इसके लायक थीं…
तुम हमेशा से लायक थीं।”

